बाबा रे बाबा…!
वैसे तो दो नाव पर सवार होना भी खतरों का खेल होता है, लेकिन उनके खेल निराले ही कहे जाएंगे…! एक नाव से दूसरी कश्ती और दूसरी नाव से तीसरे छोर पर छलांग लगाने की ख्वाहिशों ने उन्हें धराशायी कर दिया है…! गिरे भी ऐसे हैं तो आसमान मिला, न खजूर का सहारा नजर आ रहा है…! एक कहावत और है, जिसका काम उसी को रास आता है, दूसरा करने की कोशिश में न इस डाल का रह पाता है और न उस डाल पर ठोर मिलने के आसार रहते हैं…! घर के रहे न घाट के, की कहावत चरितार्थ करते बाबा जी न धर्म के रहे और न सियासत के…! कभी सियासी पार्टियों के हमाम में गोते लगाने की ख्वाहिश में वे टिकट मांगते दिखे तो कभी एक मिले हुए तमगे से भी नाखुश हो गए…! महागलती तब कर बैठे जब दूसरे पाले में जाकर खुशियों की तलाश में पहले वाले दल को बुरा-भला कहने से बाज नहीं आए…! सब्र और शांति का रुख ज्यादा दिन नहीं रह पाया, धार्मिक छवि का ख्याल भी ज़्यादा दिन नहीं रखा जा सका, कार्यवाहियों की गाज गिरना शुरू हुई तो अब सिर आसमान के नीचे दबा नजर आने लगा है…!
बाबा या नेता बनने के हालात तो बन नहीं पाए, गुर्राहट ने अपराधी ज़रूर बना दिया है…! अवैध अतिक्रमण और विलासिता के गैर ज़रूरी सामानों की अथाह जमावड़े ने उन लोगों को भी बदनामी की कगार पर ला खड़ा किया है, जो धर्म और समाज के लिए कुछ करने की नीयत रखे सुकून से काम कर रहे थे…! मुश्किल में वे भी आ गए हैं, जो बाबा के अनुयायी या उनसे किसी तरह से जुड़े होने की गलती कर बैठे थे…! सियासी प्रशासन का शिकंजा ऐसा जकड़ता दिखाई देने लगा है कि पिछले बाबाओं की तरह हश्र होने के हालात बन गए हैं…! भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थल में गुजरने वाले चंद दिन उन्हें सद्बुद्धि के साथ लौटाए तो बाहर आने के बाद हिमालय उनकी राह तक रहा है, वहां जाकर वे उस शांत स्थान को अपने विलाप से अशांत कर सकते हैं…!
पुछल्ला
बचे हुए लोगों का संक्रमण
देश-दुनिया में पहचान रखने वाले एक शायर पिछले दिनों कोरोना संक्रमण से घिर गए। राजधानी भोपाल के एक कद्दावर नेता को भी एक दिन पहले इन्हीं लक्षणों के साथ अस्पताल में दाखिला लेना पड़ा। दो गज की दूरी और मॉस्क की जरूरियात को संभवत: दोनों ही बेहतर तरीके से निभा रहे थे। कोविड के अगले चरण में बढ़ती हर दिन मरीज संख्या लोगों को फिर डराने लगी है। दसों एहतियात रखने वालों के सिर पर सवार होने वाली यह बीमारी उन लोगों का क्या हश्र करेगी, जिन्हें लगता है कि अरे कुछ नहीं है यार…!
खान अशु