मुंबई: चुनावी माहौल है विपक्ष सरकार को रोजगार के मुद्दे पर घेर रहा है, वहीं सरकार बेरोजगारी, गरीबी और सवेदनशील मुद्दों से इतर धर्म और जाति की राजनीती में उलझी हुई है. ऐसे समय में जब देश में रोजगार सृजन की धीमी रफ्तार को लेकर तमाम चिंताजनक खबरें सामने आई हैं, एक अनुमान सामने आया है कि अगले सात साल में देश में सिर्फ ई-वेस्ट के क्षेत्र में करीब 5 लाख नई नौकरियों का सृजन हो सकता है. जो एक राहत भरी खबर है.
क्या होता है ई-वेस्ट और इससे कैसे मिलेगा रोजगार ?
साल 2025 तक ई-वेस्ट यानी इलेक्ट्रॉनिक कचरा के क्षेत्र में भारत में करीब 5 लाख नौकरियों का सृजन हो सकता है.आईएफसी के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक कचरा क्षेत्र में संपूर्ण श्रृंखला-संग्रह, एकत्रीकरण, निराकरण और रीसाइक्लिंग में 2025 तक 450,000 प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे. इसके अलावा हजारों की संख्या में अप्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होगा. साथ ही, परिवहन और विनिर्माण जैसे संबद्ध क्षेत्र में भी 180,000 नौकरियां पैदा होने की संभावना है.
आईएफसी 2012 से ई-कचरा क्षेत्र में कार्य कर रहा है. समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक सरकार के ई-वेस्ट (मैनेजमेंट और हैंडलिंग) नियम 2016 के तहत आईएफसी और ‘करो संभव’ नाम के एक उत्पादक जिम्मेदारी संगठन (पीआरओ) ने यह दिखाने के लिए कि क्षेत्र की चुनौतियों के लिए पूरे भारत में जमीनी स्तर पर समाधान संभव हैं, 2017 में इंडिया ई-वेस्ट प्रोग्राम की शुरुआत की थी.
प्रोग्राम के तहत नागरिकों और निगमों से 4,000 मीट्रिक टन से अधिक ई-कचरा एकत्रित किया गया है और जिम्मेदारी से उसे रिसाइकल किया गया है. स्कूली बच्चों सहित 2,260,000 नागरिकों को बेकार हो चुके इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के सुरक्षित निपटान के प्रति जागरूक किया गया है.
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है और यहां मांग 2020 तक बढ़कर 400 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. भारत में प्रतिवर्ष 20 लाख टन ई-कचरा पैदा होता है. इसके 2020 तक 50 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है.
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