आज देश को आजाद होकर 77 साल पूरे हो रहे हैं !और 26 नवम्बर संविधान दिवसको 74 साल पूरे होने जा रहे हैं ! और हर 10 दिसम्बर को विश्व मानवाधिकार दिवस जोर – शोर से मनाया जाता है! इसके अलावा 8 मार्च को आंतरराष्ट्रीय महिला दिवस भी विशेष रूप से मनाया जाता है ! इन सभी कर्मकांडों के बावजूद, लेकिन क्या सचमुच महिलाओं की मुक्ति हुई है ?
मै खुद महात्मा ज्योतिबा फुले ,डॉ. बाबा साहब अंबेडकर के महान महाराष्ट्र से हूँ ! और मेरा जन्म तथाकथित 96 कुल मराठा समाज में हुआ है ! और मैंने पैदा हुआ तबसे हमारे घर की महिलाओं को दिन में कभी भी पुरूषों के सामने से आते-जाते नहीं देखा है ! यहां तक कि मेरे माता-पिता को भी घर के घर में, आपसमे बात करते हुए नहीं देखा है !


हम मुस्लिम महिलाओं के हुकुक की चिंता तो करते हैं ! लेकिन दिया तले अंधेरा वाली बात मैंने देखी है ! मेरे गाँव का सत्यशोधक गाँव में शुमार होता था ! और मैंने अपने आँखो से तथाकथित सत्य शोधक नेता कहलाते थे, उनके घरों की महिलाओं को दिन में कभी भी गाँव में इधर-उधर आते-जाते नहीं देखा है ! हालाँकि यह 60 साल पहले की बात है ! लव-जेहाद की बात चल रही है, तो याद आया कि, हमारे गाँव में एक किसान परिवार मे जो की मराठा थे, शायद सुनहार जाती कि महिला से शादी की थी ! तो सोनारीन को रखा है ! और दूसरे मराठा प्रोफेसर ने कुलकर्णी नाम के मैडम से शादी की थी, तो बामनीन रखी है ! यह भाषा इस्तेमाल किया करते थे ! सत्य शोधक गाँव के लोग !
मैंने बचपन से ही अपने खुद के घर में सब से पहले पूरूष खाना खानेके बाद ही, घर की महिलाओं के खाने होते हुए भी मैंने खुद अपने ही घर के अंदर देखा है ! क्योंकि पुरुष चटखारे लेते हुए तबीयत से खाना खाते समय कभी भी ध्यान नहीं देते थे कि हम जो खां रहे इसमें से महिलाओं के लिए कुछ बच रहा या नहीं ! और अमूमन महिलाओं के लिए बचा – खुचा खाना ही खाना पड़ता था ! कुपोषण के शिकार किस तरह से महिलाएं होती है ? यह उसका क्लासिकल उदाहरणों मेसे एक है ! मेरी राय है कि अॅनिमिया कि शिकार, औरतों में सिर्फ आर्थिक मुद्दों से नहीं नापना चाहिए, इसमें संपन्न परिवार की महिलाओं का भी समावेश होता है ! उल्टा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे लोग, सभी स्री-पुरूष दोनों कुपोषण के शिकार होते हैं ! क्योंकि खाने-पीनेके मामले में दोनों एक जैसा ही खाना खाते हैं ! उल्टा तथाकथित संपन्न लोगों मे महिलाओं को पैदा होने से ही, घुट्टी में पिलाया जाता है, कि तू लडकी है ! यह एहसास कदम- कदम पर दिया जाता है ! इसके लिए सिमाॅन द बोऑ की ‘सेकंड सेक्स’ नाम कि किताब बहुत ही बेहतरीन और बायोलोजी से लेकर सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक पहलुओको देखकर लीखि है ! और प्रभा खैतान ने बहुत ही सुंदर ढंग से हिंदी मे अनुवाद किया है ! हर सामाजिक काम कर रहे लोगों को उसे पढने की जरूरत है ! और नाम भी कितना यथायोग्य है’ सेकंड सेक्स’ !
