साथियों, गुजरात दंगों के, आज 27 फरवरी को इक्कीस साल पुरे होने के उपलक्ष्य में ! मैंने फिर से दंगे से संबंधित पुस्तकें, ढूंढकर गत कुछ दिनों से दोबारा से पढने के बाद ! अपने आप को शर्मिंदगी महसूस कर रहा हूँ ! वह इसलिए कि हमारे देश के आजादी के आंदोलन में से विकसित गंगा जमनी संस्कृति के तार- तार होने के कारण ही ! एक घोर सांप्रदायिक दल जो कभी भी आजादी आंदोलन में शामिल न रहने के बावजूद ! और गरीब – गुर्बा तथा दलित, महिलाएं और आदिवासीयो से लेकर ! सभी अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ रहने के बावजूद ! और 140 करोड जनसंख्या के देश में जब की 85%पिछडे समाज की आबादी होने के बावजूद ! जब से इस दल के मातृ संघठन आर एस एस की स्थापना हुई है ! (1925) तबसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का तांडव करने के बावजूद ! (1970 के दशक में भिवंडी और जलगांव के दंगों के जांच के लिए गठित समिति के प्रमुख जस्टिस मादान कमिशन ने कहा है कि भले ही किसी भी दंगे में संघ के लोग हमारे देश के क्रिमिनल प्रोसिजर के अंतर्गत आने वाले कानून के अनुसार डायरेक्ट शामिल थे या नहीं !
यह बात दिगर है ! लेकिन वह अपने स्थापना के समय से ही ! जो सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रशिक्षण अपने संघठन के द्वारा देते आ रहे है ! उसकी बदौलत लगभग सभी दंगों के लिए ! उन्होंने गत पचास वर्षों से भी अधिक समय से जो भी प्रचार प्रसार किया है ! उसिके कारण दंगे फैलाने में मदद हुई है !) और उसी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश का परिणामस्वरूप आज देश की सत्ता तक हमारे देश आजादी के पचहत्तर साल के पहले ही कायम होना ! यह सभी सेक्युलर और धर्मनिरपेक्ष शक्तियों का पराजय हैं !और गुजरात का इक्कीस साल पहले का दंगा इसकी सबसे बड़ी मिसाल है ! क्योंकि इस दंगे में नियोजन बद्ध तरिके से ! संघ के विभिन्न संघठन और सबसे संगीन बात संघ की राजनीतिक ईकाई बीजेपी जिसकी खुद की सत्ता गुजरात में रहने के कारण ही , जिसके बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि ” गुजरात की सरकारने राजधर्म का पालन नहीं किया !” और आगे जिन किताबोंको और विभिन्न रिपोर्टों को देखते हुए ! अटल बिहारी वाजपेयी जी की बात शतप्रतिशत सही सिद्ध हुई है !
(1)Rana Ayub – GUJARAT – FILES, ANATOMY OF A COVER UP, (2)R.B SREEKUMAR, (IPS, RETD) GUJARAT CADRE, – GUJARAT BEHIND THE CURTAIN (3) Lt Gen Zahmeer Uddin Shah – THE SARKARI MUSSALMAN( 4) MANOJ MITTA – A STUDY OF THE GUJRAT 2002 INVESTIGATIONS, THE FICTION OF FACT FINDING, MODI & GODHRA, (5)CRIME AGAINST HUMANITY VOLUME NO. 1&2,508 PAGE, रिपोर्ट, जस्टिस कृष्ण अय्यर के नेतृत्व में, जस्टिस पी बी सावंत, जस्टिस होसबेट सुरेश, एडवोकेट के जी कन्नाबिरन, श्रीमती अरुणा राय पूर्व आय ए एस, तथा पूर्व डीजीपी डॉ. के. एस. सुब्रमण्यम, प्रोफेसर घनश्याम शाह और प्रोफेसर तनिका सरकार देश के विभिन्न क्षेत्रों आठ दिग्गजों ने, अथक प्रयासों के बाद इस रिपोर्ट को अंतिम स्वरूप दिया है !
