चैत्र की नवरात्रि की आज से शुरुआत हो गई है देशभर में देवी दुर्गा का पर्व आस्था के साथ मनाया जा रहा है. नवरात्रि पर्व मुख्य रूप से भारत के उत्तरी राज्यों सहित सभी क्षेत्रों में धूम-धाम से मनाया जाता है।
Varanasi: Devotees form queue outside Durga Kund Temple on the first day of #Navratri pic.twitter.com/WSm9joU3YR
— ANI UP (@ANINewsUP) April 6, 2019
नवरात्रि में देवी दुर्गा के भक्त नौ दिनों उपवास रखते हैं तथा माता की चौकी स्थापित की जाती हैं। नवरात्रि के नौ दिनों को बहुत पावन माना जाता है। इन दिनों घरों में मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन आदि चीज़ों का परहेज़ कर सात्विक भोजन किया जाता है।
साल में चार नवरात्र होते हैं, जिनमें से दो गुप्त नवरात्र होते हैं. आमतौर पर लोग दो नवरात्रों के बारे में जानते हैं- चैत्र या वासंतिक नवरात्र और आश्विन या शारदीय नवरात्र. इसके अलावा दो और नवरात्र भी हैं. जिनमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है. लेकिन चैत्र और आश्विन माह के नवरात्र ही ज्यादा लोकप्रिय हैं. चैत्र नवरात्र का खास महत्व है क्योंकि इस महीने से शुभता और ऊर्जा का आरम्भ होता है.
ऐसे समय में देवी की पूजा कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करना बहुत शुभ माना गया है. नवरात्र पर देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व है. मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पावन पर्व शुरू हो गया है.
1. माँ शैलपुत्री
2. माँ ब्रह्मचारिणी
3. माँ चंद्रघण्टा
4. माँ कूष्मांडा
5. माँ स्कंद माता
6. माँ कात्यायनी
7. माँ कालरात्रि
8. माँ महागौरी
9. माँ सिद्धिदात्री
देवी शैलपुत्री व्रत कथा
कहते हैं कि एक बार राजा प्रजापति ने यज्ञ आयोजित किया, सभी देवी-देवताओं को उसमें आमंत्रित किया लेकिन भगवान शिव को बुलावा नहीं भेजा। भगवान शिव की पत्नी सती इस यग्य में जानें के लिए व्याकुल हो रही थीं लेकिन शिवजी ने उन्हें समझाया कि उन्हें यज्ञ के लिए आमन्त्रित नहीं किया गया है, ऐसे में उनका वहां जाना सही नहीं है. किन्तु सती के बहुत आग्रह करने पर भगवान शिव ने उन्हें अकेले ही वहां जाने के लिए कह दिया. वहां पहुंचने पर सती को माहौल कुछ ठीक नहीं लगा. ना माता-पिता ने सही से बात की और बहनों की बातों में भी व्यंग्य और उपहास के भाव थे. दक्ष ने भगवान शिव के बारे में कटु वचन भी कहे जिससे क्रोधित होकर यज्ञ की अग्नि से ही सती ने खुद को जलाकर भस्म कर लिया. कहा जाता है कि देवी शैलपुत्री के रूप में ही सती को अगले जन्म की प्राप्ती हुई थी. शैलपुत्री भी भगवान शिव की पत्नी थीं. पुराणों में इनका महत्व और शक्ति अनंत है.
देवी शैलपुत्री का व्रत करने के लाभ
– कुँवारी कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है
– वैवाहिक जीवन में सुख आता है
– देवी की अराधना से साधक का मूलाधार चक्र जागृत होता है
– विभिन्न सिद्धियों की भी प्राप्ति होती है
देवी से जुड़ा रंग एवं मंत्र
नवरात्रि के पहले दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें, आदि शक्ति, मां दुर्गा या भगवती की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जप कर उनकी अराधना करें:
वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
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