राजनीतिक ताप समझें, तो यह स्पष्ट हो रहा है कि अमर सिंह के समाजवादी पार्टी में शरीक होने का रास्ता साफ़ हो रहा है. जनेश्वर मिश्र पार्क के लोकार्पण समारोह में शरीक हुए अमर सिंह का 19 अगस्त को मुलायम से मिलने उनके घर जाना, उस मुलाकात में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का साथ रहना और फिर उनका पार्टी कार्यालय भी जाना अमर सिंह की पार्टी में वापसी का ठोस संदेश दे गया. मुलायम के आवास पर दोनों नेताओं की बीच काफी देर तक बातचीत हुई. मुलायम सिंह से मुलाकात के बाद अमर सिंह ने कहा, मैंने मुलाकात ही तो की है, कोई डाका तो नहीं डाला. इसके लिए इतना हंगामा क्यों बरप रहा है. मेरा मुलायम से पारिवारिक रिश्ता है, इसलिए मिलने गया था. वह जब भी मुझे बुलाएंगे, मैं उनसे मिलने जाऊंगा. मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है. अखिलेश मेरे बेटे जैसे हैं. अमर सिंह ने यह भी कहा, शिवपाल और मुलायम सिंह दोनों मेरे भाई जैसे हैं. आज पहले मैं शिवपाल से मिलने गया और उसके बाद मुलायम सिंह यादव से.
कुछ ही दिनों पहले अमर सिंह ने देहरादून में कहा था कि अगर मुलायम सिंह समाजवादी पार्टी में बुलाएंगे, तो वह वापस आने को तैयार हैं. लेकिन, उनकी वापसी को लेकर बढ़ी गतिविधियों से प्रो. राम गोपाल यादव और आजम खान जैसे वरिष्ठ नेता नाराज़ चल रहे हैं. वे अपनी नाराज़गी खुलेआम व्यक्त भी कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी में अमर सिंह आएं न आएं, लेकिन अमर सिंह को लेकर इस राजनीतिक दल में राजनीति अपनी निकृष्टता के स्तर पर उतर आई है. अमर सिंह का समाजवादी पार्टी में प्रवेश सपा के अभिभावक मुलायम सिंह यादव की इच्छा पर निर्भर करता है, यह कहने के बावजूद सपा के नेता अमर सिंह के पार्टी में आने पर यह कर देंगे, वह कर देंगे की धमकी देने से बाज नहीं आ रहे हैं. स्पष्ट है कि सपा के कुछ शीर्ष नेताओं में भीषण अनुशासनहीनता है और उन पर कोई लगाम नहीं है. यह स्थिति पार्टी को नुक़सान पहुंचा रही है. ऐसे समय में, जब प्रदेश में 12 विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने वाला है और यह उपचुनाव पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है.
राजनीति की नब्ज समझने वाले लोगों का कहना है कि अमर सिंह को लेकर कुछ बड़े नेताओं की पेशबंदी ही यह संकेत दे रही है कि अमर सिंह की पार्टी में वापसी हो रही है. कुछ नेताओं की तीखी बयानबाजी अमर सिंह का प्रवेश रोकने के लिए हो रही है. यह अलग बात है कि पार्टी अनुशासन की भी ऐसी-तैसी हो रही है. अमर सिंह के दोबारा प्रवेश पर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अभी चुप है, लेकिन कुछ चुनिंदा नेता बात-बहादुरी की हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. समाजवादी पार्टी के एक बड़े नेता ने कहा कि जनेश्वर मिश्र पार्क के लोकार्पण समारोह में आए अमर सिंह की मुलायम सिंह यादव से मंच पर भले ही बात न हुई हो, लेकिन मंच के नेपथ्य में अमर और मुलायम के बीच विस्तृत बातचीत हुई थी. यह बातचीत लखनऊ हवाई अड्डे की वीवीआईपी लॉबी और हवाई जहाज में हुई थी. सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि राज्यसभा चुनाव के पहले अमर सिंह की समाजवादी पार्टी में इंट्री की घोषणा की जाएगी. प्रो. राम गोपाल यादव, आजम खान एवं सीपी राय जैसे नेता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के इस निर्णय को कामयाब न होने देने के लिए ही अनुशासनहीन बयानबाजी से परहेज नहीं कर रहे हैं.
