हम हैं किसान, देश की है आन
देश की है शान, हम हैं किसान
किसान है तो धान है, किसान है तो प्राण है
जिंदगी किसान का तो, योगी का निर्वाण है
हम हैं किसान, देश की है आन
देश की है शान, हम हैं किसान
किसान ही तो हल है, किसान ही तो,बल है
किसान से तो गांव के, विकास का संबल है
हम हैं किसान, देश की है आन
देश की है शान,
देखो!
हम हैं किसान
किसान है तो साग है, किसान है तो भाग है
किसान से सदा ही बुझती,पेट की वो आग है
हम हैं किसान, देश की है आन
देश की है शान, हम हैं किसान
किसान का पसीना, जैसे ऊर्जा विकास का,
किसान ही तो स्त्रोत, पूरे देश के प्रकाश का
हम हैं किसान,
देश की है आन
देश की है शान,
योगी का निर्वाण
हम हैं किसान!
जी वेंकटेश लेखक, 1973 में भोपाल में जन्मे, और 1997 से, भारत में, एक वास्तुविद एवं नगर निवेशक हैं। वह एक शिक्षाविद, समाज सेवी, कलाकार एवं दार्शनिक भी हैं।