जिसमें गुजरात के दंगों के सभी जधन्य घटनाओं से लेकर ! दो हजार चौरानवे लोगों की प्रत्यक्ष मुलाकात ! और लिखित बयानों को लेकर, दंगे में हत्या कर दी गई ऐसे लोगों के रिश्तेदारों से लेकर, दंगे में बड़ी मुश्किल से बच गए लोगों से लेकर ! जीनके घर तथा संसाधनोंको नष्ट कर दिया गया हो ! ऐसे लोगों से, और फोटोग्राफ से लेकर, एफआईआर, ऑडियो – विडियो टेप और कुछ एव्हिडेन्स इकठ्ठा करने के लिए जबरदस्त विरोध के बावजूद ! गुजरात के दंगों से पिडीत लोगों के बीच जाकर ! यह जांच करना बहुत ही मुश्किल काम था ! क्योंकि सरकारी विभागों के सर्किट हाउस में सुरक्षा के बहाने कहकर रहने के लिए जगह नहीं दी गई ! कुछ सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों ने अपने नाम नहीं लिखने की शर्त पर ! क्राईम अगेंस्ट ह्यूमानिटी कमिशन को कुछ जानकारी दी है ! और प्रशासन की ओर से कानून व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश नहीं की गई के लिए सिधा इशारा तत्कालीन मुख्यमंत्री के तरफ किया है ! उल्टा जिन चंद अफसरों ने अपने कर्तव्यों का पालन करने की कोशिश की है ! उन्हें सजा दी गई ! उदहारण के लिए, मंत्रिमंडल की 27 फरवरी की बैठक में ! तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी ने “कल से गुजरात में जो भी कुछ होगा उसे खुली छूट देना है ! और कोई भी हिंदू समुदाय के लोगों को रोकने का काम नहीं करेंगे !” यह उस बैठक में शामिल संजीव भट्ट (आई पी एस) और श्री. हरेन पंड्या नामके मंत्री ! जिनकी बाद में हत्या कर दी गई ! इन दोनों लोगों ने नरेंद्र मोदीजी ने गुजरात की कानून व्यवस्था बनाए रखने की जगह ! उसे बिगाड़ने का अपराध कीया है ! जिसके तहत उनके उपर मुकदमा दर्ज करके उन्हें सजा देने के जगह ! हरेन पंड्या की हत्या हो जाती है ! और संजीव भट्ट को किसी गलत मुकदमे में फसाकर आज जेल में बंद रहना पड रहा हैं !
और दर्जनों पत्र- पत्रिकाओं, तथा विभिन्न जांच रिपोर्टों को, कुछ समय के बाद फिर से देखने के बाद से ! बी बी सी के तरफसे दंगे के दौरान बनाई गई सव्वा घंटे की डॉक्यूमेंट्री ! तथा परजानिया नाम की हिंदी फिल्म से लेकर ! ऐन दंगे के दौरान ! तत्कालीन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के द्वारा कवर किए गए कॅप्शन्स ! मुख्यतः राजदीप सरदेसाई के तरफसे एन. डी. टी.वी के तरफसे “गुजरात की कहानी राजदीप सरदेसाई की जुबानी” नाम से हमनें नागपुर में धर्मनिरपेक्ष नागरिक मंच के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ! राजदीप सरदेसाई ने सिर्फ अपनी आंखों से क्या देखा ? सिर्फ उतना ही बताने हेतु एक कार्यक्रम नागपुर धर्मनिरपेक्ष मंच के द्वारा आयोजित ! में शामिल आर. एस. एस. के लोग भी किंकर्तव्यमूढ होकर सुन रहे थे ! और अभी ताजा बी. बी. सी. के डाक्यूमेंट्री को भले ही वर्तमान भारत सरकारने बैन किया होगा ! लेकिन वायर से लेकर अन्य सोशल मीडिया में ! नरेंद्र मोदीजी को उस डाक्यूमेंट्री में ! सिर्फ एक ही सवाल पुछने ! और मोदीजी ने उसका जवाब देने का वाकया ! काफी व्हायरल होकर देखने में आ रहा है ! उसमें बीबीसी की प्रतिनिधि मोदीजी को पुछ रही है की ! ” आप से दंगे के समय क्या करने में चुक हो गई ?” तो जवाब में उन्होंने कहा कि “मिडिया को कंट्रोल करने में ! बहुत बडी चुक हो गई !” बिल्कुल पते की बात उन्होंने बताई है !
