साथियों कल 23 जून को बनारस के आयुक्त के तरफसे पुलिस और प्रशासन के लोग भेज कर सर्व सेवा संघ के राजघाट स्थित परिसर में घुसकर मकानों को निशान लगाने से लेकर रातोरात मजदूरों को लगाकर दिवारें बनाने की हरकतों देखते हुए मै हैरान हूँ ! इंदिरा गाँधी कला और संस्कृति संस्थान के अध्यक्ष श्री. राम बहादुर राय हमारे कुछ मित्रों के मित्र है ! और वह उनके साथ बातचीत करने के फोटो भी देखा हूँ ! और वह कहते हैं कि पहले ही फोन क्यों नहीं किया ?
चलिए पहले फोन नहीं किया ! लेकिन अभी तो आपको बता रहे हैं ! “कि राजघाट के गांधी विद्दा संस्थान की जगह को इंदिरा गाँधी कला और संस्कृति जिसके आप अध्यक्ष हो ! क्या जयप्रकाश नारायण के द्वारा स्थापित संस्थान की जगह गाँधी विद्या संस्थान वाराणसी के आयुक्त अपने आप इंदिरा गांधी कला सांस्कृतिक संस्थान को देने का निर्णय ले सकते हैं ? जब तक उनके पास कोई अर्जि लेकर नही गया होगा तबतक आयुक्त को क्या मालूम की इंदिरा गाँधी कला और संस्कृति जैसे संस्थान को बनारस में जगह चाहिए ! जब की अलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टेटस को की ऑर्डर दी हुई है ! तो भी वह ऐसा निर्णय लेना मतलब कोर्ट की अवमानना का मामला बनता है ! जिसमें आयुक्त के उपर अपराधिक मामला बन गया है !”
इन सब बातों से राम बहादुर राय अनभिज्ञ हैं ? ऐसा लगता नहीं ! और अब दो दिन पहले ही उनसे डॉ. आनंद कुमार रामधिरज और अन्य मित्रो को हंसते हुए ! बातचीत करते हुए देखा हूँ ! लेकिन उसके बावजूद उन्होंने कहा कि मामला काफी आगे बढ़ गया है ! इसका क्या मतलब हुआ ? कल को परिसर में पुलिस और प्रशासन के लोग घुसकर रातोंरात मजदूरों को तैनात कर के दिवार बनाने का काम क्या संदेश दे रहा है ? एक अल्पसंख्यक समुदाय की अकेली महिला मुनिजा को सहयोग करने की बात उछाल कर गांधी विद्दा संस्थान की जगह को जबरदस्ती से दखल करने वाले मुख्य गुनाहगार को अनदेखा किया जा रहा है ! और एक अकेली अल्पसंख्यक समुदाय की महिला के मथ्ये सहयोग का आरोप लगाना मुख्य अपराधियों से ध्यान भटकाने की बात लगती है ! राम बहादुर राय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रतिबध्द स्वयंसेवक है ! और वह एक तय अजेंडा के अंतर्गत यह सब पुलिस – प्रशासन की मदद लेकर मामला कोर्ट के विचाराधीन होने के बावजूद कर रहा है ! मतलब अयोध्या विवाद से लेकर, गुजरात दंगों की तथाकथित क्लिनचिट से लेकर, जज लोया की नागपुर के रविभवन में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत से लेकर ! सभी मामलों में कोर्ट की भूमिका को देखते हुए ! लगता है कि कोर्ट के अवमानना होकर एक महिने से अधिक समय होने के बाद भी कोर्ट ने अभितक अवमानना की बात का सज्ञान नही लेना किस बात का प्रमाण है ? संघने जीवन के कोई भी अंग को छोडा नही है ! जहाँ पर उन्होंने घुसपैठ नही की होगी ! नागपुर में सीबीआई कोर्ट के जज की मृत्यु होने के प्रसंग में दो दर्जन से अधिक जुडिशल लोग उपस्थित थे ! और उसमे कोई सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के भी जज मौजूद थे ! और कोई रजिस्ट्रार तो कोई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आदमी !
