भोपाल। आईएएस अवार्ड होने में बाधा थी कुछ कानूनी मामलों की…! फैसला उनके पक्ष में हो गए, प्रमोशन भी मिल गया…! लेकिन जिस आदेश के आधार पर साहब आईएएस का तमगा लिए बैठे हैं, उस आदेश के पारित होने वाली तारीख में जज साहब छुट्टी पर थे। फर्जीवाड़ा कहां हुआ, इसकी जांच शुरू हो गई है।
मामला राजधानी में पदस्थ आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा से जुड़ा है। सूत्रों का कहना है कि इंदौर के थाना एमजी रोड पर
शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसमें जिला न्यायालय से दो फर्जी आदेश होने की बात कही गई है। बताया जा रहा है कि फिलहाल दोनों मामले लंबित हैं और इनमें अब तक गवाहों के बयान तक दर्ज नहीं हुए हैं। जबकि आरोपित ने एक ही तारीख में दोनों मामलों के फर्जी आदेश भी बना लिए और इनपर जज के हस्ताक्षर भी कर दिए गए। साथ ही अदालत की फर्जी सील भी लगा दी गई।
फर्जी फैसले बनाने का आरोप
न्यायालय की नकली सील और जज के फर्जी हस्ताक्षर से तैयार किए फैसलों में से एक में कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच आपसी समझौता हो गया है। जबकि दूसरे फैसले में आरोपित संतोष वर्मा को बरी करने की बात कही गई है। दोनों फैसले एक ही तारीख में हुए बताए जा रहे हैं और एक ही जज द्वारा जारी किए जाना बताया गया है। जबकि फरियादिया महिला का कहना है कि दोनों फैसले जिस दिन होना बताया जा रहा है, उस दिन संबंधित न्यायाधीश अवकाश पर थे। जिसके चलते ये निर्णय होना संभव नहीं है। महिला का आरोप है कि संतोष वर्मा ने फर्जी फैसले सामान्य प्रशासन विभाग में प्रस्तुत कर आईएएस अवार्ड प्राप्त कर लिया है।
क्या है मामले
दोनों मामलों की फरियादी हर्षिता का कहना है कि उन्होंने उज्जैन में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर संतोष वर्मा के खिलाफ वर्ष 2016 में लसूडिया थाना में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके आधार पर वर्ष 2019 में वर्मा के खिलाफ धारा 323, 294 और 506 में चालान भी पेश हो गया। इस मामले की गवाही के लिए 24 अप्रैल 2020 की तारीख तय हुई थी, लेकिन लॉक डाउन के चलते ये बयान दर्ज नहीं हो पाए। अब इस मामले पर सितंबर 2021 को बयान दर्ज होना है। इस बीच अक्टूबर 2020 में ये प्रकरण दूसरी अदालत में स्थानांतरित हो गया। 6अक्टूबर 2020 को इसी अदालत से फर्जी आदेश जारी हो गए।
यूपीएससी के आदेश पर शुरू हुई जांच
फर्जी तरीके से आईएएस अवार्ड जारी होने की शिकायत पर यूपीएससी ने कार्यवाही शुरू कर दी है। यूपीएससी के आदेश पर सामान्य प्रशासन विभाग और इंदौर पुलिस मामले की जांच कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि मामले की शिकायत हाईकोर्ट तक भी पहुंच गई है।
वर्मा बोले पत्नी नहीं, हर्षिता ने दिए प्रमाण
नगरीय प्रशासन विभाग में अपर आयुक्त पदस्थ संतोष वर्मा आरोप लगाने वाली महिला को अपनी पत्नी मानने से इंकार करते हैं। जबकि फरियादिय हर्षिता वर्मा अपने बयान के समर्थन में कई प्रमाण प्रस्तुत कर चुकी है, जो सिद्ध करते हैं कि वर्मा ने चोरी छिपे हर्षिता से शादी की और अब इस बात से इंकार कर रहे हैं।
शिकायतें यहां से वहां तक
अदालती मामलों को छिपाने, एक से अधिक शादी करने और सरकार को गुमराह करने को लेकर हर्षिता वर्मा ने कई विभागों में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग में शिकायत कर संतोष वर्मा को दिए गए प्रमोशन को निरस्त करने की मांग की है। इसके अलावा कई विभागों में पहुंची इस शिकायत के समर्थन में हर्षिता ने अपने गर्भपात की रिपोर्ट, जिसमें संतोष वर्मा ने पति के रूप में हस्ताक्षर किए हैं, संतोष वर्मा के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों से जुड़े दस्तावेज, सामान्य प्रशासन विभाग से आरटीआई के तहत मिली जानकारी आदि दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं।
इनका कहना है
मुझे 25 साल की सेवा के आधार पर आईएएस अवार्ड प्राप्त हुआ है। फैसले के फर्जी या असली होने की बात जांच पूरी होने पर पता चल जाएगी।
संतोष वर्मा,
अपर आयुक्त, नगरीय प्रशासन