अन्यथा आज गत नौ वर्ष की उनकी सत्ता में आने के बाद ! जो चुक उनसे गुजरात के दंगों के दौरान हो गई थी ! उस समय की, की गई गलती को दुरूस्त करने का काम ! उन्होंने देश के सर्वोच्च पद पर कार्यरत होते ही तुरंत ही ! मिडिया को उन्होंने अपने सामने बगैर किसी आपातकाल ! या सेन्सॉरशिप से उनके मर्जी के बगैर प्रिंट मीडिया से लेकर ! इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदीजी के सत्ता के भाट की भूमिका में ! वर्तमान समय में भारत का तथाकथित मुख्यधारा का मिडिया ! अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भूल कर ! पूराने बादशाह या राजाओं के किराए के भाट होते थे ! उस भुमिका में आजके तथाकथित अभिव्यक्ति के आजादी के युग में चले गए हैं ! यह स्तिथी आपातकाल की घोषणा और सेंसरशिप की पाबंदियां के बावजूद ! उस समय काफी पत्र – पत्रिकाओं ने अपने कर्तव्यों का पालन किया था ! लेकिन आज उस तुलना में ! हमारे देश के मिडिया संस्थाओं ने ! जो धन्नासेठों के कृपा से चल रहे हैं ! इस कारण उन्होंने सरकार के सामने घुटने टेक दिए हैं !
नरेंद्र मोदीजी को इस देश के प्रधानमंत्री बनने को इस मई में नौ साल होने जा रहे हैं ! आजादी के बाद से हमारे देश के हर प्रधानमंत्री ने मिडिया को ! साल में एक या दो बार, मिलकर देश – दुनिया की स्थिति को लेकर बातचीत करने का क्रम ! नरेंद्र मोदीजी ने खत्म कर दिया है ! उसी तरह राष्ट्रीय एकात्मता परिषद की बैठकों को उन्होंने आजतक नही बुलाई है ! मुझे तो शंका है ! कि राष्ट्रीय एकात्मता समिति का अस्तित्व भी है क्या ? भारत की आजादी के बाद से जो भी संविधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता थी ! वह नरेंद्र मोदीजी सत्ता में आने के बाद खत्म कर के ! सभी संस्थानों को सरकारी पोपट (यह जुमला खुद प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के सत्ता के समय इस्तेमाल किया है !) बनाने की कोशिश की जा रही है ! जिसका आई बी, सीबीआई, ईडी, न्यायपालिका ! और सबसे संगिन बात हमारे देश का सर्वोच्च सभागृह ! जिसे राज्यसभा और लोकसभा कहा जाता है ! उसकी कार्यप्रणाली को देखते हुए ! संसदीय सभागार को ! सरकार के लिए विशेष रूप से ! नियमों का गलत इस्तेमाल कर के ! सुविधाजनक चर्चा को रेकॉर्ड करना ! और असुविधाजनक चर्चा या शब्दों को सदन की कार्यवाही से हटाने के निर्णय ! किस बात के परिचायक है ? मतलब यह संसद न होकर सिर्फ सरकार मे बैठे हुए सत्ताधारी दल का पार्टी कार्यालय हो गया है ! यह देखकर लगता है कि ! भारत के जनतंत्र की मृत्युघंटा सुनाई देती है ! नरेंद्र मोदीजी ने 2001 के अक्तूबर से 2014 के मई माह में ! प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के पहले तक ! कम-से-कम तेरह साल से भी अधिक समय ! गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर कार्यरत रहते हुए ! उन्होंने यह पॅटर्न विकसित किया था ! वहां की विधान सभा के कार्यकाल कम करने से लेकर ! सभी संविधानिक संस्थाओं को अपने मनमर्जी से चलने के लिए मजबूर किया था ! और इसी कारण 27 फरवरी 2002 की गोधरा की घटना के तुरंत बाद ही ! खुद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने, गोधरा जाकर 59 अधजले शवो को तत्कालिन कलक्टर जयती रवि की आपत्ति की अनदेखी करते हुए
