आज स्कूल के सर्टिफिकेट के अनुसार मेरा जन्म दिन के बहाने मेरे भागलपुर के मित्र उदय ने यह फोटो देकर मेरी याददाश्त ताजी कर दी ! असल मे यह फोटो कश्मीर के एक गाँव की ऐसी जगह की है जहाँ 2016 के अगस्त मे बुरहान वनी की हत्या के बाद सबसे लंबे बंद के दौरान मुझे राष्ट्र सेवा दल के तरफसे कश्मीर के हालात का जायजा लेने के लिए भेजा था तो य5ह बांदीपोरा जिले का एक इलाका है जहाँ सोलह अगस्त 2016 के दिन भारतीय सेनाi ने चार इसी गांव के लोगों को गोलियों से छलनी कर मारा गया था!
तो इन सीढियों से उतरने के बाद सेना का एक जथ्थे ने हमें घेरकर हमारे और गांव वालों के उपर बंदूकें तान कर पोजीशन लेली थी!तो मैंने कहा कि आप ने पहले ही चार लोगों को गोलियों से छलनी कर मारा है ! और मुझे राष्ट्र सेवा दल के तरफसे कश्मीर के हालात का जायजा लेने के लिए भेजा है ! तो क्या मैं एक भारत के नागरिक होने के नाते मुझे कश्मीरी लोगों को मिलना, बात करने की भी मनाही है ? तो जवान बोला ट्रक के अंदर हमारे अफसर बैठे हैं आप उनसे बात करो ! तो मै ट्रक के पास जाकर देखा एक मंगोलियन लुकके अफसर से बात की तो उसने कहा कि आपको मालूम नहीं है कि कश्मीर मे कर्फ्यू लगा है ? और आप लोगों से मिलना और बातें करने की मनाही है !
तो मैंने कहा कि आप ने पहले ही चार लोगों को गोलियों से छलनी कर मारा है और नाही उनका पंचनामा और पोस्टमार्टम तथा अन्य फार्मालिटीज की है ! और हम आज पूछताछ के लिए महाराष्ट्र से यहाँ आये हैं ! तो आप लोग इस तरह मना कर रहे हो ? तो आप भारत की छवि खराब करने की गलती कर रहे हैं अफसर साहब ! अब आप को गोलियों चलाना है तो चलाओ लेकीन मै अपने इन्क्वायरी कीये बगैर नहीं जाने वाला तो उसने अपने जवानों को वापस ट्रक में बैठने के लिए कहा और निकल गया !
पर गांव वालों ने कहा कि आप ने आज और कुछ लोगों को गोलियों से छलनी होनेसे बचाया है अल्ला आप को लंबी उम्र दे ! मै जिस सिढीसे उतर रहा हूँ वह एक अनाज रखने का गोदाम था पर कर्फ्यू के कारण स्कूलों को भी बंद कर दिया था इसलिये एक बीएस्सी पास युवक अपने आप को बगैर कोई फिस लिए गांव के बच्चों को पढ़ाने की कोशिश कर रहा था तो वह देखने के बाद मै सीढियां उतर रहा हूँ ! और उसके सामने रोड के दुसरे तरफ चार लोगों को गोलियों से छलनी कर मारा गया था ! तो इनकी दफनाने की जगह पर मैं जा रहा था तो आर्मी के साथ हमारी मुलाकात हो गई ! खैर उसके बाद मै दफनाने की जगह पर जाकर प्रार्थना कीया और हर मारे गए व्यक्तियों के घर गया हूँ !
एक घर जो 25-30 साल के कारपेंटरी करके घर चलाने वाले को भी मार दिया था ! और उसकी तीन जवान अविवाहित बहने और सबसे छोटा भाई जिसे मैं गले लगाकर हिम्मत दे रहा था ! कि अब तुम्हारी जिम्मेदारी है घर चलाने की और बहनों की शादी करने की तो उसने कहा कि अगर मै जिंदा रहाँ तो !