अस्सी के दशक के शुरूआती दौर से आज तक बिहार में जेपी आंदोलन के कारण आना-जाना शुरू है ! और वहाँ पर कुछ हमारे समाजवादी, गाँधी-विनोबा के अनुयायी मित्रों के घरों में पहुंच ने के बाद, देखा कि खाना, चाय-पान सब कुछ बराबर आ रहा है ! लेकिन बनाने वाले हाथ नहीं दिखाई देते थे ! आज भी पचास साल से ज्यादा समय हो रहा है ! और हमनें हमारे कुछ मित्रों की जीवन संगिनी के दर्शन नहीं किया है !


हालाँकि उन्होंने अपने नेता जेपी-प्रभावती जी की जोड़ी महात्मा गाँधी-कस्तूरबा जैसा ही बिहार के सार्वजनिक जीवन में देखा है ! लेकिन यह अपवाद छोड़ दे, तो बिहार -उत्तर भारत के सभी प्रदेशों में महिलाओं की स्थिति आज भी बहुत अलग नहीं है ! एक समाजवादी नेता कभी कुछ समय के लिए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर भी चले गए थे ! और उनके पुश्तैनी घर पर मृणाल ताई गोरे और कुछ महिलाओं को जाने का मौका मिला है ! तो मृणाल ताई गोरे ने मुझे बताया “कि बैठक के कमरे में शामिल हम कुछ बाहरी महिलाओं को छोड़कर, औरतों की कमी मुझे खल रही थी ! तो मै अपनी महिला होने का फायदा उठाकर घर के अंदर चली गई थी ! और घर की महिलाओं के साथ जानबूझकर मिली, और बातचीत से पता चला कि, उसमें कोई एम ए तो कोई ग्रेजुएट थी ! और उन्हें बैठक में आने की मनाही थी ! ” और आपको भी याद आ रहा होगा कि ऊनके प्रधानमंत्री के कार्यकाल में उनकी पत्नी कभी भी किसी सार्वजनिक जीवन में नहीं देखा है ! हालाँकि वह उत्तर भारत के आचार्य नरेन्द्र देव के और जयप्रकाश नारायण जी के मानस पुत्र भी माने जाते थे !


भागलपुर दंगेके बाद का काम करते वक्त 1990-91 के दरम्यान हमारे टीम को ज्यादा समय मुस्लिम बस्तियों में अक्सर जाना पडता था ! क्योंकि सबसे ज्यादा तबाही मुसलमानों की ही हुई थी ! औरतो को वहां के घरों के झरोखे से कुछ ऑखे हम लोगों को बहुत ही गौर से देखने के लिए इकट्ठा होते हुए हम जानते थे ! और वहा भी खातिरदारी मे कोई कमी नहीं होती थी ! लेकिन खाना बनाने वाले हाथ नहीं दिखाई देते थे ! तो एक बार हमारे साथ अक्सर आने वाले महिलाओं में शामिल मनीषा बॅनर्जी, वाणी सिन्हा, शामली खस्तगिर और वीणा आलासे ने मिलकर मुझे कहा कि राजपूर नाम के मुस्लिम बहुल गाँव में एक्सक्लूसिव रूपसे सिर्फ महिलाओं की बैठक किसी के घरके छत पर श्याम को आयोजित की गई है ! और उस बैठक को संबोधित करने का जिम्मा मुझे सौंप दिया गया था ! मैंने छत पर चढने के बाद देखा, कि मनीषा, बाणीदी, श्यामलीदी और वीणादी छोडकर बाकी सभी औरतों ने बुर्का पहना हुआ था ! लेकिन मेरे संबोधित करते हुए, कब सब बुर्के के चेहरे खुले हो गये हैं, कि मै खुद झेंप गया था ! और बादमे अंधेरा होने तक हमारी बैठक बहुत ही सुंदर और काफी खुशनुमा माहौल में चली थी !
