भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की पूर्व चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने नोटबंदी को लेकर अपना बयान दिया है. भट्टाचार्य ने कहा है कि बैंकों को नोटबंदी की तैयारी के लिए और समय दिया जाना चाहिए था. ऐसे में अचानक नोटबंदी होने पर बैंकों पर काफी दबाव पड़ा है.
दरअसल बीते साल 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपए के नोटों को बैन कर चलन से से बाहर कर दिया था. इस फैसले का मकसद देश में छिपा कालाधन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा पर लगाम लगाना था.
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बता दें कि अरुंधति भट्टाचार्य ने एक कार्यक्रम में कहा कि अगर हम किसी नई तरह की चीज के लिए तैयार होते हैं, तब यह ज्यादा सार्थक और बेहतर होता. स्पष्ट तौर पर अगर नोटबंदी के लिए थोड़ी अधिक तैयारी का मौका मिलता, निश्चित रूप से इसका हम पर दबाव कम होता. उन्होंने कहा कि अगर आपको नकदी लानी-ले जानी होती है, उसके कुछ नियम है. हमें पुलिस की जरूरत होती है. काफिले की व्यवस्था करनी होती है. नजदीकी मार्ग चुनना होता है. यह बड़ा ‘लाॅजिस्टिक’ कार्य होता है.
बता दें कि हाल ही में अरुंधति चेयरपर्सन पद से सेवानिवृत्त हुई है. उनके अनुसार नोटबंदी के लाभ के बारे में उन्होंने कहा कि इससे करदाताओं की संख्या 40 प्रतिशत बढ़ी, उच्च मूल्य की मुद्रा पर निर्भरता कम हुई और डिजिटलीकरण बढ़ा है