आदित्यनाथ कोरोना के मरीज के रिश्तेदारों को उन्होंने कोरोनाके इलाज के अभाव में मर रहे हैं !यह फरियाद करने के कारण जेलो में डालने का काम कर रहे यह खबर है !
जैसे हाथरस, बलरामपुर और अन्य जगहों पर हुए महिलाओं के अत्याचार कि घटना की खोज-बीन करने वाले लोगों को जेल मे डाल दिया है ! और तो और मुझे वरिष्ठ पत्रकार जो उत्तर प्रदेश में रह रहे हैं उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश मे आपातकाल से भी भयानक दौर जारी है और हम लोग खुद ही काफी डरे हुए हैं ! क्या डरे हुए समाज मे कोई नया सृजन का काम हो सकता है ?
हम लोग इंदिरा गाँधी के समय 26 जून 1975 के आपातकाल के भी विरोध में थे और आज जो आदित्यनाथ उत्तरप्रदेश में कर रहे हैं उसके भी विरोधी है हालाँकि आदित्यनाथ और उनका समस्त संघ परिवार भी आपातकाल के विरुद्ध हमारे साथ जेलो में रहे हैं ! लेकिन जिस तरह हिटलर ने यहूदियों के साथ अमानवीय यंत्रणाऐ दिया है और वही यहूदियों के इस्राइल नाम का देश गत 73 वर्षों से फिलिस्तीन के मूल-निवासीयोके साथ हिटलर से भी बदतर व्यवहार कर रहे हैं और इस वक्त तो युद्ध ही छेड दिया है !
यह बडे ही अजीब सा लगता है कि आप के साथ पहले जो कुछ घटित हुआ है वह हमने दुसरे के साथ नही करने के बजाय और ज्यादा बढ़-चढ़कर हम करते हैं बिलकुल आदित्यनाथ उत्तरप्रदेश में कर रहे हैं और यह सब लिखने की वजह आज के दैनिक भास्कर में प्रकाशित प्रयागराज से अमरिष शुक्ला ने गंगा किनारे एक किलोमीटर के दायरे में इतनी लाशो की गिनती मुश्किल टाइटिल से एक रिपोर्ट फोटो के छपी है ! कि उत्तर प्रदेश के गंगा किनारे शवो का मिलना जारी है !
प्रयागराज में श्रृंगवेरपूर धाम के पास बडी संख्या में शव गंगा किनारे दफनाये गये हैं ! हालात यह है कि एक छोर से दूसरे छोर तक केवल शव ही शव नजर आ रहे हैं ! यहाँ करीब एक किलोमीटर की दूरी मे दफन शवो के बीच में एक मीटर का फासला भी नहीं है !इन शवो के किनारे झंडे और डंडे भी गाडे गऐ है और यही नहीं और शवो के साथ आने वाले कपडे और दुसरे सामान भी वही छोड़ गए है ! ऐसे में गंगा किनारे काफी गंदगी हो गई है !
पुलिस का पहरा भी कोई काम नही आ रहा है ! अंतिम संस्कार का सामान भी बहुत महंगा हो गया है ! घाट पर पूजा-पाठ करने वाले पंडितों का कहना है कि पहले यहाँ रोज 8 से 10 शव ही आते थे, लेकिन पिछले एक महीने से हर दिन 60 से 70 शव आ रहे हैं और किसी दिन तो 100 से भी ज्यादा लाशे आ रही है ! एक महीने मे यहाँ चार हजार से भी ज्यादा शव आ चुके है !
शासन की रोक के बाद भी शैव संप्रदाय के अनुयायी यहाँ शव दफनाने आ रहे हैं !घाट पर मौजूद पंडित कहते हैं कि शैव संप्रदाय मे गंगा किनारे शव दफनाने की पुरानी परंपरा है इसे रोका नहीं जा सकता इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होगी ! श्रृंगवेरपूर धाम पर पुरोहित का काम करने वाले शिवबरन तिवारी बताते हैं कि सामान्य दिनों में यहाँ आने वाले गरीब लोग जो शव को लेकर आते हैं, उनके पास खाने के भी पैसे नहीं होते हैं और वे दाह संस्कार का खर्च वहन नहीं कर पाते, यही दफनाते है ! जो सक्षम हैं वह शवो का बाकायदा दाह संस्कार करते हैं ! लेकिन कोरोना ने जब से जोर पकडा है, तबसे अकेले श्रृंगवेरपूर मे ही रोजाना 60 से 70 शव आ रहे हैं !
शिवबरन बताते हैं कि कोरोना के डर के कारण काफी दिनों तक घाट से पंडितों और पुरोहितों ने भी अपना डेरा हटा लिया था ! सभी डर रहे थे कि कहीं कोरोनाके शिकार हो जाय ! और ऐसे मे जो शव जैसे लाये थे वैसे ही और जहाँ जगह दिखीं वही शवो को दफना दिया ! कोई रोक-टोक नहीं होने के कारण गंगा के घाट किनारे जहाँ लोग आकर स्नान-ध्यान करते हैं, वहां तक लोगों ने शवोको दफना दिया है !
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल महोदया आनंदी बेन पटेल 5 मार्च के दिन यहाँ आई थी उन्होंने यहाँ पूजा-अर्चना भी कि थी ! उनके दौरे के पहले ही जिला प्रशासन ने यहां शवोको दफनानेकी सीमा रेखा निश्चित की थी ! इसके लिए पथ्थर के पिलर भी गाडे गऐ थे ! हालाँकि आज प्रशासन की अनदेखी और बढती मौतों के बाद लोग अब तय स्थान से आधा किलोमीटर आगे बढकर शवो को दफना ने लगे हैं ! दुसरी ओर, श्रृंगवेरपूर घाट पर अब दाह संस्कार के लिए लकड़ीयो की भारी कमी हो गई है ! और लकडी के ठेकेदारों ने भी लोगों से ज्यादा पैसे वसूलने शुरू कर दिया है !
आदित्यनाथ उत्तरप्रदेश में कोरोना के मरीजों के लिए तो कुछ खास कर नहीं रहे उल्टा किसी परिजनों ने कुछ गिला-शिकायत की तो सीधे जेलो में डालने का काम कर रहे हैं लेकिन जिस हिंदू धर्म के नाम पर राजनीति करते हुए सत्ता तक पहुँच गए है उसी हिंदू धर्म की सबसे बड़ी संख्या में गंगा किनारे के लगभग हर जगह पर लाशों को गंगा में फेंका जा रहा है और शासन-प्रशासन क्या कर रहा है क्योंकि इसी गंगा जल को तीर्थ समझकर देश के करोड़ों हिंदू प्राशन करते हैं और गंगा स्नान करने के लिए देश भर से लोग तिर्थक्षेत्रो पर गंगा किनारे के आकर स्नान-ध्यान करते हैं !
एक तरफ प्रधानमंत्री ने मा गंगा के शरण ली है और नमोमी गंगा प्रोजेक्ट की घोषणा करके चुनाव प्रचार किया और रेकार्ड मतोसे जिते है लेकिन बनारस से लेकर, बदायूँ, इलाहाबाद और सभी गंगा किनारे के गाँव के हजारों की संख्या में लोग मर रहे हैं और उसमे से काफी बडी संख्या में शव गंगा में फेंकने की घटनाओं को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है अन्यथा नमोमी गंगा प्रोजेक्ट की घोषणा करके चुनाव जीतने की बात सिर्फ घोषणा ही मानी जायेगी !