एन डी ए की चुनावी तिकड़मी चाल में, एक मुस्लिम राष्ट्रपति बनाने के बावजूद ! उनके राष्ट्रपति रहते हुए ! गुजरात का राज्य पुरस्कृत दंगा हुआ था ! और उसकी भयावहता खुद गुजरात में जाकर देखने के बाद किसी भी राष्ट्रपति को गुस्सा आता और तुरंत उस सरकार को बर्खास्त करने की पहल करते ! लेकिन एपीजे अब्दुल कलाम ने कुछ भी नहीं किया ! ऐसा मुस्लिम राष्ट्रपति बीजेपी ने जानबूझकर चुनाव में खड़े करने की साजिश की ! और सभी सेक्युलर पार्टीयो को कुंठा में डालने की कोशिश की है ! उनकी सादगी और बच्चों के साथ के कार्यक्रमों से वह आज याद जरूर किए जा रहे हैं ! लेकिन एक भी संविधानिक अधिकार का उपयोग नहीं किये हैं !
इसी तरह के वर्तमान राष्ट्रपति दलित समाज के होने के बावजूद उनके गृह राज्य उत्तर प्रदेश में मानवता को कलंकित करने वाले दलित अत्याचारों की कई घटनाएं हुईं ! अपराधियों ने पिडीत परिवारों को उनके वकील के साथ कुचल कर मार डाला ! वुलगढी कांड में पत्रकारों को तथाकथित देशद्रोह के कानूनी कार्रवाई करके जेल में डाल दिया ! और सहरानपूर के दंगे में डाॅ बाबा साहब अंबेडकरजी के 14 अप्रैल को जन्मदिन मनाने की सवर्ण समाज के तरफसे मनाही की है ! और उपर से दलितों के उपर हमला किया था ! उसी आंदोलन से भीम आर्मी का जन्म हुआ ! क्या किया दलित राष्ट्रपति महोदय ने ? उल्टा राष्ट्रपति पदपर रहते हुए अपने पुस्तैनी गांव के घर को घोर सांप्रदायिक और भारत के संविधान को नकारने वाले संघठन आर एस एस को अपना घर देने वाली कृति की है !
और अब एक आदिवासी महिला को ! आगामी चुनाव में राष्ट्रपति की उम्मीदवारी देने की घोषणा, सत्ताधारी दल ने कर दी है ! तो भावी राष्ट्रपति के कार्यकाल में संविधान की पांचवीं और छठी अनुसुची को खत्म करने की साजिश बीजेपी की बदस्तूर जारी है ! द्रौपदी मुर्मू अगर राष्ट्रपति चुनाव जीत कर राष्ट्रपति पदपर आसीन होती है ! तो सिर्फ वह पांचवी और छठी अनुसुची को भी बचा ले तो बहुत बड़ी बात होगी ! और आये दिन आदिवासियों के साथ होने वाले अत्याचार और सबसे भयावह स्थिती भारत की जनसंख्या में सिर्फ आठ से नौ प्रतिशत के बीच आदिवासियों की जनसंख्या है ! लेकिन तथाकथित विकास के नाम पर चल रही परियोजनाओं में 75 % विस्थापन के शिकार आजादी बाद से लगातार आदिवासी ही हो रहे हैं ! लेकिन नक्सलियों के नाम पर उनके विरोध को कुचलने का काम बदस्तूर जारी है ! तो एक महिला और वह भी आदिवासी समाज की ! उस पदपर बैठाने की साजिश रच कर उन्हीके हस्ताक्षर लेकर भारत के संविधान निर्माताओं ने आदिवासियों के लिए दिए विशेष प्रावधानों को समाप्त करने के लिए विशेष रूप से श्रीमती द्रौपदी मुर्मुजी को बनाने की साजिश है !
बीजेपी पिछले दिनों मुस्लिम और दलित राष्ट्रपतियों के उपस्थिति के रहते हुए बेरोक-टोक से अपने घोर सांप्रदायिक और जातीयता के साथ मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है ! और उसी तरह से भीमा कोरेगाव से लेकर सहरानपूर, बलरामपुर, वुलगढी, हाथरस जैसे कांडों को अंजाम देने वाले अपराधियों को बचाने के लिए, बदनाम उत्तर प्रदेश की सरकार के उपर अपने गृहराज्य होने के बावजूद ! रामनाथ कोविदजी की देश के सर्वोच्च पद पर बने रहते हुए, किसी भी तरह की कार्रवाई या उनके द्वारा कोई भी संकेत तक नहीं हुआ है ! क्या फायदा हुआ दलितों का ?