लेकिन यह सब वास्तविक स्थिति रहते हुए, हम आपस में किसी मुनिजा या रामधिरज या अरविंद अंजुम के नाम लेकर मुख्य गुनाहगारों को इजी वॉकओवर दे रहे हैं ! यह अविलंब बंद होने की आवश्यकता है अन्यथा संघ के कब्जे में बचीखुची भी जगह चलें जायेगी ! और हम आपस में तूतू – मै मै करते रहेंगे ! क्यों आप लोग ऐसा कर रहे हो ? क्या किसी की सुपारी लेकर तो नहीं ना आए हो ?
साबरमती आश्रम की जमीन को लेकर नचिकेता देसाई ने जब मामले को उठाया था ! तो मैंने एक ट्रस्टी जो कभी गाँधी विद्यापीठ के कुलपति भी रह चुके हैं ! जिनके साथ परिचय है ! तो मैंने उन्हें फोन करके पुछा की “साबरमती आश्रम का मामला क्या है ?” तो उन्होंने कहा कि “सुरेशभाई, नरेंद्र भाई देश – विदेशों में आते-जाते रहते हैं ! तो उन्होंने न्यूयार्क के किंग मेमोरियल देखने के बाद निर्णय लिया कि साबरमती आश्रम को भी उस के जैसा भव्य – दिव्य बनाया जाए ! और उसके लिए वह और अधिक जमीन दखल करके ! 127 एकड के परिसर में सात सितारा होटलों से लेकर ! और भी कई इमारतों को बनाना चाहते है ! और साबरमती आश्रम को किंग मेमोरियल से भी भव्य बनाने की योजना है ! और हमारे मॅनेजिंग ट्रस्टी कार्तिकेय साराभाई और नरेंद्र मोदी दोस्त है ! और कार्तिकेय साराभाई ने नरेंद्र मोदी को सकारात्मक जवाब दिया है !”
मैंने कहा कि महात्मा गांधी की कल्पना में अपने रहने के जगह के दस किलोमीटर के दायरे में जो भी संसाधन उपलब्ध हैं ! उन्हें लेकर ही मकान बनाने चाहिए ! और लॅरी बेकर जैसे आंतराष्ट्रीय स्तर के आर्किटेक्चर के तज्ञ खुद महात्मा गाँधी जी के कल्पना के अनुसार भारत में कई जगहों पर इस तरह के घरों का निर्माण किया है ! और केरल में सब से अधिक ! तो महात्मा गाँधी भारत के रहिवासी थे ! और भारत की जो भी आर्थिक – सामाजिक स्थिति है ! उसके अनुरूप ही उनके सभी आश्रम बनाएं गए हैं ! और यही महात्मा गाँधी जी की पहचान है ! आज पांच सौ वर्ष पुराना सेक्सपिअर का घर अंग्रेजों ने जैसे कि वैसे ही मेंटेनेंस करके रखा है कुछ केमिकल के द्वारा ! जब पांचसौ साल पुराने घरों को मेंटेनेंस किया जा सकता है तो महात्मा गाँधी जी के सभी आश्रम सौ सवासौ साल के मेंटेनन्स करना कौन सी असंभव बात है ?
