ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलाएंस (जीवा) के संस्थापक स्वामी चिदानंद सरस्वती ने सभी धर्मों के प्रमुखों, समाज सेवकों, आशा-आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे स्वच्छता अभियान और सबको शौचालय उपलब्ध कराने के लिए एकजुट हो जाएं. उन्होंने कहा कि धार्मिक संस्थानों में गुरुओं के गले का अभिषेक बहुत होेे गया, अब गलियों का अभिषेक हो. गलियां साफ़ होंगी, तो देश भी स्वच्छ होगा. इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन से यह कामयाबी मिली कि हम सब स्वच्छता के लिए एक मंच पर एकजुट हुए. सभी महिला धर्मगुरुओं एवं साध्वियों को चाहिए कि वे अपने प्रवचनों में दूसरे धर्म के बारे में भड़ास निकाल कर नफरत फैलाने की बजाय मिठास घोलें. सभी धर्मों के गुरु समाज के वंचित लोगों के कल्याण की बात करें. देश में कोई नया मंदिर तब तक न बने, जब तक सबके लिए शौचालय की व्यवस्था न हो जाए.
मौजूदा दौर में जबकि विभिन्न धर्मगुरुओं के काले कारनामों से समाज शर्मसार है, ऐसे में उत्तराखंड के ऋषिकेष स्थित परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज की पहल न केवल सराहनीय है, बल्कि अनुकरणीय भी. उनके प्रयासों से हाल में ऋषिकेष के गंगा तट पर यूनिसेफ की मदद से ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलाएंस (जीवा) और गंगा एक्शन परिवार के संयुक्त तत्वावधान में आराधना से स्वच्छता की ओेर अभियान पर केंद्रित शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन में देश और दुनिया से आईं विभिन्न धर्मों की महिला गुरुओं ने कहा कि साफ़-सुथरे माहौल के साथ-साथ महिलाओं के लिए शौचालय उपलब्ध कराना बहुत ज़रूरी है. महिला धर्मगुरुओं ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि भारत में आज भी 30 करोड़ से ज़्यादा महिलाओं को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है.
ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलाएंस (जीवा) के संस्थापक स्वामी चिदानंद सरस्वती ने सभी धर्मों के प्रमुखों, समाज सेवकों, आशा-आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे स्वच्छता अभियान और सबको शौचालय उपलब्ध कराने के लिए एकजुट हो जाएं. उन्होंने कहा कि धार्मिक संस्थानों में गुरुओं के गले का अभिषेक बहुत होेे गया, अब गलियों का अभिषेक हो. गलियां साफ़ होंगी, तो देश भी स्वच्छ होगा. इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन से यह कामयाबी मिली कि हम सब स्वच्छता के लिए एक मंच पर एकजुट हुए. सभी महिला धर्मगुरुओं एवं साध्वियों को चाहिए कि वे अपने प्रवचनों में दूसरे धर्म के बारे में भड़ास निकाल कर नफरत फैलाने की बजाय मिठास घोलें. सभी धर्मों के गुरु समाज के वंचित लोगों के कल्याण की बात करें. देश में कोई नया मंदिर तब तक न बने, जब तक सबके लिए शौचालय की व्यवस्था न हो जाए. कण-कण में भगवान की जगह हमने कूड़ा- कचरा जमा कर रखा है. देश के करोड़ों लोग धर्मगुरुओं के बताए गए रास्ते पर चलकर अपना जीवन संचालित करते हैं. यदि वे देश-दुनिया के लोगों से सफाई के लिए संकल्प लेने की अपील करेंगे, तोे उसका जादुई असर होगा. अब मंदिरों में पेड़ेेे की जगह पेड़ वितरित होने चाहिए. जहां गंदगी है, वहां बंदगी नहीं हो सकती. मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और गिरिजाघर इंसानों के लिए हैं. यदि सभी मिलकर सफाई के प्रति चेतना जगाने का काम करेंगे, तो वर्शिप टू वॉश अभियान ज़रूर कामयाब होगा.
