प्रधानमंत्री जी को आखिरकार खलिस्तानी-खलिस्तानी गाली गलोज जिनपर की उनके ही धर्म संस्थापक के जन्मदिन पर प्रकाश पर्व मनाने के आडमे ! आज हमेशा की तरह नाटकीयता से तीनों कृषी कानून वापस लेने की घोषणा करनी पडी !
लेकिन 360 दिनोमेसे एक-एक दिन का हिसाब देना होगा ! सबसे पहले पंजाब के किसानों को खलिस्तानी गाली गलोज ,दुसरी बात रस्ते खुदवाना, फिर किले गाडने की करतूतों का, तीसरी बात दो-तीन डिग्री सेल्सियस तपमान मे ठंडे पानी के फौवारे छोडने की ! और चौथी बात हरियाणा-उत्तर प्रदेश के बीजेपीके पुलिस के भेषमे के गुंडों की हरकतों को तो शायद ही कोई होगा जो भुल कर इन्हें माफ करेंगा ! और पाचवी बात शेकडो की संख्या में ठंड और अन्य कारणों से सत्याग्रह स्थल पर शहीद होने वाले ! किसानों के परिजनों को तो जींदगी भर याद रहेगा ! कि उनका अपना कहा और किस हालत में मरा या मरी है ! और सबसे संगीन छठवी बात हमारे देश के जनतंत्र दिवस पर ! लाल किले पर भाडेके लोगों द्वारा की गई करतूतों का हिसाब किताब तो देना ही होगा !

और सातवी बात ताजा-ताजा घटित उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की घटना ! शायद ही कोई होगा जो भुल कर इन्हें माफ करेंगे ! क्योंकि किसानों के उपर देश के गृह राज्य मंत्री का बेटा मोटर गाडी से कीडे-मकौडे के जैसे कुचल कर मार दिया ! और उस घटना की उत्तर प्रदेश के पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के नाम पर लीपा-पोती देखकर ! जिसका संज्ञान हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय को लेना पडा ! क्या ऐसी सरकार को दोबारा उत्तर प्रदेश में चुनाव में चुनकर देने की गलती करना है ? और वैसे तो नैतिकताका ढोल पीटने वाले बीजेपी को अब उत्तर प्रदेश के सरकार को खुद बर्खास्त कर देना चाहिए ! क्योंकि महाराष्ट्र, बंगाल और अन्य गैरबीजेपी सरकारोंके पीछे तो पूरा राज भवन बीजेपी कार्यालय बनाकर रख दिया है ! लखनऊ के राज भवन को क्या हो गया है ?

इन तीनों कृषी कानूनों को राज्य सभा में बीजेपी का बहुमत नहीं होने के बावजूद जींस तरह से तथाकथित आवाजी मतदान की आडमे ! आनन-फानन में बील पास करना ! और दुसरे दिन सुबह-सुबह आत्मक्लेश के नाम पर राष्ट्रपति महोदय को पत्र ! और उस पत्र को आज प्रकाश पर्व की आडमे आनन-फानन में बील वापसिके निर्णय की घोषणा करने वाले महाशय उस पत्र को अपने ट्विटर पर देश की संसदीय इतिहास का नायाब दस्तावेज बोल कर पोस्ट करने की बात भला कोई भी भूल नहीं सकता है ? और इन्हीं की बार-बार संसद से लेकर सड़क तक की घोषणा ! की यह तीनों कृषी कानून वापस लेने का कोई कारण नहीं है ! क्योंकि यह भारत के कृषि क्षेत्र में क्रांति के लिए हमारे सरकार ने उन्हें लाने का निर्णय लिया है ! इन कानूनों के तारीफ के कशिदे पढने के लिए अपने सभी संसद सदस्यों को अपने-अपने मतदाता संघ में भेजने वाले कौन लोग हैं ! और कृषि कानुन के खिलाफ चल रहे आंदोलन को विदेशी मदद लेने के आरोपों से लेकर ,देशद्रोही और कुछ आंदोलनकारीयोके उपर बाकायदा देशद्रोह के आरोप में जेलों में बंद कर के कार्यवाही भी चल रही है ! उसे कौन भूलनेकी गलती करने वाले हैं ? और एक साल से अपने खेत-खलिहानों को छोड़कर उनका जो नुकसान हुआ है! उसकी भरपाई कौन करेगा ? और संपूर्ण घर परिवार की हालत इन दिनों में क्या हुईं होगी ? आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा ?

अंग्रेजी राज पराये लोगों का था लेकिन उनमें भी कुछ लिहाज था! महात्मा गाँधी जी के अफ्रीका से भारत वापस आने के बाद 1915 में उनके जीवन का भारत का पहला आंदोलन चंपारण के किसानों को लेकर हुआ है ! और उन्होंने चंपारण के किसानों की परिस्थिति क्या है ? इसके हजारों किसानों के हस्ताक्षर या अंगूठा लगाए निवेदन पढकर कलकत्ता से वायसराय ने कमिटी की स्थापना की है ! और उस कमिटी के रिपोर्ट ! और किसानों के निवेदनो के आधार पर ही तीन कठीया कानून वापस लेने की घोषणा की है ! और आज चंपारण में निल का नामो-निशान तक नहीं है ! यह एक सौ छ साल पहले की बात है ! और हमारे अपने ही लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार ! एक साल से चल रहे आंदोलन को देखकर नहीं !

उनके अपने आई बी, सीबीआई और संघ परिवार के विभिन्न लोगों की रिपोर्ट को देखकर ! आज प्रकाश पर्व मनाने के बहाने यह निर्णय घोषित किया है ! और आप के अबतक के सभी निर्णय सिर्फ और सिर्फ चुनाव के इर्द-गिर्द में ही लेने का इतिहास है ! लेकिन हम खुद किसान परिवार से है ! और हमारे किसान भाईयोकी माली हालत और भावनाओं को देखकर ! हम आपके निर्णय को भले चुनाव की बदबू आ रही है ! तो भी एक साल लगातार चलने वाला भारत के इतिहास का पहला आंदोलन ! चंपारण के किसानों को तो सिर्फ नब्बे दिनों के भीतर न्याय मिला है !

लेकिन आपकी संवेदना की डिग्री ही अलग से होने के कारण आपने भले चुनाव को देखकर ! और खलिस्तानी गाली गलोज जिनपर की उनके ही धर्म संस्थापक के जन्मदिन पर प्रकाश पर्व मनाने के बहाने यह निर्णय घोषित किया है ! तो भी गुरु नानक देव जी के 552 वे जन्मदिन को देखकर हम आपके निर्णय का ! हमारे देश के अन्नदाता की दशा और दिशा को देखकर स्वागत करते हैं ! आपने गुरु नानक देव जी के पावन जन्मदिवस पर घोषणा की है ! इसलिए उम्मिद है कि इसपर कायम रहोगे ! और सचमुच आनेवाले संसदीय शितसत्र में तीनों कृषी कानून वापस लेने का प्रस्ताव पारित किया जायेगा इस उम्मीद के साथ ! अन्यथा आपकी विश्वसनीयता का ट्रेक रेकार्ड कुछ खात्री लायक नहीं है इसलिए ! आप उसे थोड़ा बदलने की राजनीति ही सही लेकिन करोगे इस विस्वास के साथ !

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