! सभी शवों को गुजरात वीएचपी के अध्यक्ष के हवाले करने की कृती को क्या कहेंगे ? क्या यह एक मुख्यमंत्री को प्रदेश की कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी वहन करने का उदाहरण कहेंगे ? या एक दो प्रतिशत से भी कम जनसंख्या की जाती में पैदा हुए ! ( खासी तेली ) नरेंद्र मोदीजी को अपने राजनीतिक करियर बनाने के लिए भुनाने की कृतियों में शुमार किया जायेगा ? क्योंकि अक्तुबर 2001 में अचानक मुख्यमंत्री के रूप में भेज दिये गये ! नरेंद्र मोदी उसके पहले अपने जीवन में ग्रामपंचायत का भी चुनाव नही लडे थे ! लोकसभा – विधानसभा तो बहुत ही दूर की बात है ! कई समाजशास्त्रियों की मान्यता है ! “कि नरेंद्र मोदीजी ने अपने राजनीतिक करियर बनाने के लिए ! गोध्रा के घटना का बखुबी इस्तेमाल किया ! और उसके प्रमाण में दर्जनों लोगों ने ! बहुत ही कडी मेहनत से नरेंद्र मोदीजी और गोधरा कांड ! तथा उसके बाद से 27 फरवरी को दोपहर से ही ! नरेंद्र मोदीजी ने इस हादसे को अपनी चौवालिस इंच की छाती को बारह इंच बढाकर ! और अपने गृहनगर वडनगर के ग्रामपंचायत में भी चुनकर आने की हैसियत नहीं रहने वाले आदमी ! रातोंरात हिंदूहृदयसम्राट का तमगा अपने आप को लगा कर ! आज भारत की छाती पर मुंग दल ने मे कामयाब हो गए हैं ! इस काम में आजादी के बाद से लगातार चालिस साल से सत्ता में बनी कांग्रेस की भूमिका बहुत ही संदिग्ध है ! 2004 से 2014 के अप्रैल माह तक ! दस साल कांग्रेस की सरकार केंद्र से लेकर विभिन्न राज्यों में रहने के बावजूद ! नरेंद्र मोदीजी ने गुजरात के दंगों में हमारे संविधान तथा सभी नैतिक मूल्यों की ऐसी की तैसी करने के बावजूद ! तथाकथित एस आईटी और अन्य कार्रवाईयों का सिर्फ नाटक किया ! और नरेंद्र मोदी को सजा देना तो दूर की बात है ! उल्टा उन्हे बेस्ट मुख्यमंत्री के पुरस्कार से सम्मानित करने की कृती ! तथाकथित राजीव गांधी फौंडेशन के सौजन्य से की गई है ! आज राहुल गांधी को चार हजार किलोमीटर पैदल चल कर तथाकथित भारत जोडो यात्रा करने की नौबत क्यों आई ? हमारे कुछ राजनीतिक तथा बौद्धिक, शैक्षणिक, भाषाविदों से लेकर कई लोगों को राहुल के साथ दो कदम चलते हुए ! सेल्फी के फोटो और कुछ लोगों के लेख देखकर मै हैरान हूँ ! की क्या यही कांग्रेस है ! जिसने अपने कार्यकाल में नरेंद्र मोदी को सजा देने की जगह पुरस्कृत करना ! और अब नरेंद्र मोदी के चुंगुल से देश को छुड़ाने की बात बेमानी लगती है !