वैसेही दसेक साल पहले अलिगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ‘मौलाना आजाद’ स्मृति भाषण के लिए गया था ! तो मुख्य भाषण केनेडी हाल ही में हुआ था ! और सभी विद्यार्थियों को निचेके हाल में, और विद्दार्थीनिया उपर की गैलरी में बैठी थी ! मुझे बाल्कनी में बैठी हुई लडकियां सिर्फ बुर्के ही बुर्के नजर आ रहीं थीं ! दूसरे दिन मै विश्वविद्यालय देखने के लिए विशेष रूप से ठहरा हुआ था ! तो मुझे मेरे मेहमान नवाजी के लिए कोई प्रोफेसर साहब की विशेष ड्यूटी लगाई गई थी ! और वह सुबह के नास्ते के बाद, मुझे विश्वविद्यालय की गाडी में बैठाकर घुमा रहे थे ! तो सर सैय्यद अहमद साहब की मजार पर भी लेकर गये थे ! और वहा पैदल चल कर वापस आ रहे थे, तो एक शेरवानी पहने हुए बुजुर्ग सज्जन आकर बहुत ही नम्रता से दुआ-सलाम कर ने के बाद, बोले कि “मै इस्लामिक स्टडीज़ के डिपार्टमेंट का हेड हूँ ! और कल के आपके भाषण से बहुत प्रभावित हूँ ! क्या आप अभी व्यस्त ना हो तो हमारे डिपार्टमेंट में कुछ देर गुफ्तगू के लिए आ सकते ?” तो मैंने कहा कि “आज मै सिर्फ विश्वविद्यालय में तफरीह कर रहा हूँ ! तो चलिए आपके डिपार्टमेंट में भी कुछ समय के लिए आता हूँ ! “और इसतरह ऊनके साथ हो लिया, और जब उनके डिपार्टमेंट में पैर रखा तो बहुत ही छोटा हाल में बुर्के मे बैठी हुई विद्यार्थीनो से खचा खच भरा हुआ था ! और हेड ने कहा कि ” कल आपने पूरे विश्व के ही मुसलमानों को कैसे एक योजना बद्ध तरीके से पोलिटिकल इस्लाम के नाम पर टारगेट किया जा रहा है ! और यही कारण है कि हमारे डिपार्टमेंट के यह बच्चीया जो कल आपका भाषण गैलरी से सुनने के बाद आपके बारे में काफी कुछ बोल रहे हैं ! तो जैसे ही मैंने आपको मजार पर जाते हुए देखा तो आपको यहां चलने की जहमत उठाने की तकलीफ दी है ! मैंने कहा तकलीफ नहीं आपने मेरे उपर उपकार किया है ! क्योंकि हिन्दू-मुस्लिमके मसले पर ही मेरा भागलपुर दंगेके बाद का काम होने के कारण और उसमें विशेष रूप से महिलाओ पर मेरा ज्यादा ध्यान है ! क्योंकि पुरी दुनिया में कहीं भी दंगेके और युद्ध के जख्म महिलाओं को ज्यादा सहने पडते हैं ! और मैंने देखा कि लगभग सभी लड़की के चेहरों पर के उपर उठाये जा चुके थे ! और सभी लडकियों के साथ, कमसे कम दो घंटे से ज्यादा समय के लिए बहुत ही गंभीर बहस मुहाबसा चला ! जबकि मेरे होस्ट प्रोफेसर साहब ने जब मुझे बताया कि टीचिंग स्टाफ के साथ आपके दोपहर के खाने और उसके साथ गुफ्तगू का समय हो गया है ! तब कहीं उन बच्चियो के साथ लगातार बात चल रही थी ! उसमें से कुछ बच्चियों ने मेरे ईमेल और फोन नंबर भी मांगे थे !
दुनिया कि आधी आबादी महिलाओं की है ! लेकिन कमअधिक प्रमाणमे महिलाओं की स्थिति आज भी काफी गैरबराबरी की है ! और सबसे खराब स्थिति दुनियाँ के जिन भागो में आज भी सामंती व्यवस्था का आलम जारी है , वहा की महिलाओं की स्थिति और भी बदतर है !
जिसमें भारत के उत्तर और दक्षिण -पस्चिमी एशिया के लगभग सभी देशों में महिलाओं की स्थिति आज भी बहुत ही दयनीय है ! तहमीना दुर्रानी, तस्लीमा नासरीन, शिरीन अबादिके लेखनों से पता चलता है, कि आज भी महिलाओं को दासी के रूप में ट्रिट किया जाता है !
