biharबिहार में हर तरह की परीक्षा में घपलेबाजी और बेरोजगारों के साथ खिलवाड़ एक नियति सी बन गई है. अभी इंटर की परीक्षा का मामला सुलझा भी नहीं था कि मुंगेर में बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी के तहत कार्यपालक सहायक नियुक्ति परीक्षा का परिणाम चर्चा में है. कार्यपालक सहायक नियुक्ति प्रक्रिया के तहत कंप्यूटर की दक्षता परीक्षा में अनियमितता को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. अब जिला प्रशासन द्वारा नए सिरे से परीक्षा लेने की बात कह कर उन बेरोजगारों के भविष्य को दांव पर लगा दिया है. जिनका चयन एक बार हो चुका था. प्रशासन का कहना है कि प्रशासनिक जांच के बाद दक्षता परीक्षा में अनियमितता का मामला उजागर हुआ. अनियमितता को लेकर परीक्षा तो रद्द कर दी गई, लेकिन जिनकी मेहरबानी से घपलेबाजी हुई उन अधिकारियों की कोई जिम्मेदारी तय नहीं की गई. इसे लेकर अब सफल अभ्यर्थियों ने आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर लिया है. तय रणनीति के तहत वे लोग आमरण अनशन पर बैठ गए हैं.

कार्यपालक सहायक की दक्षता परीक्षा परिणाम को रद्द करने का विरोध करने वाले सफल अभ्यर्थियों अनंत कुमार झा, अर्चना रंजन, अशोक कुमार, रोशनी कुमारी, लक्ष्मण कुमार सहित दर्जनों अभ्यर्थियों ने जिलाधिकारी द्वारा टंकण परीक्षा के फाइनल मेरिट लिस्ट को रद्द किए जाने पर रोष व्यक्त किया है. उन्होंने कहा है कि इस मामले में धांधली जिला प्रशासन के अधिकारी व कर्मी द्वारा किया गया और इसकी सजा अभ्यर्थियों को भोगने के लिए कहा जा रहा है जो पूरी तरह गलत है. इस मामले में दक्षता परीक्षा में संलिप्त अधिकारियों व कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन जिला प्रशासन वैसे अधिकारियों व कर्मियों को क्लीनचीट दे रहा है.

गौरतलब है कि कार्यपालक सहायक के टंकण परीक्षा समाहरणालय स्थित जिला सूचना केंद्र (एनआइसी) में ली गई. इस परीक्षा में लगभग 1516 परीक्षार्थी सरीके हुए थे. परीक्षा जिला प्रशासन के आलाधिकारियों व कर्मियों की उपस्थिति में हुई. उसके बाद विगत 3 मई 2016 को 1516 अभ्यर्थियों में से 651 अभ्यर्थियों की सूची फाइनल मेरिट लिस्ट का प्रकाशन किया गया. उसके बाद नेताओं व असफल अभ्यर्थियों द्वारा आरोप-प्रत्यारोप का दौर प्रारंभ हो गया. एंटी करप्शन एक्टिविस्ट फोरम के संजय केसरी ने अनियमितता का सवाल उठाया था. इस मामले में विरोध को देखते हुए जिलाधिकारी द्वारा तीन सदस्यीय जांच कमिटी का गठन किया गया. जब उपविकास आयुक्त रामेश्वर पांडेय के नेतृत्व में गठित जांच दल ने परीक्षा की जांच की तो बड़े पैमाने पर धांधली का मामला उजागर हुआ. जिसमें एक ही उत्तरपुस्तिका के परिणाम को कई अभ्यर्थियों के उत्तरपुस्तिका के रूप में उपयोग किया गया. जबकि कई उत्तरपुस्तिका समान थी. परीक्षा लेने वालों में जिला सूचना पदाधिकारी पंकज कुमार झा, अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी खिलाफत अंसारी, खाद्य आपूर्ति पदाधिकारी अखिलेश झा, वरीय उपसमाहर्ता प्रेमकांत सूर्य आदि पदाधिकारी थे. जाहिर है कि घपलेबाजी भी इन्हीं पदाधिकारियों व कर्मियों की मेहरबानी से हुई. लेकिन इनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है.

मेरिट लिस्ट के प्रकाशन के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर प्रारंभ हो गया. जिला प्रशासन के कई कर्मियों के नजदीकी रिश्तेदार थोक भाव में परीक्षा में उत्तीर्ण हुए. जिससे धांधली की बू आ रही थी. जब प्रशासनिक स्तर पर इसकी जांच कराई गई तो मामले में धांधली भी उजागर हुई. जिला पदाधिकारी ने परीक्षा को रद्द करते हुए पुन: परीक्षा लेने की घोषणा की है. लेकिन जिन अधिकारियों के नेतृत्व में यह दक्षता परीक्षा लिया गया उन अधिकारियों के विरुद्ध प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. मेरिट लिस्ट के सवाल पर उत्तीर्ण छात्र जब जिला पदाधिकारी से मिले थे तो उन्होंने संजय केसरी के आरोप और अनुत्तीर्ण छात्र का हवाला देते हुए कहा कि इसके बाद प्रशासन को यह फैसला लेना पड़ा. उसके बाद उत्तीर्ण छात्रों का गुस्सा भड़का और संजय केसरी के घर का घेराव किया. इस परीक्षा में उत्तीर्ण एक अभ्यर्थी का कहना है कि किसी परीक्षा में घपलेबाजी होती है पूरे परिणाम को रद्द कर बेरोजगारों को परेशान करना कहां का इंसाफ है.

इस परीक्षा में घपलेबाजी और नियुक्ति में विलंब का नतीजा यह है कि जिला प्रशासन के कई कार्यालय बिना कार्यपालक सहायक के चल रहे हैं. मजे की बात तो यह है कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग बिना कार्यपालक सहायक के चल रहा है. जबकि इस विभाग में कार्यपालक सहायक की सख्त आवश्यकता है. यहां के अधिकारी को छोटे-छोटे काम के लिए दूसरे विभाग के कार्यपालक सहायक पर निर्भर रहना पड़ता है.

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