जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकियों ने शुक्रवार को 4 पुलिसकर्मियों को उनके घरों से अगवा कर तीन की हत्या कर दी. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इन्हें ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन भी शुरू किया है. बताया जा रहा है स्थानीय आतंकियों ने इन पुलिसकर्मियों का अपहरण किया था. जिनमें 3 स्पेशल पुलिस ऑफिसर और 1 पुलिसकर्मी शामिल थे. पुलिसकर्मियों के शव सर्च ऑपरेशन के दौरान कापरन गांव में मिले है. अगवा किए गए पुलिसकर्मियों की पहचान फिरदौस अहमद कूचे, कुलदीप सिंह, निसार अहमद धोबी और फैयाज अहमद बट के रुप में हुई है.
संबधित सूत्रों ने बताया कि अगवा किए गए चारों पुलिसकर्मी दक्षिण कश्मीर में दो गांवों कापरिन और बटगुंड के रहने वाले हैं. इनमें तीन एसपीओ हैं और एक पुलिस कांस्टेबल है. बता दें कि इससे पूर्व गत 31 अगस्त को दक्षिण कश्मीर में आतंकियों ने पुलिसकर्मियों के 11 रिश्तेदारों को अगवा किया था.
हिज्बुल आतंकी ने दी थी धमकी, पुलिस की नौकरी छोड़ो वर्ना अंजाम भुगतो
दो दिन पहले हिज्ब आतंकी रियाज नायकू ने एक वीडियो जारी कर पुलिसकर्मियों व एसपीओ को नौकरी छोड़ने के लिए कहा था. ऑडियो क्लिप में नौकरी छोड़ने के लिए चार दिन का वक्त दिया गया था वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार के कर्मचारियों को भी नौकरी छोड़ने के लिए धमकाया गया था. उस दो मिनट के वीडियो में नौकरी नहीं छोड़ने वालों के परिजनों को भी जान से मारने की धमकी दी गई थी.
कश्मीर में हिज्बुल आतंकी रियाज नाइकू सुरक्षा और पुलिस बलों के लिए गंभीर चुनौती बना हुआ है. बुधवार को सोशल मीडिया में उसका एक नया ऑडियो क्लिप जारी हुआ था. जिसमें उसने लोगों से अपील की है कि वे पुलिस की नौकरी जॉइन न करें. क्लिप में नाइकू ने कहा है कि हिंदुस्तान की सरकार एक साजिश के तहत लोगों को एसपीओ बना रही है. कई विभागों में रिक्तियां हैं लेकिन पुलिस बल में ही भर्तियां हो रही हैं. सभी एसपीओ से कहा था कि वे उग्रवादियों की सूचना पुलिस को न दें और फौरन पुलिस की नौकरी छोड़ दें वर्ना नतीजे काफी बुरे होंगे. धमकी देने वाले शख्स ने जम्मू-कश्मीर पुलिस, एसटीएफ, ट्रैफिक पुलिस, सीआईडी, राष्ट्रीय राइफल्स, सीआरपीएफ, बीएसएफ और केंद्र सरकार की नौकरी करने वाले कश्मीरियों से नौकरी छोड़ने के लिए कहा था और नौकरी छोड़ने का सबूत इंटरनेट पर अपलोड भी करने को कहा था. नौकरी छोड़ने के लिए उसने चार दिन का भी वक्त दिया था.
इस साल 29 अगस्त की हत्या को मिलाकर कुल 35 पुलिसकर्मियों की हत्या हो चुकी है, जो 2017 में पूरे साल कुल हत्या से भी ज्यादा है. हाल के महीनों में आतंकियों के मारे जाने के जवाब में पुलिसकर्मियों पर हमलों की अभूतपूर्व घटनाएं देखने को मिली हैं इसलिए सरकार को भी पुलिसकर्मियों की सुरक्षा के लिए उचित प्रयास करने चाहिए.