पिछ्ले साल इन्ही दिनोमे गाँधी 150 को लेकर ऊत्तर पूर्वी राज्यों मे क्या करना चाहिए इस विषय पर एक सेमिनार था जिसकी शुरुआत मेरे भाषण से हुई  !
5 सितम्बर से 29 सितम्बर तक आसाम के दौरेपर गया था और मैने वहा पर एन आर सी के खिलाफ गुवाहटी के ऊसी कार्यक्रम में कहा कि  महात्मा गाँधी जी के जिवन के प्रथम आंदोलन की शुरुआत एन आर सी से शुरू हुई थी  और वह भी विदेश की भूमि दक्षिण अफ्रीका से !


यह बात कहते ही सभा में कुछ सद्स्य परेशान हो गये थे और मुझे कह रहे थे कि आप इस विषय को यहाँ पर नाही छेड़ो तो अच्छा होगा अन्यथा काफी विवादस्पद हो सकता है तो मैंने कहा कि मैं शायद सर्वोच्च न्यायालय के ताजा निर्णय की आलोचना करके मानहानि कर रहा हूँ पर आपने मुझे इस सेमिनार का उद्घाटन भाषण का जिम्मा दिया हैं सो मै उसे निभा रहा हूँ और आप लोग चाहो तो ऊत्तर पूर्वी राज्यो मे इसी विषय पर आंदोलन करना यही गाँधी 150 की उचित शुरुआत होगी !


महात्मा गाँधी के 150 वे जन्मदिन को लेकर ऊत्तर पूर्वी राज्यों में क्या होना चाहिए और मेरे हिसाबसे फिलहाल आसाम के एन आर सी के केसका नतिजा ताजा ताजा आया है एक सप्ताह पहले  !
तो मेरे हिसाबसे इससे बेहतर कोई और मुद्दा और वह भी महात्मा गाँधी जी के जिवन के सबंधमे और वह भी ऊत्तर पूर्वी राज्यों के लिए ज्यादा समयोचित होगा !
अन्यथा 150 वीं जयंती एक खाली कर्मकांड करने जैसा होगा !
और गाँधी जी का जीवन ही तो संदेश है और एन आर सी ने ही उनके जीवन को मुख्य टर्निग पॉइंट बनाया  है !
अन्यथा वह दक्षिण अफ्रीका का काम खत्म करने के बाद भारत वापस आ रहें थे और उनको विदाई समारोह में ही अखबार की उस खबर को किसिने बताया और गाँधी जी के भारत वापस आने का निर्णय रद्द कर के उह्नोने इसी तरह के काले कानून के खिलाफ मोर्चा खोल दिया  ! और उसी आंदोलन की बदौलत दुनिया के सभी लोगों के लिए एक शस्त्र इजाद कर के दिया जिसका नाम सत्याग्रह है  ! और उह्नोने वह लडाई जितने के बाद ही भारत की यात्रा शूरू किया  ! और फिर भारत की आजादी की लड़ाई में वही अफ्रीका से इजाद किया हुआ अहिंसक सत्याग्रह के द्वारा भारत की आजादी की लड़ाई लडी और तबतक के इतिहास में ऐसा उदाहरण शायद ही कोई और रहा होगा  !


और एन आर सी का यह निर्णय भी तो अस्सी के दशक से चले आ रहे आसाम आंदोलन के कारण ही आया है ! तो इससे ज्यादा बेहतर विषय मुझे दुसरा नजर में नहीं आ रहा है !  हालाकि सेमिनार डॉन बोस्को इन्स्टिट्यूट में हुआ था !
क्योकिं मुझे ऊत्तर पूर्वी राज्यों में गाँधी 150 को लेकर क्या करना चाहिए इसी विषय पर बोलने के लिए बुलाया था ! और सर्वोच्च न्यायालय के एन आर सी पर के निर्णय को आकर सिर्फ एक सप्ताह ही हुआ था !          हालांकि मै तो दो दिन का मेहमान था पर आयोजक लोगों ने विनती की कि आप कमसे कम और तिन हप्ता पूरे आसाम का दौरा किजीये और मैने किया !