अभी पिछले दिनों प्रो. राम गोपाल यादव ने पार्टी स्वयंभू बनते हुए बाकायदा यह घोषणा कर दी कि अमर सिंह का समाजवादी पार्टी में प्रवेश किसी भी क़ीमत पर नहीं होगा. अमर सिंह को पार्टी में शामिल किया जाएगा या नहीं, यह ़फैसला जब अकेले मुलायम के हाथ में है, तो राम गोपाल का यह बयान किस परिप्रेक्ष्य में लिया जाए, इसे लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि राम गोपाल या आजम खान के तल्ख बयान अमर फोबिया को लेकर ही आ रहे हैं. आजम खान तो अमर सिंह की पुनर्वापसी को लेकर इतने परेशान हो गए हैं कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि क़ानून व्यवस्था के मामले पर अखिलेश यादव की सरकार पूरी तरह फेल हो गई है. आजम खान जैसे वरिष्ठ नेताओं की तरफ़ से अनुशासनहीनता भरे वक्तव्यों का जारी होना उनकी बेचैनी ही अभिव्यक्त कर रहा है. जनेश्वर मिश्र पार्क के लोकार्पण समारोह में प्रो. राम गोपाल और आजम खान के शरीक न होने से भी पार्टी की खूब किरकिरी हुई थी.
अखिलेश सरकार के पूरी तरह फेल हो जाने जैसे वक्तव्य के बाद राज्य सरकार ने आजम के चहेते नौकरशाहों पर सीधी कार्रवाई शुरू कर दी है. रामपुर में आजम खां के खास माने जाने वाले एआरटीओ कौशलेंद्र प्रताप यादव के निलंबन को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है. याद करें कि कौशलेंद्र यादव ही वह अधिकारी थे, जो अमर सिंह की अंतरंग सांसद जयाप्रदा से अभद्रता करने और उनकी गाड़ी से लालबत्ती उतरवाने के बाद भी ज़िले में लगातार डटे हुए थे. कौशलेंद्र को आपत्ति यह थी कि उनके आका के क्षेत्र में दूसरे की लालबत्ती लगी गाड़ी कैसे आ घुसी. कौशलेंद्र ने गाड़ी से न स़िर्फ लालबत्ती उतरवा दी, बल्कि 25,000 रुपये का जुर्माना भी ठोंक दिया था. कौशलेंद्र के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई को अमर सिंह की नाराज़गी दूर करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.
बहरहाल, अमर सिंह की पार्टी में वापसी की चर्चा के कारण ही कुछ प्रतिरोधी गतिविधियां भी तेज हो गई हैं. अमर सिंह समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं, इन अटकलों को आधार बनाकर पार्टी के कुछ नेता कार्यकर्ताओं में आक्रोश पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. आजम के बयान को भी इसी परिप्रेक्ष्य में लिया जा रहा है. अभी कुछ ही दिनों पहले पार्टी के प्रदेश महासचिव
डॉ. सीपी राय ने कहा, मैं अमर सिंह के पार्टी में शामिल होने के सख्त ख़िलाफ़ हूं. यदि उन्हें पार्टी में फिर से शामिल किया जाता है, तो इस बात से मुझे काफी दु:ख होगा. राय ने अमर सिंह की राजनीतिक हैसियत को भी खुलेआम खूब खंगाला और ऐसा करने में पार्टी अनुशासन का कोई ध्यान नहीं रखा. शिवपाल सिंह यादव की पहल पर 19 अगस्त को हुई मुलायम-अमर मुलाकात इतनी चर्चा में रही कि लखनऊ आए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भी कहना पड़ा, मुलायम सिंह जी, अमर सिंह को लाने से भी अब समाजवादी पार्टी बचने वाली नहीं है. इस मुलाकात में अपनी भूमिका को लेकर पूछे गए सवाल से शिवपाल ने इंकार नहीं किया और अमर सिंह की पार्टी में वापसी की संभावनाओं को भी खारिज नहीं किया. शिवपाल ने इतना ही कहा, यह ़फैसला केंद्रीय नेतृत्व को लेना है. उन्होंने यह कहकर सरगर्मी और बढ़ा दी कि इस मुलाकात से अच्छी शुरुआत हुई है. शिवपाल ने साफ़-साफ़ कहा कि अमर अगर पार्टी में वापस आने का प्रस्ताव देते हैं, तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उस पर विचार कर सकता है.
फिर मिले मुलायम और अमर सिंह साफ़ हो रहा है वापसी का रास्ता
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