आने वाले चुनाव में बिहार में अब एक नई राजनीति की तैयारी हो रही है. हर जाति, समुदाय और धर्म के लोग अपनी आबादी के हिसाब से राजनीति में हिस्सा देने की मांग करने लगे हैं. पहले हर दल के नेता अपने-अपने दल के जातीय लोगों का सम्मेलन कराकर अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास दूसरे दल को कराते रहते थे. मुसलमानों के विभिन्न जाति के लोग भी अलग-अलग सम्मेलन कर राजनीति में उचित हिस्सेदारी की बात करते रहते थे.
लेकिन अब अल्पसंख्यकों में शामिल मुसलमानों ने अपनी राजनीतिक उपेक्षा पर एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई के लिए संघर्ष करने का ऐलान कर दिया है. 2015 के विधान सभा चुनाव में मगध के पांच जिले के कुल 26 विधान सभा क्षेत्रों में से किसी भी राजनीतिक दल ने अपनी पार्टी से मुसलमानों को प्रत्याशी नहीं बनाया था.
सिर्फ नव गठित हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) ने दो मुसलमानों को प्रत्याशी बनाया था. इसी बात को लेकर मगध के मुसलमानों के विभिन्न क्षेत्रों के चर्चित शख्सियतों की महत्वपूर्ण बैठक 22 अक्टूबर 2018 को गया के गेवाल विगहा में हुई. इस बैठक में सभी वक्ताओं ने मगध में मुसलमानों की सभी दलों के द्वारा उपेक्षा किए जाने पर रोष व्यक्त किया और अपनी राजनीतिक हिस्सेदारी के लिए एकजुट होने का आह्वान किया.
चर्चित समाजसेवी इकबाल हुसैन की ओर से आयोजित इस बैठक में मगध के पांच जिले से शिक्षा, समाजसेवा, राजनीति, व्यवसाय एवं अन्य क्षेत्रों से जुड़े चर्चित मुस्लिम शख्सियतों ने भाग लिया. करीब ढाई सौ की संख्या में जुटे मगध के प्रबुद्ध मुसलमानों ने कहा कि हम अल्पसंख्यकों को सिर्फ वोट बैंक के तौर पर हर दल के लोग उपयोग तो करते हैं, परंतु राजनीति में हिस्सेदारी देने के समय उपेक्षित कर देते हैं. ऐसे में हम सभी को दलीय राजनीति से ऊपर उठकर एकजुट होना होगा.
तभी हम अपने अधिकार की लड़ाई मजबूती से लड़ सकेगें और सभी राजनीतिक दलों को उचित हिस्सेदारी देने के लिए बाध्य कर सकेंगे. नवादा के निवासी और बिहार जदयू के वरिष्ठ नेता मेजर इकबाल हैदर ने कहा कि आज भी मुसलमान विभिन्न बिरादरी और मसलक में बंटे हुए हैं. जबतक मुसलमान एकजुट नहीं होगें, तब तक मुसलमानों का कुछ नहीं हो सकता है. मेजर इकबाल हैदर ने मगध के मुसलमानों को एक शेर कहा- मुत्तहिद हो तो बदल डालों निजाम-ए-गुलशन, मुंतशिर हो तो मरो, शोर मचाते क्यों हो? इस बैठक में सभी वक्ताओं ने स्वीकार किया कि पूर्व मंत्री शकील अहमद खान के निधन के बाद मगध के मुसलमानों को सर्वमान्य नेता की तलाश है.
मुसलमानों के प्रबुद्ध लोगों ने कहा कि शकील अहमद खान की कमी को नवादा से तीन बार विधान पार्षद होते आ रहे सलमान रागिव दूर कर सकते हैं. मगध के मुसलमानों की रहनुमाई के लिए विधान पार्षद सलमान रागिब सभी योग्यता रखते हैं. बैठक में उपस्थ्ति लोगों ने विधान पार्षद से भी अपेक्षा की कि वे आगे आएं और मगध के मुसलमानों का नेतृत्व कर अल्पसंख्यकों को राजनीति में भी उचित हिस्सेदारी दिलाने का प्रयास करें.
इसके लिए मगध के तमाम अल्पसंख्यक समुदाय के लोग उनके साथ चलने को तैयार हैं. वक्ताओं ने कहा कि मगध के पांच जिलों में मुसलमानों की अच्छी आबादी के बाद भी उन्हें उपेक्षित किया जा रहा है. बैठक मेें बताया गया कि मगध के गया जिले में मुसलमानों की आबादी 18 प्रतिशत, जहानाबाद में 22 प्रतिशत, नवादा में 11, औरंगाबाद में 24 तथा अरवल में 17 प्रतिशत है. इसके बाद भी 2015 के विधान सभा चुनाव में किसी राजनीतिक दल ने मगध के 26 विधान सभा क्षेत्रों में से किसी ने एक भी मुसलमान प्रत्याशी नहीं दिया.
इसी से मगध में मुसलमानों की उपेक्षा का अंदाजा लगाया जा सकता है. इन्हीं सब सवालों को लेकर मगध के मुसलमानों की एक रैली 20 जनवरी 2019 को गया के गांधी मैदान में संभावित है. मगध में मुसलमानों की उपेक्षा पर अल्पसंख्यक राजनीति की दिशा और दशा तय करने का निर्णय भी इस बैठक में लिया गया. इस बैठक में शारिम अली, मसीहउद्दीन इकबाल हुसैन, प्रो. इकबाल, पूर्व मंत्री मरहूम शकील अहमद खान के बड़े भाई वशील अहमद खान, उमैर खान उर्फ टिक्का खान, जिला पार्षद अयूब खान, पत्रकार सेराज अनवर समेत विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत अल्पसंख्यंको के चर्चित लोगों ने भाग लिया.
नए साल के पहले महीने में होने वाली मगध के मुसलमानों की संभावित रैली में अधिक से अधिक संख्या में लोगों को आने का आह्वान किया गया है. जदयू के वरिष्ठ नेता मेजर इकबाल हैदर ने बताया कि रैली में लोकसभा और बिहार के विधान सभा चुनावों में मगध के मुसलमानों द्वारा एकजुट होकर अपनी वाजिब हिस्सेदारी की मांग तमाम राजनीतिक दलों से की जाएगी. जो दल मगध में मुसलमानों के लिए सम्मानजनक हिस्सेदारी की बात करेगा, यहां के अल्पसंख्यक उसके लिए विशेष सहानुभूति रखेंगे.
मेजर इकबाल हैदर ने कहा कि आजादी के बाद बिहार में मुसलमानों के लिए सबसे अधिक योजनाएं और काम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों के हित की बात करने वाले और काम करने वाले राजनीतिक दल को ही मगध के मुसलमानों का वोट मिल पाएगा. गया में प्रबुद्ध मुसलमानों की हुई बैठक ने यह बता दिया कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अब राजनीति में अपनी उपेक्षा नहीं देख सकते. इसके लिए वे अपनी ताकत का एहसास राजनीतिक दलों को कराने का प्रयास करने में लग गए हैं.