क्योकि इसी कांग्रेस के 2004 से 2014 के 10 साल के कार्यकाल में ! हम लोगों ने 1 जून 2006 के नागपुर स्थित संघ मुख्यालय के उपर ! तथाकथित फिदायीन हमले की जांच करने के बाद ! तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख और उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री श्री. आर. आर. पाटील तथा केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटील, सुशिल कुमार शिंदे तथा आईबी, सीबीआई ! तथा महाराष्ट्र के सभी जिम्मेदार पदाधिकारियों को ! नागपुर के संघ मुख्यालय के तथाकथित फिदायीन हमले से लेकर ! नांदेड 6 अप्रेल 2006 के राजकोंडावार के पाटबंधारे नगर के ‘नृसिंह – निवास’ पर हुए बम विस्फोट की घटना ! तथा मालेगाँव के 2006 और 2008 के दोनों बम विस्फोटों की जांच के रिपोर्ट ! तत्कालीन कांग्रेस की राज्य और केंद्रीय सरकारों को सौंपा गया है ! लेकिन हेमंत करकरे और उनके साथ शेकडो लोगों की मौत हो गई ! लेकिन उस घटना की जांच के नाम पर ! लिपापोती के अलावा कुछ नहीं हुआ ! अन्यथा उन घटनाओं की अपराधियों में से एक वर्तमान लोकसभा में सदस्य कैसी बनीं है ? और प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह तक ! कि जिनके बारे में दर्जनों अपराधीक मामलों के बावज़ूद ! वह चुनाव में कैसे खड़े हो सकते हैं ? और चुनाव जितने के बाद भारत के सर्वोच्च पद पर विराजमान होते हैं ! यह हमारे देश की संसदीय राजनीति के वर्तमान स्वरूप के बारे में कई सवाल खड़े करते हैं ? लेकिन इन बातों पर ध्यान देना तो दूर की बात है ! लोग शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सर गडाकर ! अध्यात्म से लेकर मानसिक शांति ! और सबसे हैरानी की बात हमारे बौद्धिक जगत में ! कुछ अपवाद छोड़कर पशु, पक्षियों से लेकर गीलहरिया! कुत्ते – बिल्ली तथा मनःशांति जैसे मुद्दों पर चर्चा करने में अपना समय गवा रहे हैं ! अरे भाई जिस मुल्क की निंव को खत्म करने की साजिश जारी रहते हुए ! अन्य विषयों पर अपनी उर्जा और समय बर्बाद करने का क्या मतलब है ?
गोधरा में 27 फरवरी को सुबह साबरमती एक्सप्रेस के एस – 6 कोच की आग से लेकर ! संपूर्ण गुजरात में कुछ महिनों तक चलाया गया ! दंगे के बाद, लिखी गई जानकारी को गौर से पढने के बाद ! मै इस नतीजे पर पहुंचा हूँ ! “कि साबरमती एक्सप्रेस में लगाई गई आग से लेकर ! उसीको लेकर किया गया दंगा, एक साजिश के तहत किया गया है !”
जिसके बारे में जानबूझकर अनदेखी करते हुए ! नरेंद्र मोदी को कलिनचिट देने के लिए ही ! गुजरात राज्य के द्वारा गठित नानावटी कमिशन और डॉ. आर. के. राघवन (पूर्व सीबीआय के प्रमुख आज वर्तमान समय में भारत के सायप्रस नामके देश में एंबेसेडर के पद पर विराजमान है ! और एस आईटी की जांच करने के समय वह टाटा समूह के सलाहकार के पद पर कार्यरत रहते हुए उन्हे यह जिम्मेदारी सौंपी गई है ! टाटा समूह के नानो प्रोजेक्ट के लिए नरेंद्र मोदीजी ने विशेष सहुलियत देकर गुजरात में कारखाना खोलने की इजाजत दी है ! और उसके बाद ही टाटा ने कहा कि नरेंद्र मोदीजी प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य है ! ) जो सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा नियुक्त किए गए स्पेशल इन्व्हेस्टिगेशन टीम के प्रमुख थे ! आर बी श्रीकुमार की Gujrat Behind The Curtain, 256 पन्नौकी की मानस पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित 2016 की पुस्तक को देखते हुए लगता है कि !
