मुख्य बातें….
- सिख विरोधी दंगे मामले में कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा.
- साथ ही 35 लाख रुपए का जुर्मान भी लगाया.
- पीड़ित पक्षों ने कोर्ट के फैसले के प्रति जताई खुशी.
वो कहते हैं न कि भगवान के घर देर है, मगर अंधेर नहीं. अब ये कहावत कहीं न कहीं 1984 के सिख विरोधी दंगे में सटीक बैठती हुई दिख रही है. बता दें कि मंगलवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 1984 में दोषी पाए दो व्यक्तियों में से एक को फांसी की सजा सुनाई तो वहीं दूसरे को उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही 35 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
गौरतलब है कि ये दंगा 1984 में हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिर गांधी को उनके अंगरक्षकों के द्वारा मारे जाने के एवज में उपजा हुआ था. जिसके कारण पूरे देश में सिखों के खिलाफ अवाज उठने लगी थी. जिस अवाज ने न जाने कितने ही मासूमों को मौत के घाट उतार दिया था. उसी में से एक मामला दिल्ली की महिपालपुर में हुई दो भाईओं की मौत से जुड़ा था.
बता दें कि आरोपी यशपाल सिंह और आरोपी नरेश शेहरावत ने महिपाल पुर में दो भाईओं हरदेव सिंह और अवतार सिंह को मौत के घाट उतार दिया था. हालांकि, इस मसले को लेकर बीते बुधवार को भी सुनवाई हुई थी, जिस सुनवाई में दोनों ही आरोपियों को दोनों भाईयों की मौत का दोषी पाया था.
वहीं, बीते बुधवार को हुए सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अपनी दलीले पेश करते हुए कहा था कि ये हत्या सुनियोजित थी तो वहीं, दूसरी तरफ बचाव पक्ष ने अपना बचाव करते हुए कहा कि ये हत्या सुनियोजित नहीं बल्कि अचानक उपजे विवाद का नतीजा था. इसमें हमारा कोई पहले से मारने का इरादा नहीं था.