उल्टा किसानों के खिलाफ बिल, एनआरसी, कश्मीर के 370 को समाप्त करने की कृती को आखे बंद कर के राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किये हैं !
और किसानों को एक साल का आंदोलन करने कि नौबत आई थी ! वहीं हाल कश्मीर से 370 हटाने की पहल पर राष्ट्रपति महोदय की कोई टिप्पणी याद नहीं आ रही है ! और सबसे खतरनाक तथाकथित एन आर सी का बील को लेकर संपूर्ण देश भर में आंदोलन हुआ ! लेकिन राष्ट्रपति महोदय ने क्या किया ? यह बील देश के बटवारे की निंव खोदनेवाला बील होने के बावजूद, राष्ट्रपति महोदय अपनी संविधानिक जिम्मेदारी का निर्वाह करने की जगह सत्ताधारी दल की हां में हां मिलाते हुए देखकर लगता है, कि हमारे देश के सर्वोच्च पद की गरिमा खत्म करने की कृती कर दिये है !
अब भारत के इतिहास में पहली बार किसी भारतीय आदिवासी महिला को राष्ट्रपति के पद पर बैठाना भी वर्तमान सत्ताधारी दल राजनीतिक तिकडमबाजी का तीसरा उदाहरण दोहराया जा सकता है !
क्योंकि वर्तमान समय की सरकार भारत के संविधान में किए गए प्रावधानों को समाप्त करने के पिछे पडा हुआ है ! क्योंकि उनके मातृ संघठन को भारत का संविधान मान्य नहीं है ! 26 नवंबर 1949 के दिन डॉ बाबा साहब अंबेडकरजी ने अपने और सविंधान सभा के सभी सदस्यों की अथक मेहनत से तैयार किया गया संविधान को, भारत की जनता को अर्पित करने की घोषणा के बाद ! संघ के मुखपत्र अॉर्गनाईजर के दुसरे दिन के अखबार में ! भारत के संविधान को नकारते हुए लिखा है ” कि भारत के प्राचीनताका और भारतीयताका कुछ भी समावेश वर्तमान संविधान में नहीं है ! और ऋषि मनू ने हजारो साल पहले लिखा हुआ ! मनुस्मृति जैसा नायाब संविधान के रहते हुए इस भीमश्रुति की क्या आवश्यकता है ? यह तो देश विदेश के विभिन्न संविधानों की नकल कर के गुदड़ी है ! ” तो संघ को वर्तमान संविधान में दिए गए कोई भी प्रावधान दलितों से लेकर आदिवासियों तथा कश्मीर और उत्तर पूर्व के लिए हमारे संविधान निर्माताओं ने 370, 371,372 तथा दलितों के उत्पीडन को समाप्त करने के लिए विशेष रूप से बनाया गया कानून! और आदिवासियों के लिए पांचवी और छठी अनुसुची समाप्त करने की कोशिश जारी है ! क्योंकि आदिवासी क्षेत्रों में अकुत खनिज संसाधनों के दोहन के लिए वर्तमान सरकार को जल जंगल और जमीन कार्पोरेट जगत को सौपना है ! और ऐसे समय में भारत के सर्वोच्च पद पर आदिवासी महिला को बैठाने की साजिश है ! ताकि देश और दुनिया को बताया जायेगा कि वह सब आदिवासियों के संमती से ही किया था ! एपीजे अब्दुल कलाम और वर्तमान समय में भारत के राष्ट्रपति भले मुस्लिम और दलित समाज में पैदा हुए होंगे ! लेकिन कहिसे भी उन दोनों ने अपने समाज की रक्षा के लिए कुछ भी नहीं किया है !
लेकिन मां _बाप ने जब द्रौपदी नाम रखा है ! और भारतीय महिलाओं के अंदर महिला अधिकारो के लिए ही द्रोपदी के द्वारा भरी सभा में की गई बहसमे उठाये गये सवाल ! भारतीय नारी मुक्ति की कहानी है ! भारतकालीन द्रोपदी के कारण ही तो महाभारत हुआ है ! तो हमारे देश की भावी राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मुजी एक ही प्रार्थना करते हैं कि वह द्रोपदी के नाम की कम-से-कम लाज रखले तो भी इतिहासदत्त कार्य होगा !
डॉ सुरेश खैरनार 22 जून 2022, काकीनाडा, 24 परगना, पस्चिम बंगाल