तो क्योकी कश्मीर के हालात का जायजा लेने के बाद मुझे भी लगा कि कश्मीर मे आज कोई भी सुरक्षित नहीं है ! क्योंकि जिन सुरक्षा बलों को रखा गया है उन्हींकी गोलियों से ज्यादा लोग मारे गये हैं ! और भारत के साथ कश्मीर को मिलाने के लिए 370 को खत्म करने के संघ परिवार के दावे का खोखलेपन की पोल कश्मीरी लोगों को छोड़ कश्मीर की जमीन, पहाड़ लेकर क्या करना चाहते हैं ? तो आप संसार में सौ साल पहले के हिटलर और उसी हिटलर ने सताये हुए यहूदियों की तरह फिलिस्तीन के लोगों को भगाकर या मारकर इस्राइल कायम करने की बात भारत के इज्जत आबरू को दांव पर लगा कर कश्मीर हमारा है कहना बेमानी है !
पचहत्तर सालों से भी ज्यादा समय हो रहा कश्मीरी लोगों के दिलों को जित नहीं सके और 370 हटानेका काम कश्मीर के ताबूत में आखिरी कील ठोकने का पाप वर्तमान भारत के सत्ताधारी दल के तरफसे करने की गलती इतिहास मे काले करतूतों मे गिना जायेगा ! क्योंकि जब तक आप प्रेम और सम्मान के साथ फिर वह कश्मीर हो या उत्तर-पूर्व और लक्षद्वीप, रेडकॅरिडाॅर (नक्सल प्रभावित क्षेत्र) सिर्फ सिक्यूरिटीज फोर्स तैनात कर के और भी भारत विरोधी करने के लिए निमित्त हो रहे हैं और यही देशद्रोही काम भले आप सरकार होंगे लेकिन अंग्रेजी और अन्य विदेशी लोग भारतीय लोगों की भावनाओं की परवाह किए बिना राज किये थे तो लोग उनके खिलाफ उठ खड़े हुए और आप भी भले चुनाव जीतने की सर्कस करके सत्ता मे आये हो लेकिन जन विरोधी नीतियों फिर नोटबंदी हो या जी एस टी, रिजर्व बैंक के पैसोंको उठा लेना या तथाकथित नागरिकसंशोधन कानून हो या किसान-मजदूर के कानूनोंको पूंजीपतियों के पक्ष में करने के गुनाहगार कौन है ?
और इसके लिए कोर्ट, संसद, चुनाव आयोग, सीबीआई, ईडी, एन आई ए और सबसे खतरनाक बात हमारे देश की सेना जो अबतक राजनीतिक उठा पटक से दूर थी उसे भी इस्तेमाल करने की शुरुआत यह सबसे बड़ा राष्ट्र-द्रोही कृत्य वर्तमान सरकार द्वारा करना, और संपूर्ण मिडिया के उपर सरकारी कब्जा देश का आजसे छियालिस साल पहले का घोषित
आपातकाल से भी ज्यादा अघोषित आपातकाल और सेंसरशिप की याद दिलाती है ! कश्मीर के हालात का यह प्रसंग पर्याप्त मीटर है ! लगभग हर कश्मीरी मौत के साये में रह रहा है और हम आज जन्मदिन मना रहे मुझे कश्मीर, तथाकथित रेडझोन और अब कोरोनामे लाखो लोग मरते देखकर मेरे जन्मदिन की खुषीसे ज्यादा गम और अपराधका बोध महसूस हो रहा है !
मेरे आखों के सामने इस तरह किडे-मकोड़े जैसे लोग अस्मानी-सुलतानी करतूत के कारण मारे जाते हुए भला कैसे जन्मदिन की खुषी हो सकती है ? ठीक है हम परंपरा प्रिय लोग है कुछ परंपराओं को सालों साल निबाहते जाते हैं पर जन्मदिन को मैंने अपने अबतक कि जिंदगी में क्या खोया क्या पाया इस बात का अंतर्मुख होकर मंथन करता हूँ वैसे तो तुकाराम महाराज के अभंग आपुलाच वाद आपुल्याशी मतलब अपना वादविवाद अपने ही साथ तो मेरा चलते ही रहता है वह बात अलग है पर विशेष रूप से मेरे जन्मदिन के समय मेरे अंदर के दुसरे सुरेश द्वारा मुझे बहुत जवाब-तलब किया जाता है तो आज उदयजीने कश्मीर यात्रा की पाँच साल पहले की फोटो देकर मेरी याददाश्त ताजी कर दी जिससे इतना मुक्तचिंतन हो गया !