क्रिकेटर से नेता बने गौतम गंभीर के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया गया है। चुनाव आयोग ने पूर्वी दिल्ली के रिटर्निंग ऑफिसर को बीजेपी उम्मीदवार गौतम गंभीर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। गंभीर को बिना अनुमति के रैली करने का आरोप है।


बीजेपी नेता गौतम गंभीर के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है। चुनाव आयोग के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने यह कार्रवाई की है। चुनाव आयोग ने दिल्ली पुलिस से कहा था कि वह बिना इजाजत रैली करने के मामले में गौतम गंभीर पर एफआईआर दर्ज करे। दरअसल, 25 अप्रैल को दिल्ली के जंगपुरा में गौतम गंभीर ने एक रैली की थी, जिसकी इजाजत प्रशासन ने नहीं दी थी।

चुनाव आयोग ने कहा कि 25 अप्रैल को रैली की इजाजत न लेकर गौतम गंभीर ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है। यही वजह है कि चुनाव आयोग के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई की है।

इससे पहले आम आदमी पार्टी (आप) ने पूर्वी दिल्ली से बीजेपी उम्मीदवार गौतम गंभीर का नाम मतदाता सूची में दो बार दर्ज होने का गंभीर आरोप लगाया है, जिसके बाद उनके खिलाफ इस मामले में तीस हजारी अदालत में आपराधिक शिकायत दर्ज की गई है। पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में पूर्व क्रिकेटर के मुकाबले में आम आदमी पार्टी की आतिशी मैदान में हैं। उन्होंने शुक्रवार को कहा, “मैं पूर्वी दिल्ली से भाजपा उम्मीदवार गौतम गंभीर के खिलाफ दिल्ली के दो अलग-अलग क्षेत्रों -करोल बाग और राजेंद्र नगर- से दो अलग-अलग वोटर कार्ड रखने का आपराधिक मामला दर्ज कराया है।”

शिकायत तीस हजारी अदालत में धारा 155(2) के तहत दर्ज कराई गई है, जिसमें मामले की पुलिस जांच की मांग की गई है। उन्होंने यहां मीडिया से कहा, “जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति दो जगह से वोट नहीं दे सकता। धारा 31 के तहत कोई व्यक्ति अगर दो जगह से मतदाता सूची में नाम दर्ज कराता है तो उसे एक साल तक की सजा दी जा सकती है।”

आतिशी ने यह भी कहा कि गंभीर ने नामांकन के समय रिटर्निग ऑफिसर को सौंपे अपने हलफनामे में कहा है कि वह केवल विधानसभा क्षेत्र राजिंदर नगर -39, भाग संख्या 43, सीरियल नंबर 285, ईपीआईसी नंबर – एसएमएम1357243 में मतदान करने के लिए पंजीकृत हैं।

उन्होंने कहा, “हालांकि, यह पता चला है कि गंभीर को विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र करोल बाग -23, भाग संख्या 86, सीरियल नंबर 87, ईपीआईसी नंबर – आरजेएन1616218 में भी वोट देने के लिए पंजीकृत किया गया था।”

आप नेता ने कहा, “यह तथ्य जानबूझकर अपने नामांकन की फाइलिंग और छानबीन के दौरान छुपाए गए थे, ताकि रिटनिर्ंग ऑफिसर उनके नामांकन को अस्वीकृति न कर दे।”

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