” नरेंद्र मोदीजी को दी गई तथाकथित क्लिनचिट सजमुच कितनी गंदगी से भरी हुई है ! क्योंकि नरेंद्र मोदी के उपर पहले दिन से ही गोधरा से लेकर ! उसके बाद राज्य पुरस्कृत दंगे के लिए भी वह कैसे जिम्मेदार है ! यह आर. बी. श्रीकुमार जो खुद वरिष्ठ पुलिस अफसर के पद पर कार्यरत थे ! (अपने गुजरात पुलिस सर्विस के आखिरी समय में ! वह कॅट के द्वारा केस जीतकर ! पुलिस महासंचालक के पद पर कार्यरत होकर निवृत्त हुए हैं ! ) अन्यथा नरेंद्र मोदी तो उन्हें सजा दिलाने के लिए विशेष रूप से कोशिश कर रहे थे ! जो अभी जकीया जाफरी की सर्वोच्च न्यायालयाने गुलबर्ग सोसायटी के केस को खारिज करने के !
चंद समय में तिस्ता सेटलवाड और आर. बी. श्रीकुमार जैसे जांबाज अफसर को गिरफ्तार कर लिया था ! ) और उन्होंने अपने कार्यकाल में खूद बहुत ही महत्वपूर्ण तथ्यों की तरफ ध्यान खिंचने के लिए ! 27 फरवरी 2002 के समय से , साबरमती एक्सप्रेस में उत्तर प्रदेश की पुलिस फैजाबाद से गोधरा तक आई थी ! और गोधरा में रेल के डिब्बे की आग लगने की घटना के प्रत्यक्षदर्शि थे ! उसी तरह आई. बी. के लोग भी कारसेवकों के साथ उसी गाडीमे थे ! जिनके बयान एस आईटी ने लेना चाहिएं थे ! जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान खींचा है ! ऐसे पांच नंबर के एफीडिवेट में “मैंने लिखकर दिया था ! और छठे एफीडिवेट में मैंने गुजरात पुलिस की मदद के लिए ! विशेष रूप से तैनात अर्धसैनिक बल ! और सेनाओं के अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए दस्तावेजों का परिक्षण करने के लिए लिखा था ! लेकिन वह एस आईटी ने नही किया ! वैसाही आठवें शपथ-पत्र में मैंने मल्लिकासाराभाई की सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल जनहित याचिका को कमजोर करने के लिए ! मुख्यमंत्री के तरफसे संजीव भट्ट, उपायुक्त (गुप्तवार्ता), एस आई बी के माध्यम से, गुप्तचर विभाग के कोश का दुरुपयोग करने की तक्रार की जांच-पड़ताल करने का आठवे शपथ पत्र में लिखी थी ! लेकिन एस आईटी ने उसे भी अनदेखी किया ! उसी तरह मैंने नौवें शपथ-पत्र में अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृहविभाग अशोक नारायण ने मेरे तरफसे ! गुप्तचर रिपोर्ट, 24 अप्रैल 2002 को समावेश किया था ! जिसमें मैंने अहमदाबाद शहर के पुलिस आधिकारियो का मुस्लिम समुदाय के प्रति दुर्व्यवहार पूर्ण व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए कुछ उपाय सुझाएं थे ! और यह मुख्यमंत्रीजी के सामने भी प्रस्तुत किया था ! लेकिन उन्होंने कोई भी कार्यवाही नहीं की ! जिसकी एस आईटी ने कोई भी जांच नहीं की ! और इस बात पर अशोक नारायण ने किए स्पष्टीकरण की अॉडिओ टेप मौजूद रहने के बावजूद ! और इसी तरह के शपथ पत्र !
जस्टिस नानावटी के सामने प्रस्तुत करने के बावजूद ! उन्होंने ने भी मेरे द्वारा पेश किए गए शपथ पत्रो को अनदेखा किया ! तो यह दोनों जांच दलों के बारे में मेरी राय बन गई कि ! इन्हें दंगे में मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ इतना जधन्य कांड होने के बावजूद ! उससे दोनों जांच दल निस्पक्ष होकर जांच-पड़ताल करने की जगह पर, शत्रुतापूर्ण भावना से काम कर रहे हैं ! और मुख्यमंत्री तथा उच्च राजनीतिक पदो पर बैठे हुए लोगों को ! और प्रशासन में बैठे हुए अधिकारियों को ! क्लिनचिट देने के लिए ही बैठे हैं ! और वह दोनों जांच दलों के सामने, जो भी कुछ लोगों ने अपने सदसद्विवेकबुद्धी के कारण ! एस आईटी और नानावटी कमिशन को गोपनीय जानकारी दी ! वह तुरंत राज्य सरकार के पास पहुंचा देते थे ! इसकारण काफी लोग हताश और दुखी हुए ! और फिर आगे से जांच करने के लिए, कोई सहयोग करने का प्रयास कम कर दिये ! उल्टा दोनों जांच दलों ने इस प्रकार की मदद करने वाले लोगों के द्वारा दी गई जानकारी को लेकर ! जानबूझकर मिडिया में भ्रामक प्रचार प्रसार करने के लिए विशेष रूप से उपयोग में लाई गई !
