उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में करोड़ रुपये की धोखाधड़ी चर्चा में है. चिट फंड कंपनी बना कर लोगों को लूटने का धंधा पूरे प्रदेश में चल रहा है. कभी इलाहाबाद में तो कभी फतेहपुर में तो कभी किसी अन्य जिले में. स्थानीय प्रशासन, पुलिस और नेताओं को पैसा पहुंच रहा है और धंधा बेधड़क चल रहा है. अभी फतेहपुर जिले में ऐरायां ब्लॉक के अंतर्गत खजरियापुर गांव में नवम्बर 2015 से हमारा मिशन नामक चिट फंड कंपनी लोगों के करोड़ों रुपये लेकर फरार हो गई है. खजरियापुर गांव निवासी राजेश मौर्या (पुत्र मंगल प्रसाद मौर्या) ने प्रेमनगर कस्बे की खस्ताहाल सड़क को अपने निजी पैसों से सुधरवा कर लोगों में अपना विश्वास जमाया और उन्हें चूना लगा गया. लोगों ने समझा कि विधानसभा चुनाव की तैयारी के चलते यह सब हो रहा है पर सच तो कुछ और ही निकला. राजेश मौर्या ने अपनी शादी में पूरे इलाके के लोगों को शानदार भोज कराया. उसकी बारात में 700 लक्जरी गाड़ियों और दर्जनों लक्जरी बसों का इंतजाम था. खैर, लोगों में साख जमाने के बाद उसने अपनी चिट फंड कंपनी मिशन ग्रुप्स ऑ़ङ्ग कम्पनीज़ में आयुर्वेदिक दवा बनाने के नाम पर लोगों से निवेश कराना शुरू किया.
लोगों से एकमुश्त 30 हजार रुपये लिए जाते थे और उन्हें अगले माह से 10 हजार रुपये लगातार 11 महीनों तक दिए जाने का वादा किया जाता था. यानी 30 हजार देकर प्रत्येक 11 महीने तक 10 हजार रुपये अर्थात 30 हजार के एवज में कुल एक लाख 10 हजार रुपये दिए जाने का वादा. लोगों ने ऐसे वादे पर संदेह नहीं किया और निवेशकों की तादाद बढ़ती ही गई. इस तरह धंधेबाज ने 90 करोड़ रुपये से अधिक धन जमा किया और लापता हो गया. कंपनी का संचालक राजेश मौर्या, उसका भाई ब्रजेश मौर्या, पत्नी पूजा मौर्या और खजरियापुर गांव के कुछ अन्य लोग फरार हैं.
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राजेश मौर्या ने सबसे पहले अपनी मौर्या बिरादरी के लोगों को ही एजेंट बनाया और उनके जरिए लोगों का निवेश कराया. इन्हीं एजेंटों के माध्यम से अन्य लोग भी एजेंट बने. कंपनी द्वारा जमा की कोई रसीद नहीं देकर निवेशक को एक डायरी दिखाई जाती थी, जिसमें एजेंट और क्लाइंट का डिटेल लिखा जाता था. बाद में निवेशक से एक शपथ-पत्र भी लिया गया जिसमें लिखवाया गया की वे कंपनी को 30 हजार रुपये दान में दे रहे हैं. मतिभ्रम के शिकार लोग इसके बावजूद सतर्क नहीं हुए. लोग बताते हैं कि फ्रॉड राजेश मौर्या का धंधा केवल फतेहपुर में ही नहीं बल्कि कौशांबी, प्रतापगढ़, बांदा, चित्रकूट, रायबरेली, उन्नाव व कुछ अन्य जिलों में भी फैला है. धंधेबाज ने नियुक्त किए गए एजेंटों को भी लूटने से परहेज नहीं किया. व्यापारी अशोक तिवारी और उनके रिश्तेदारों ने 15 लाख रुपये लगाए.
ऐरायां सादात की ग्राम प्रधान के पति शमशाद कुरैशी और उनके रिश्तेदारों ने 20 लाख रुपये का निवेश किया था, जबकि कुरैशी उस फ्रॉड राजेश मौर्य का खास व्यक्ति था. इसी प्रकार सैकड़ों एजेंट्स के माध्यम से रुपये जमा कराए गए. थाना सुल्तानपुर घोष में राजेश मौर्या, ब्रजेश मौर्या, पूजा मौर्या के साथ ही उसी गांव के कुछ अन्य लोगों पर मामला दर्ज कराया गया है, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है. पुलिस के हाथ गर्म हो चुके हैं इसलिए वह हाथ पर हाथ धरे बैठी है. यह स्थानीय लोगों का स्पष्ट आरोप है. लोग यह भी कहते हैं कि स्थानीय नेता भी मौर्या से पैसा खाए हुए हैं. इस भीषण धोखाधड़ी से लोग गहरे सदमे में हैं. दबाव के कारण कई एजेंट्स के घरों में मौत हो चुकी है. सुल्तानपुर घोष गांव के दिनेश यादव के पिता राकेश यादव की इसी वजह से मौत हो गई. दिनेश ने लोगों के करीब 10 लाख रुपये जमा कराए थे. इसी तरह डोली का पुरवा निवासी झूरी ने भैंस बेचकर, प्रेमनगर के कपड़ा व्यापारी सैयद इश्तियाक ने अपनी दुकान बेचकर, प्रेमनगर की मीरा ने बैंक से लोन लेकर, कसेरुआ की बिटान देवी और पोखरी के कल्लू और बुद्धिलाल ने साहुकार से कर्ज लेकर, बेहटापर के कल्लू व मनोज ने केसीसी से कर्ज लेकर पैसे लगाए थे जो डूब गए. ये सभी भीषण सदमे में हैं, लेकिन प्रशासन और पुलिस का कोई ध्यान नहीं है.