शायद मेरे आसाम 28 सितम्बर को छोड़ने के बाद एन आर सी के खिलाफ पहला मोरचा वहिसे हप्ते दस दिन बाद शुरुआत हुई थी ! और उसी आसाम के गोअलपारा जिलेके मटिया-कदमतला  नामकी जगह डिटेनशन सेन्टर का निर्माण चल रहा काम भी मुझे देखनेमे आया था ! जिसमें तिन हजार की संख्यामे एन आर सी लिस्ट के बाहर वाले लोगों को रखा जायेगा! जिसमे 2500 आदमी और 500 महिला !
वैसे भी आसाम में कोर्ट के फैसले के बाद जो लिस्ट बनाई गई उसमें 40 लाख लोग नागरिकता से बाहर हो गये थे और उसमें 60% हिंदू और 40 % मुसलमान फिर काफी हो हल्ला मचा तो दोबारा से लिस्ट बनाई गई उसमें भी 19 लाख लोग नागरिकता से बाहर हो गये थे और आनुपात लगभग वही था इसलिये अक्तूबर  2019 का महीना लगभग पूरे ऊत्तर पूर्वी राज्यों में आग की तरह यह आंदोलन फैला  !
गुरू गोलवलकर ने अपनी दोनो बंच ऑफ थाॅट और वुई हू नेशन डिवाइड  जैसे  विवादस्पद किताबों में भारतमे रहनेवाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रखने की वकालत की है  ! हिटलर ने यहूदियों के साथ जर्मनी में यही प्रोग्राम किया था और बिलकुल उसी तर्ज पर भारत के अल्प संख्यक समुदाय के साथ करने की बातों को देखकर लगता है कि भारत के फासीवाद की शुरूआत वर्तमान समय की सरकार एन आर सी के आडमे करना चाहतीं हैं  ! जो हमारे संविधान के विपरीत है  !
वैसे भी संघ परिवार के निशाने पर संविधान पहले दिन से ही रहा है 26 नवम्बर 1949 को बाबा साहब आंम्बेडकरजी के द्वारा संविधान सभा में संविधान रखने के बाद संघ परिवार का अंग्रेजी संस्करण ऑर्गनायझर के 29,30 नवम्बर 1949 के अंकों में यह संविधान देश-विदेश के संविधान की नकल कर के बनाया है और हमारे देश में हजारों साल पहले से मनुस्मृति जैसा आदर्श संविधान रहते हुए इस गूडधी जैसा संविधान हम नहीं मानेंगे जिसमें हमारे प्राचीन संस्कृति का कुछ भी अंश नहीं है और राष्ट्र ध्वज को भी नकारते हुए हजारों साल पहले से चले आ रहे भगवा ध्वज की वकालत की है  !


और वर्तमान एन आर सी का बिल उसीकी पैदाइश हैं  ! जो हमारे संविधान के विपरीत है  ! अपने राक्षसी बहुमत के कारण संविधान को बदलने की शुरुआत हो चुकी है और इसीलिये इस तरह के देश की एकता-अखंडता खतरे में डालने का काम किया जा रहा है  ! जिस का वर्तमान सरकार हुबहू अमल करना चाहती है और यह सब ऊसी कार्यक्रम की शुरूआत हुई है !
सेमिनार के दूसरे दिन आयोजक यहाँ पर और कस्तूरबा आश्रम इन दोनों जगहों पर हम लोगों को सुबह-सुबह लेकर आये थे ! यह एक हिल है जो गुवाहटी शहर में ही है और इसे गाँधी हिल कहा जाता है यहाँ पर गाँधी जी के जिवन के संम्बंधीत एक संग्रहालय भी है !
जगह बहुत ही सुंदर है ! वहा से ब्रह्मपुत्र नदी का नजारा देखने को मिलता है और अन्य तरफसे गुवाहटी शहर का !

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