उसी तरह गोधरा के साबरमती एक्सप्रेस के घटना की स्टोरी के शुरू में ही अशिश खैतान ने हिटलर का मशहूर वाक्य से शुरु किया है – “The bigger lie, the more people believe it” (जितना बड़ा झूठ उतने ज्यादा लोग विश्वास करते हैं ! ) यह गोधरा की घटना के संदर्भ में अशिश खैतान के द्वारा 3-11-2007 के अंक में प्रकाशित 106 पन्नौकी पूरी कहानी लिखी गई है जिसको अभी पुस्तक के रूप में भी प्रकाशित किया गया है ! “GROUNDBREAKING INVESTIGATION, TEHELKA SPECIAL ISSUE, THE MOST IMPORTANT STORY OF OUR TIME, THE TRUTH GUJARAT 2002” IN THE WORDS OF THE MEN WHO DID IT, RIOTERS, RAPISTS, KILLERS, BOMB – MAKERS, POLICE COLLUSION, LEGAL SUBVERSION, EHSAN JAFRI, GODHRA, BABU BAJRANGI, NARODA PATIYA, NARENDRA MODI.
इस मे अशिश खैतान ने लगभग जितने भी नाम या घटनाओं का उल्लेख किया है ! उन सभी से प्रत्यक्ष मिलकर उनसे बात कर के उनके खुद के मुहँसे सुनें हुए तथ्यों को दिया है ! जिसमें बाबु बजरंगी ने कहा कि नरेंद्र मोदीजी ने खुद कहा कि “हमने तुम्हें तीन दिन का समय दिया है और उसमे तुम लोग जो भी कर सकते वह करने की बात !” बाबू बजरंगी कर रहा है !
अशिश खेतान के साथ बातचीत में बजरंगी ने कहा कि “नरेंद्र मोदीजी मर्द आदमी है ! अगर उन्होंने कहा कि अपने आपको बॉम्ब बांधकर उडा लो ! तो मैं एक सेकंद के भीतर यह कर सकता हूँ !” अडॉल्फ हिटलर ने अपने स्टॉर्म स्टुपर्स नामक बच्चों के संघठन में (आर. एस. एस. के जैसे ! ) इसी तरह के रोबोट, जो हिटलर के कहने पर चारमंजील के इमारत के छत पर से कुद सकते थे ! और इन्ही बच्चों के पेटपर बम बांधकर उन्हें विमान से पैराशूट के साथ, शत्रुओं के समुद्री जहाजों की चिमनियों के अंदर कुदने के लिए विशेष रूप से ट्रेनिंग देखकर भेजा जाता था ! गुजरात में बजरंगी से लेकर बंजारा, अमित शाह, माया कोडनानी के जैसे शेकडो लोगों को अपने जान पर खेलते हुए ! अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के उपर फिर वह हरेन पंड्या की हत्या में लिप्त ! सोहराबुद्दीन और उसकी पत्नी कौसरबी या उनका सहयोगी तुलसी प्रजाति को मौत के घाट उतारने का मामला हो !
तथा 27 फरवरी 2002 के बाद 59 अधजले शवो को लेकर जुलुस निकालने की बात हो ! या नरोदा पटिया के पांच सौ से अधिक मुस्लिम परिवार के सदस्यों को एस आर पी के कॅम्पस में जगह नहीं देकर हजारों की संख्या में आएं हुए हमलावरों के हवाले करने के कारण दो सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई है ! और उसी तरह बड़ोदरा के बेस्ट बेकरी से लेकर अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसायटी में के सभी लोगों को जिंदा जला देने की बात हो ! यह सबकुछ पुलिस – प्रशासन और गांधीनगर में बैठे हुए सर्वोच्च पद पर बैठे लोगों में जिसमें नंबर एक पर नरेंद्र मोदी जिन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राजधर्म का पालन नहीं किया जैसी खरी – खोटी सुनाई है !