नारी शक्ति है, लोक कल्याण की विधायिका है, पथ प्रदर्शिका है और प्रभावशाली संरक्षिका है. माता, बहन, पुत्री, पत्नी आदि के रूप में अनेक धर्मों-कर्तव्यों का निर्वहन करने और आधी आबादी कहलाने वाली नारी भारत ही नहीं, बल्कि समूचे विश्व के लिए शुद्ध पेयजल एवं हानि रहित पर्यावरण के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. ज़रूरत हैं, उन्हें शिक्षित करने की, उनका गौरव याद दिलाने की, उन्हें पिछली पंक्ति से आगे लेकर आने की. जिस दिन ऐसा हुआ, स्वच्छता की वैश्विक चिंता का समाधान होते देर न लगेगी. ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलाएंस (जीवा) की महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती का कहना है कि सम्मेेेेलन में विभिन्न धर्मगुरुओं ने सफाई और शौचालय के लिए जैसी एकजुटता दिखाई है, उससे यूनिसेफ भी उत्साहित हुआ है. स्कूूलों में शौचालय न होने की वजह से 24 फ़ीसद बालिकाएं आगे की शिक्षा हासिल करने से वंचित रह जाती हैं. गांवों में शौचालय न होने की वजह से महिलाओं-लड़कियों को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है और उसके लिए उन्हें अंधेरा घिरने का इंतज़ार करना पड़ता है. नतीजतन, आएदिन महिलाएं-लड़कियां बलात्कार का शिकार होती हैं. भारत में प्रतिदिन 1200 से ज़्यादा बच्चों की मौत हो जाती है. इसकी बड़ी वजह साफ़ पानी न मिलना है. छह करोड़ से ज़्यादा लोगों का शारीरिक और मानसिक विकास सफाई की कमी के चलते नहीं हो पाता. ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलाएंस (जीवा) दुनिया की पहली ऐसी मुहिम है, जिसने विभिन्न धर्मों के गुरुओं को एक मंच पर लाकर शुद्ध पेयजल और स्वच्छता पर काम शुरू किया है. इसकी शुरुआत 25 सितंबर को यूनिसेफ मुख्यालय में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा सप्ताह के दौरान हुई.
शिखर सम्मेलन में मौजूद महिला धर्मगुरुओं, महिला समाजसेवी संस्थाओं की प्रमुखों, महिला पत्रकारों, महिला विशेषज्ञों-वैज्ञानिकों, महिला राजनेताओं और महिला उद्यमियों ने एकमत होकर कहा कि हर क्षेत्र में कामयाब रही नारी पर्यावरण संरक्षण के सेवा कार्य में भी खरी उतरेगी. आध्यात्मिक कथाओं व कन्या शिक्षा के माध्यम से देश-दुनिया में जागरूकता का संदेश दे रहीं गुरु मां आनंदमयी ने शिक्षित नारी के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया और अपनी संस्था की ओर से स्वर्गाश्रम एवं गोमुख-गंगोत्री को स्वच्छ-सुंदर बनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करने की घोषणा की. हरिद्धार सेे आईं महामंडलेश्वर संतोषी माता ने कहा कि महिलाएं नींव की पत्थर बनने को अपना सौभाग्य समझें. विधायक विजया बड़थ्वाल ने गंगा एक्शन परिवार एवं जीवा द्वारा चलाए जा रहे अभियान में हर तरह का सहयोग देने का वादा किया. मीडिया विशेषज्ञ डॉ. वर्तिका नंदा ने सम्मेलन का संचालन किया.
सम्मेलन में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी की किरन जीत कौर, हरिद्वार की महामंडलेश्वर साध्वी मैत्रेयी गिरि, साध्वी शक्ति परिषद की अध्यक्ष एवं महामंडलेश्वर कमलेश भारती, कोटा-राजस्थान की महामंडलेश्वर माता हेमलता, ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बीके आरती बहिन, जैनुअल आबदीन, मौलाना डॉ. कल्बे सादिक, अब्दुल मलिक मुजा हिरने, आचार्य लोकेश मुनि, किरन बाली, मौलाना लुकमान तारापुरी, रब्बी इजेकिय लई साक मालेकर, सरदार मंजीत सिंह, भारत में यूनिसेफ के प्रतिनिधि लुईस जार्जेज, कैपटाउन- साउथ अफ्रीका के आर्क विशप थाबो मकगोबा, महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद, महामंडलेश्वर महंत ईश्वर दास, वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव, दीपिका सिंह, जीवा प्रतिनिधि स्वामिनी लक्ष्मी सरस्वती, परमार्थ की साध्वी आभा सरस्वती, यूनिसेफ की प्रतिनिधि मनीषा मिश्रा, हुस्ना अहमद एवं शालिनी ने भी अपने विचार व्यक्त किए.
