आगामी लोकसभा चुनाव में बेगूसराय संसदीय सीट से प्रत्याशी बनने के लिए केन्द्रीय सरकार के दो मंत्री लार टपका रहे हैं. इनमें पहला नाम है सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग राज्य मंत्री गिरिराज सिंह का. गिरिराज सिंह गत दो लोकसभा चुनाव से बेगूसराय सीट पर नजर गड़ाए हुए हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई है. 2014 के लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह ने खुलेआम घोषणा की थी कि वे चुनाव लड़ेंगे तो बेगूसराय से, अन्यथा नहीं लड़ेंगे.
लोकसभा चुनाव में अभी एक साल का समय है, लेेकिन भाजपा अभी से चुनावी मोड में काम करने में जुटी है. भाजपा में बेगूसराय के लिए पार्टी उम्मीदवार को लेकर चुनावी बिसात बिछने लगी है. संभावित उम्मीदवारों ने चहल-पहल शुरू कर दी है. जिन नेताओं के दर्शन भी दुर्लभ थे, वे अब धरातल पर नजर आने लगे हैं. सामाजिक कार्यक्रमों में उनकी सहभागिता बढ़ने लगी है. बेगूसराय संसदीय सीट भाजपा के पास है. डॉ. भोला सिंह सांसद हैं.
लम्बी आयु और गिरते स्वास्थ्य के कारण आगामी लोक सभा चुनाव में भाजपा वर्तमान सांसद डॉ. भोला सिंह को प्रत्याशी नहीं भी बना सकती है. वैसी स्थिति में रिक्त पद को भरने के लिए भाजपा नेताओं ने अपनी गोटी सेट करने का प्रयास शुरू कर दिया है. रिक्त स्थान से उत्पन्न चक्रवातीय तूफानी संघर्ष में कौन संभावित प्रत्याशी अपने को सुदृढ़ रख पाएगा, इस पर जनता की नजर है. लेकिन उम्मीदवारों का भगीरथ प्रयास जारी है.
बेगूसराय के वर्तमान सांसद डॉ. भोला सिंह विलक्षण व्यक्तित्व के धनी हैं. उन्होंने अपने 50 वर्षों के राजनीतिक जीवन को अपनी इच्छानुसार जीया और भोगा है. उनकी कूटनीति के सामने कोई दूसरा टिक नहीं पाया है. भाजपा ने जिस भोला सिंह को सिरदर्द समझ 2009 के लोक सभा चुनाव में नवादा का रास्ता दिखाया था, उसी भोला सिंह ने नवादा संसदीय सीट पर भगवा फहराकर अपनी परिपक्व राजनीति एवं कूटनीति का लोहा मनवाया.
भोला बाबू की क्षमता को स्वीकार करते हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें गृह संसदीय सीट बेगूसराय से प्रत्याशी बनाया गया था. बेगूूसराय में भी भोला सिंह प्रथमवार कमल खिलाकर भाजपा का ध्वज फहरा लोकसभा पहुंचे. शेर बूढ़ा होने पर भी शेर ही कहलाता है. भोला सिंह चाहेंगे कि यदि वे लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ पाते हैं तो उनके चहेते को ही प्रत्याशी बनाया जाए. उनका सानिध्य और आशीर्वाद पाने के लिए भाजपा के एक बड़े नेता प्रयासरत दिखाई दे रहे हैं.
आगामी लोकसभा चुनाव में बेगूसराय संसदीय सीट से प्रत्याशी बनने के लिए केन्द्रीय सरकार के दो मंत्री लार टपका रहे हैं. इनमें पहला नाम है सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग राज्य मंत्री गिरिराज सिंह का. गिरिराज सिंह गत दो लोकसभा चुनाव से बेगूसराय सीट पर नजर गड़ाए हुए हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई है. 2014 के लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह ने खुलेआम घोषणा की थी कि वे चुनाव लड़ेंगे तो बेगूसराय से, अन्यथा नहीं लड़ेंगे. लेकिन पार्टी ने भोला सिंह को प्रत्याशी बनाया और गिरिराज सिंह को नवादा जाना पड़ा. 2019 के लोकसभा चुनाव में वे बेगूसराय से चुनाव लड़ने की प्रबल इच्छा पाले हुए हैं. यद्यपि वे नवादा के सांसद हैं. लेकिन बेगूसराय संसदीय क्षेत्र के कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति अधिक रहती है.
दूसरा नाम है पेयजल एवं स्वच्छता तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री सरदार सुरेन्द्रजीत सिंह अहलूवालिया का. जब अहलूवालिया परिवार बेगूसराय आया तो उस समय सुरेन्द्रजीत सिंह अहलूवालिया कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेताओं में शुमार थे और श्रीमती कृष्णा शाही का सानिध्य प्राप्त था. वे उद्योगपति घराने से आते हैं. बरौनी औद्योगिक क्षेत्र में बरौनी रिफाइनरी पर आधारित कार्बन कारखाना है. कृष्णा शाही के बाद भरपूर प्रयास किया कि बेगूसराय लोकसभा सीट से उन्हें कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी बनाए. लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली. बाद में वे कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाए जाने का प्रयास तेज किया.