और तथाकथित पस्चिमी सभ्यता मे एक कमोडिटी के रूप में ! तू चीज बडी है मस्त मस्त गाना उसी मानसिकता का परिचायक है ! क्योंकि वह चीज है ! यानी वस्तु, जिसे इस्तेमाल किया जाता है ! और इसीलिए उनके शरीर के प्रदर्शन की होड लगी हुई है ! एडवरटाइजिंग के और फैशन शो में किनका प्रदर्शन सबसे ज्यादा और कितने फुहड-भौडेपन से होता है ? फिर वह पुरुष के अंडरवियर का इश्तिहार हो या उसके दाढी करने वाले ब्लेड का हो कम कपड़ों में औरत ही होती है !
और उसकी ही उपज सेक्स ट्रेड ! हा यह एक इंडस्ट्री में तब्दील हो गया है !


मुझे याद आ रहा है, 1993-94 मे नेपाल ह्यूमन राइट्स (हूँरोन)के संमेलन में शामिल होने का मौका मिला था ! और उसका उदघाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री गिरीजा प्रसाद कोईराला जीने कीया था ! और मुझे भी बोलने का मौका मिला था ! तो अन्य वक्ता राजशाही, पुलिस, सेना के जुल्म को लेकर बोले रहे थे ! और मेरी बारी आई तो मैंने कहा कि “आप ने मेरे पहले के सभी वक्ताओ को सरकार, राजपरिवार और उनके द्वारा किया जा रहा जुल्म, अत्याचार एवं शोषण के अनेकानेक निन्दनीय कृत्यों से अवगत कराया गया है ! लेकिन मै भारत से आया हूँ ! और कलकत्ता से हूँ ! और मुलताह महाराष्ट्र से हूँ ! मैंने एक बात बचपन से ही नोटिस की है, कि भारत के कस्बे से लेकर कलकत्ता, मुंबई, दिल्ली जैसे महानगरों के वेश्यालयों में 50% की संख्या में नेपाल की बच्चीयोको देखा हूँ ! और हूरोन के चिंता-चिंतनके आसपास भी मुझे इस विषयपर किसी को भी नहीं देखा ! यह मेरे लिए बहुत ही गंभीर बात लगती है ! और अब तो राणाशाही खत्म हो चुकी है, और जनतंत्र की शुरुआत हुई है ! तो मै माननीय प्रधानमंत्री महोदय से उम्मीद करता हूँ कि अब यह सब मनुष्य तस्करी का व्यापार बंद करने के लिए विशेष रूप से प्रयास होना चाहिए !”
तो मेरे भाषण के तुरंत बाद ही फिरसे प्रधानमंत्री गिरीजा प्रसाद कोईराला जीने माईक पर आकर मेरा नाम लेकर घोषित कर दिया की ” मै डाॅ. सुरेश खैरनार जी को आश्वासन देता हूँ, कि यह प्रथा समाप्त करने के लिए विशेष रूप से मेरे सरकार के तरफसे मै कोशिश करूँगा !”
कश्मीर और फिलिस्तीन में मैंने महिलाओं को हर क्षेत्र में काम करते हुए देखा है ! और वह कहीं भी पुरुषों से कम या पीछे नहीं लगी ! वही इराक, इराण और टर्की के कुर्रदिश बहुल त्रिकोणीय इलाके जो टोटल कुर्दिस्थान भी कहा जाता है ! उस क्षेत्र में मैंने देखा है, और वह औरतें जीन्स टी शर्ट और लडाई से लेकर गाडी-घोडे पर आसीन होकर चलाते हुए देखा है ! और वह भी जीवन के हर क्षेत्र में काम करते हुए देखा है ! और वह आजकल इसीस के सेना के साथ भी लोहा मोल ले रही है ! अबू बक्र बगदादि के सेना को पहले इन्ही कुर्रदिश महिलाओं ने पछाड कर पीछे ढकेला था ! तो मैंने उनका अभिनंदन का मेल किया, तो तुरंत उन्होंने लिखा था कि वहाँ बैठे-बैठेसिर्फ अभिनंदन करने के बजाय हमारे साथ आइये ! तो मैंने जवाब में लिखा था ! “कि मै 65 पार कर चुका हूँ !”

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