28 फरवरी के श्याम सेही भारत की सेना के तीन हजार जवानों को ! साठ खेप उडानो से लेफ्टिनेंट जनरल जमीरूद्दीन शाह के नेतृत्व में जोधपुर से लेकर आने के बावजूद ! उन्हें गुजरात दंगों को रोकने के लिए कौन जिम्मेदार है ? लगभग तीन दिन तक तीन हजार जवानों को अहमदाबाद के बाहर पडे रहने देना ! क्या भारतीय सेना के जवानों का अपमान करने की कृती नही है ? सबसे हैरानी की बात लेफ्टिनेंट जनरल जमीरूद्दीन शाह खुद 28 फरवरी को रात दो बजे ! अपने साथ लाई हुई जिप्सी से स्थानीय गाईड की मदद से मुख्यमंत्री के आवास पर रात के दो बजे पहुंचते हैं ! तो मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन रक्षा मंत्री श्री जॉर्ज फर्नाडिस खाना खा रहे थे ! और उन्होंने मुझे भी जॉईन होने के लिए कहा ! तो मैंने उन्हें खाने के टेबलपर कहा! “कि हम कई घंटे से अहमदाबाद उतर चुके है ! लेकिन हमें लोकल लॉजिस्टिक्स और मॅजिस्ट्रेट नही दिया गया है ! प्लिज देने की कृपा करें !” लेकिन उसके बाद भी तीन दिन तक हमे कोई लॉजिस्टिक और मॅजिस्ट्रेट नही दिया गया ! जिसकी पुष्टि बाबु बजरंगी अशिश खैतान के साथ इंटरव्यू में ! बाबू बजरंगी ने कहा कि ! ” नरेंद्र मोदीजी ने हमें तीन दिन तक का समय दिया है ! और कहा कि इन तीनों दिनों के भीतर जो भी कुछ करना है कर लो !” स्थानीय पुलिस और प्रशासन को 27 फरवरी की कॅबिनेट की बैठक में साफ – साफ कहा था ! “कि कोई हिंदूओं को रोकने की कोशिश नहीं करेगा ! और उन्हें जो कुछ करना है ! वह करने के लिए विशेष रूप से उन्हें कोई भी रोकने का काम नहीं करेंगे ! ” और इसी कारण स्थानीय पुलिस और प्रशासन मुकदर्शक बना रहा है !
और कुछ घटनाओं में खुद शामिल रहे हैं ! लेकिन इस बात का सज्ञान नहीं नानावटी कमिशन ने लिया और न ही एस आईटी ने ! उल्टा आर बी श्रीकुमार जैसे जांबाज अफसर ने दोनों जांच एजेंसियों को नौ – नौ एफीडिवेट करके कई महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में दोनों एजेंसियों को सज्ञान लेकर जांच करने के लिए की गई कोशिशों को पूरी तरह से अनदेखी कर के नरेंद्र मोदीजी को क्लिनचिट देने का काम किया है ! यह सब देखकर तथाकथित मास्को ट्रायल्स का एक्सरसाइज याद आ रहा है ! और नरेंद्र मोदीजी ने बिल्कुल उसी तरह से केंद्र सरकार के प्रमुख की जिम्मेदारी सम्हालने के बाद तो हमारे देश की सभी संविधानिक संस्थाओं को अपने मनमर्जी से चलने के लिए मजबूर कर दिया है ! हिटलर ने भी जर्मनी में इसी तरह का प्रयास किया था और उसका नतीजा क्या हुआ है ? यह संपूर्ण विश्व को मालूम है ! शायद नरेंद्र मोदीजी को भी अपने तरह से मालूम होगा इस उम्मीद के साथ इसे समाप्त कर रहा हूँ !
डॉ सुरेश खैरनार 26 फरवरी 2023, नागपुर