वादा किया गया था गांधी स्टेडियम को ‘चक डे इंडिया’ बनाने का, लेकिन वह बन गया खंडहर. यूं तो बेगूसराय को खेलकूद की नर्सरी कहा जाता है, लेकिन सुयोग्य माली के बिना इस नर्सरी का वांछित विकास नहीं हो पा रहा है.
यहां खिलाड़ी अपने दमखम, आत्मबल एवं दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर खेल जगत में अपनी खास पहचान बना रहे हैं. कबड्डी, वॉलीबॉल, ताइकान्डो, फुटबॉल, एथलेटिक्स आदि में बेगूसराय की कोई सानी नहीं है.
लेकिन बिहार सरकार एवं जिले के जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा एवं उदासीनता से जिले में खूलकूद का स्तरीय उन्नयन नहीं हो पा रहा है. जिले में खेलकूद के संसाधनों की भारी किल्लत है.
खेलकूद उपकरण की बात तो दूर, एक भी स्तरीय स्टेडियम नसीब नहीं है. आज जिले के सैकड़ों खिलाड़ी अपने दमखम पर वॉलीबॉल, फुटबॉल, कबड्डी, एथलेटिक्स आदि क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर रेलवे, बिहार पुलिस, राज्य ट्रान्सपोर्ट, पी. एण्ड टी. सहित अनेक प्रतिष्ठानों में सेवारत हैं.
भारतीय खेल प्राधिकरण के सर्वे रिपोर्ट में कहा गया था कि, बेगूसराय जिला गंगा एवं गंडक नदी के किनारे बसा हुआ है. यहां के बच्चों में वॉलीबॉल, फुटबॉल, कबड्डी, एथलेटिक्स एवं कुश्ती आदि खेलकूद की प्रतिभा पायी जाती है.
अत: यहां क्रीड़ा विकास केन्द्र की स्थापना की जाय. उक्त रिपोर्ट के आधार पर बेगूसराय में वॉलीबॉल का क्रीड़ा विकास केन्द्र स्थापित किया गया. प्रतिभा खोज प्रतियोगिता के आधार पर खिलाड़ियों का चयन कर इस केन्द्र में सरकारी खर्च पर पढ़ाई के साथ प्रशिक्षण प्रारम्भ हुआ.
लेकिन क्षेत्रवाद की राजनीति एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण बेगूसराय के क्रीड़ा विकास केन्द्र को दूसरे जिले में शिफ्ट कर दिया गया.
सरकार सहित सभी खेलकूद संगठनों द्वारा हमेशा यह कहा जाता है कि स्कूल स्तर से ही बच्चों में खेलकूद के प्रति जागरूकता पैदा कर रूचि के अनुरूप इसके प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए.
बेगूसराय जिले के 85 उच्च विद्यालयों में से लगभग 20 के पास खेलकूद का मैदान उपलब्ध है. जहां आउटडोर/इनडोर स्टेडियम का निर्माण कराया जा सकता है. वर्ष 2008 में तत्कालीन उपाधीक्षक शारीरिक शिक्षा, बेगूसराय ने पत्रांक 117 दिनांक 28/05/2008 द्वारा बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग को विद्यालयों की एक सूची समर्पित की थी.
जिसमें कहा गया था कि जिले में खूलकूद के विकास के लिए कॉलेजिएट इन्टर स्कूल, उच्च विद्यालय मटिहानी, शाम्हो, वीरपुर, तेयाय, मनसूरचक, बलिया, शालिग्रामी, नावकोठी, मंझौल, सकरपुरा एवं उच्च विद्यालय गढ़पुरा में आउटडोर और बीहट, आरकेसी, नारेपुर एवं उच्च विद्यालय छौड़ाही में इन्डोर स्टेडियम का निर्माण कराया जाय.
इसके साथ ही जीडी कॉलेज बेगूसराय, एपीएसएम कॉलेज बरौनी में आउटडोर स्टेडियम के निर्माण का भी प्रस्ताव भेजा गया था. लेकिन आज 8 साल बाद भी इस दिशा में कदम नहीं उठाया जाना राज्य सरकार के खेलकूद के प्रति नकारात्मकता को उजागर करता है.
यूं तो जिले में गांधी स्टेडियम बेगूसराय, बरौनी रिफाइनरी स्टेडियम एवं खेलगांव स्टेडियम बरौनी फ्लेग है. जिला मुख्यालय का गांधी स्टेडियम खेल का मैदान नहीं रहकर मल्टीपरपस मैदान बनकर रह गया है. यहां डिजनीलैंड मेला, विकास मेला लगता है. स्टेडियम के पूर्वी भाग का गैलरी खंडहर बन चुका है.
यह स्टेडियम जुए का अड्डा एवं पैरेडग्राउन्ड बनकर रह गया है. तत्कालीन स्थानीय विधायक एवं बिहार सरकार के नगर विकास मंत्री डा. भोला सिंह ने गांधी स्टेडियम में आयोजित खेल पुरस्कार वितरण समारोह में घोषणा की थी कि गांधी स्टेडियम का ‘चक डे इंडिया’ के तर्ज पर विकास कर दूधिया रोशनी से जगमग किया जाएगा.
स्टेडियम तो खंडहर बन गया, लेकिन माननीय लोक सभा पहुंच गए. बरौनी रिफाइनरी स्टेडियम निजी है जबकि बरौनी फ्लेग के स्टेडियम का निर्माण कार्य ठप है. उपरोक्त तीनों स्टेडियम स्तरीय नहीं है.
उच्च विद्यालय मटिहानी एवं बरौनी कॉलेज में आउटडोर स्टेडियम निर्माण के लिए अग्रिम राशि का आवंटन भी आया लेकिन जिला पदाधिकारी की उदासीनता के कारण निर्माण कार्य प्रारम्भ नहीं हो पाया है. दूसरी ओर जिला का खेल कार्यालय एक आदेशपाल के सहारे चल रहा है.