डॉ. मार्टिन ल्युथर किंग अमेरिकन थे ! और अमेरिकन सभ्यता में सब कुछ भव्यदिव्य रहता है ! तो वह अमेरिकी किंग मेमोरियल के लिए ठीक हो सकता है ! लेकिन महात्मा गाँधी जी के खाने-पीने से लेकर, रहने की अपनी जीवनदृष्टी थी ! जिसमें प्रकृती से जितना आवश्यक है उतना ही लेना चाहिए ! और उस हिसाब से घर हो या अपने अन्य आवश्यक वस्तुओं के इस्तेमाल के बारे में गांधी जी की जीवन-दृष्टि के अनुसार बनाए गए उनके आश्रमों को जैसे के वैसा बनाएं रखना ही सही गाँधी जी के स्मारक है ! सिमेंट – कांक्रीट के, और भव्य भवन निर्माण कराकर उन्हें गाँधी जी के स्मारक कहना ! गाँधी जी के खिलाफ काम करने की साजिश का पार्ट लगता है ! शारीरिक हत्या पचहत्तर साल पहले की है ! अब उनकी वैचारिक हत्या हौले-हौले और महात्मा गाँधी जी के नाम लेकर करने की कृती बिमार मानसिकता का परिचायक है ! और उसमें हमारे अपने ही कुछ लोगों को ! नरेंद्र मोदी या रामबहादुर राय जैसे घोर संघी लोगों के सामने घुटने टेकते हुए देखकर हैरान हूँ ! नरेंद्र मोदी – रामबहादुर राय सौ साल पुराने फासीस्ट संघठन के स्वयंसेवक है ! और महात्मा गाँधी जी के शारीरिक हत्या के बाद अब वैचारिक हत्या का प्रोग्राम जारी है ! यह षडयंत्र खुलेआम चल रहा है ! और हम खाली आपसी एक- दूसरे को दोषी ठहराने में अपना समय बर्बाद कर रहे हैं ! और उधर दिवारों को खडा कर रहे हैं !
यह सब करने वाले लोगों का अजेंडा साफ है ! और आज प्रदेश से लेकर केंद्र तक उनकी सत्ता है ! तो आयुक्त एक मामुली सा आदमी ! वह लखनऊ – दिल्ली के आदेश के बीना कुछ नहीं कर सकता ! और बनारस नरेंद्र मोदी का मतदारसंघ है ! नमोघाट की निर्मिती से लेकर राजघाट के इस जगह पर हो रही हर गतिविधि का उन्हें सज्ञान है ! बेमतलब आयुक्त या मुनिजा अरविंद अंजुम या रामधिरज जैसे उल्टे-पुल्टे नाम लेकर संघ का काम आसान करने में मदद मिलेगी !
सुना है कि वर्धा के कलक्टर को विशेष हिदायत दी गई है ! कि “सेवाग्राम आश्रम में कुछ भी हलचल हो प्रधानमंत्री कार्यालय को तुरंत रिपोर्ट करना है !” दिल्ली का राजघाट और गांधी स्मृति पहले से ही प्रधानमंत्री की देखरेख में होने से उसे तो मई 2014 के बाद ही तुरंत कब्जा करने के लिए विशेष कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं हुई ! और इस कारण वह जगह पर संघ के का क्या क्या चल रहा है ? (मई 2022 को ‘अंतिम जन’ राजघाट गाँधी स्मृति समिती की तरफ से निकलने वाली पत्रिका सावरकर विशेषांक निकालकर और सावरकर गाँधी कैसे नजदीक थे यह बताने की कोशिश की गई है ! ) इसकी जानकारी बाहर नहीं आ रही है !
लेकिन मुझे लोकनिर्माण अभियान की दिल्ली बैठक में शामिल होने के लिए, अक्तुबर 2022 के समय उस परिसर में जाने का मौका मिला ! और मैंने दिल्ली सर्वोच्च न्यायालय के कुछ वकिलो के साथ वहाँ पर लोकनिर्माण अभियान को आगे बढ़ाने के लिए एक बैठक की थी ! और जिस जगह पर मैंने वह बैठक की ! तो मुझे कहा गया कि “आप बैठक कर रहे इस जगहपर मोहन भागवत कभी- कभी ठहरते है ! और इस परिसर में संघ के बड़े-बड़े आयोजन होते रहते हैं !”
अब अहमदाबाद के गांधी विश्वविद्यालय से लेकर साबरमती आश्रम उसी कडीमे सेवाग्राम और अब वाराणसी के राजघाट की बारी आई है ! और हम है कि आपसी रंजिश में उलझकर एक-दूसरे के उपर आरोप – प्रत्यारोप लगा कर संघ को आसानी से वॉकओवर दे रहे हैं ! क्या यह बात हमारे मित्रों को समझ में नहीं आ रही है ? इतने बड़े आंदोलन से निकलने वाले लोगों को अगर इतनी भी समझ नहीं है तो हमारे संस्थानों को बचाना असंभव है !
डॉ. सुरेश खैरनार, 24 जून 2023, नागपुर.