गंगा के पावन तट पर दुनिया के विभिन्न देशों से आए अलग-अलग धर्मों के गुरुओं, समाज सेेेेवकों एवं राजनेताओं ने शुद्ध पेयजल की उपलब्धता के साथ ही जर्रे-जर्रे की सफाई और सबके लिए आराधना से स्वच्छता की ओर अभियान चलाने का संकल्प लिया. बौद्ध प्रार्थना के साथ शुरू हुए इस शिखर सम्मेलन में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, यहूदी, पारसी एवं बौद्ध धर्म के 250 से ज़्यादा गुरुओं के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय इंटरफेथ संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया. हज़ारों लोगों की मौजूदगी में अभियान की कामयाबी के लिए एक शपथ पर धर्मगुरुओं ने हस्ताक्षर किए. इस मौ़के पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सभी पंथ और धर्मगुरु एक मंच पर आए हैं, जो भारत की सच्ची तस्वीर है. गंगा किसी धर्म को नहीं जानती, वह तो सबको जीवन देती है. गंगा को धर्मनिरपेक्ष नदी बताते हुए उन्होंने कहा कि वह तो सभी धर्मों और कौमों के लिए है. गंगा को लेकर नीति निर्धारण में यह सम्मेलन सरकार के लिए सहायक बनेगा. मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने निर्मल गंगा अभियान को आगे बढ़ाया. वर्तमान केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत के रूप में इस अभियान को गति दी है. मकसद सबका एक है. उन्होंने कहा कि गंगा की निर्मलता और निर्बाधता बनाए रखी जाए. जल संसाधनों के वैज्ञानिक तरीके से दोहन में केंद्र सरकार हमारी मदद करे. हमने इसके लिए केंद्र से 10 हज़ार करोड़ रुपये दीर्घावधि के लिए मांगे हैं. यदि केंद्र सरकार सहयोग करती है, तो हम गंगा कोे उसी तरह हरिद्वार में साफ़ कर देंगे, जैसा रुद्रप्रयाग में है.
जाने-माने इस्लामिक विद्वान डॉ. कल्बे सादिक ने कहा कि जिस तरह यहां से निकली गंगा देश के विभिन्न राज्यों से गुजरते हुए सागर में समाती है, वैसे ही यह अभियान देश-दुनिया में छाएगा और सबके लिए एक मिशाल बनेगा. ग्लोबल इमाम काउंसिल के मौलाना लुकमान तारापुुरी ने अभियान कोे देश के शानदार भविष्य के लिए ज़रूरी बताते हुए कहा कि बच्चों को साफ़ और स्वस्थ रहने की नसीहत देनी चाहिए, बल्कि उनके सामने खुुद का उदाहरण पेश करना चाहिए. पार्लियामेंट ऑफ वर्ल्ड रिलीजन के डॉ. अब्दुल मुजाहिद ने कहा, मैं जीवन में पहली बार हिमालय की गोद गंगा तट पर आया हूं और पहली बार किसी आश्रम में रात बिताई है. यहां की अनुभूति मेरे और साथियों के लिए दिव्य है. शिकागो में स्वामी विवेकानंद के प्रथम भाषण स्थल के समीप सेवारत श्री मलिक ने कहा कि जीवा एवं गंगा एक्शन परिवार-परमार्थ निकेतन की पहल पर यहां से निकला संदेश केवल ऋषिकेश या उत्तराखण्ड नहीं, बल्कि दुनिया भर में पहुंचेगा. हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद ने कहा कि अंतिम व्यक्ति तक का जीवन स्तर सुधार दिए जाने से स्वच्छता का सपना अपने आप पूरा हो सकता है. स्वामी चिदानंद सरस्वती की मुहिम की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि हम संत समाज के लोगों को जीवा और गंगा एक्शन परिवार के इन अभियानों में गहरा सार नज़र आता है.
ऑल इंडिया इमाम काउंसिल के अध्यक्ष उमर इलियासी ने सफ़ाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील को सराहते हुए कहा कि यह अभियान साढ़े पांच लाख मस्जिदों, साढ़े सात लाख मंदिरों सहित गुरुद्वारों और गिरिजाघरों से शुरू होकर देश की जनता तक पहुंचे बिना नहीं रह सकता. गुजरात स्थित स्वामी नारायण मंदिर के प्रमुख माधवप्रिय ने कहा कि अब धर्मगुरुओं के एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में झाड़ू होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि वह बहुत जल्द गुुजरात में 108 गांवों के स्कूूलों में सफ़ाई अभियान शुरू करेंगे.
धर्मगुरुओं ने गंदगी के ख़िलाफ़ छेड़ी जंग
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