लेकिन वे भोला सिंह से मात खा गए और पार्टी ने उन्हें दार्जिलिंग संसदीय सीट से चुनावी मैदान में उतारा. सम्प्रति वे वहां के सांसद हैं. कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद बेगूसराय की राजनीतिक गतिविधियों में उनकी उपस्थिति घटती गई. 2019 का चुनाव नजदीक आते ही और भोला बाबू के चुनाव नहीं लड़ने की संभावना को भांपते हुए सुरेन्द्रजीत सिंह अहलूवालिया बेगूसराय संसदीय क्षेत्र के कार्यक्रमों में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया है. यों बेगूसराय में अहलूवालिया परिवार का अपना निवास स्थान है और वह कॉलोनी भी अहलूवालिया कॉलोनी के नाम से जानी जाती है.
भाजपा के प्रदेश मंत्री एवं बेगूसराय जिला भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रामलखन सिंह भी इस दौड़ में शामिल हैं और पार्टी प्रत्याशी के प्रबल दावेदार बताए जाते हैं. रामलखन सिंह समृद्ध किसान के साथ उद्योगपति भी हैं. वे आरएसएस कैडर से आते हैं. बिहार में भाजपा के संस्थापकों में शुमार कैलाशपति मिश्र के काफी नजदीक रहे हैं. जिस समय उन्हें बेगूसराय जिला भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया, उस समय भाजपा शहरों तक ही सीमित थी.
रामलखन सिंह ने संघर्षशील सांगठनिक क्षमता का परिचय देते हुए भाजपा को गांव की सड़कों-गलियों तक में स्थापित किया. खासकर युवावर्ग का उन्हें व्यापक समर्थन हासिल था. रामलखन सिंह के कारण युवावर्ग भाजपा के पीछे दिवाना था और पार्टी को गरीबों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. न सिर्फ जिला बल्कि प्रदेश भाजपा में राम लखन सिंह सम्मानित नेता माने जाते हैं. सम्प्रति वे भाजपा के प्रदेश मंत्री हैं आरएसएस में भी राम लखन सिंह की गहरी पैठ है.
भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री, बिहार विधान सभा में सत्तारूढ़ दल के उप मुख्य सचेतक रजनीश कुमार भी प्रबल दावेदारों की सूची में शामिल हैं. वे भाजपा के युवा तुर्क नेता हैं. त्रिस्तरीय पंचायती राज के बेगूसराय-खगड़िया निर्वाचन क्षेत्र से लगातार दो बार विधान पार्षद निर्वाचित हुए हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी वे प्रत्याशी के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. लेकिन पार्टी ने भोला सिंह को प्रत्याशी बनाया. उसी समय से रजनीश कुमार की निगाह बेगूसराय संसदीय सीट पर है. वे पार्टी के सभी कार्यक्रमों, सामाजिक कार्यक्रमों, प्राकृतिक आपदा-विपदा के समय पीड़ितों के दु:ख-सुख में अपनी सहभागिता प्रदान करने से नहीं चूकते हैं.
प्रोफेसर राकेश सिन्हा का नाम भी इस सूची में लिया जा रहा है. लेकिन जनता के बीच वे अपनी पहचान गहराई तक नहीं बना पाए हैं. 53 वर्षीेय प्रोफेसर राकेश सिन्हा बेगूसराय जिले के बलिया प्रखंड स्थित मनसेरपुर गांव के निवासी हैं. वे पढ़ाई में काफी तेज थे. नेतरहाट विद्यालय के टॉपर छात्र रहे हैं. स्वर्ण पदक प्राप्त किया है. बीए एवं एमए की शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त की है. सम्प्रति दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैं. इसके साथ ही भारत नीति प्रतिष्ठान के निदेशक हैं. आरएसएस के प्रमाणिक एवं विश्वसनीय विचारक हैं. अच्छे लेखक हैं. आरएसएस के डॉ. हेडगेवार की जीवनी लिखी है. विद्यार्थी जीवन से ही राजनीतिक पत्रकारिता से जुड़े हैं.
दिल्ली में पढ़ाई के दौरान आरएसएस से प्रभावित होकर संघ से जुड़े. यों बेगूसराय से लोकसभा चुनाव में मोनाजिर हसन एवं सूरजभान सिंह जैसे व्यक्ति भी लोक सभा पहुंचे हैं, जिनका बेगूसराय की जनता से कोई लगाव या राजनीतिक पहचान नहीं थी. बेगूसराय के राजनीतिक गलियारे में ऐसी चर्चा है कि आगामी लोक सभा चुनाव में भाजपा उपरोक्त राजनेताओं में से किसी को भी चुनाव मैदान में उतार सकती है. एसएस अहलूवालिया को छोड़कर शेष पांचों नेता एक ही जाति विशेष से आते हैं, जिसके लिए बेगूसराय जाना जाता है. चर्चा यह भी है कि वर्तमान सांसद डॉ. भोला सिंह जिसको आशीर्वाद देंगे, बेगूसराय का टिकट उसी को मिलेगा.