तालिबान उसके बदले बर्गडहल को अमेरिका के हवाले करने को तैयार है. इस्लामिक स्टेट उसके बदले फोली को रिहा करने पर आमादा हो गया था. ऐसा क्या है आफिया सिद्दीकी में कि हर एक जिहादी ग्रुप चाहता है कि अमेरिका उससे रिहा कर दे?
04दो वर्ष पूर्व पाकिस्तानी अधिकारियों ने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के एक ग्रुप के समक्ष एक आनोखा प्रस्ताव रखा. प्रस्ताव था कि यदि अमेरिका, टेक्सास के जेल में हत्या के प्रयास के आरोप में लम्बी सजा काट रही एक पाकिस्तानी महिला(आफिया सिद्दीकी) को रिहा कर देगा तो इस्लामाबाद 2009 से गायब अमेरिकी सेना के सार्जेंट बो बर्गडहल को रिहा करवाने का प्रयास करेगा. यह समझा जाता है कि बर्गडहल को पाकिस्तान में तालिबान लड़कों ने बंदी बना रखा है. इस प्रस्ताव के बारे में जानने वाले मौजूदा और भूतपूर्व अधिकारियों के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के सुरक्षा सलाहकार ने इस प्रस्ताव को उसी समय नकार दिया था. अमेरिकी अधिकारियों का कहना था कि आफिया सिद्दीकी जैसी कैदी को रिहा करना आतंकवादी गिरोहों को किसी तरह की छूट न देने की अमेरिकी नीति की अवहेलना है. सिद्दीकी को अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकियों की हत्या के प्रयास के आरोप में 2010 में सजा सुनाई गई थी. लिहाज़ा उसे छोड़ने का मतलब है एक संभावित और खतरनाक लड़ाके को वापस अमेरिका से लड़ने के लिए छोड़ देना. आतंकवाद विरोधी अभियान से जुड़े लोग 42 वर्षीय सिद्दीकी को लेडी अल-कायदा के नाम से जानते हैं, जिसके तार 9/11 के हमलों के संचालक और एफबीआई के मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल रहे खालिद शेख मुहम्मद से जुड़े बताये जाते हैं. अमेरिका के एमआईटी से डॉक्टरेट की उपाधि ले चुकी आफिया को 2008 में अफ़ग़ानिस्तान में सोडियम साइनाइड और एक दस्तवेज़ के साथ गिरफ्तार किया गया था. उस दस्तावेज़ में रासायनिक हथियार और डर्टी बम बनाने की विधि और इबोला को एक हथियार की तरह कैसे इस्तेमाल किये जाने का उल्लेख था. जब एफबीआई और सेना के अधिकारियों ने उससे पूछताछ करने की कोशिश की तो उसने टेबल पर रखी बंदूक से उनपर गोली चला दी.
हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने सिद्दीकी की रिहाई के बदले किसी की रिहाई पर सौदेबाज़ी नहीं की है, फिर भी आतंकवादियों और इस्लामिक उग्रवादियों की तरफ से पिछले कुछ वर्षों में कई बार अमेरिकी और यूरोपीय बंधकों को आफिया सिद्दीकी के बदले छोड़ने की पेशकश हुई है. उग्रवादियों ने कई बार यह धमकी भी दी कि यदि सिद्दीकी को नहीं छोड़ा गया तो वे बर्गडहल को क़त्ल कर देंगे. इस्लामिक स्टेट(आईएसआईएस) के आतंकवदियों ने भी अमेरिकी पत्रकार जेम्स फोली के क़त्ल से पहले उनकी रिहाई के लिए सिद्दीकी को आज़ाद करने की मांग रखी थी.
आईएसआईएस ने पिछले साल सीरिया में बंधक बनाई गई एक 26 वर्षीय अमेरिकी महिला सहायता कर्मी के बदले सिद्दीकी की रिहाई की मांग की है. उस समय अधिकारियों का मानना था कि इस्लामिक स्टेट ने पत्रकार स्टीवन सोटलोफ समेत चार लोगों को बंधक बना रखा है. सोटलोफ को हाल ही में फोली की तरह बेरहमी से मार दिया गया. उग्रवादियों ने नौजवान अमेरिकी महिला (जिसके परिवार वाले उसकी पहचान ज़ाहिर करने देना नहीं चाहते हैं ) को आजाद करने के लिए फिरौती के रूप में में 6.6 मिलियन डॉलर की मांग की है. फिरौती की मांग का खुलासा सबसे पहले एबीसी न्यूज़ पर हुआ था.

रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मंत्रालय पेंटागन की किसी इकाई द्वारा बंधकों के बदले सिद्दीकी की रिहाई के प्रस्ताव से अवगत नहीं है. ऐसे किसी प्रस्ताव पर सहमती देना क़ानूनी तौर पर एक जटिल प्रक्रिया है. राष्ट्रपति ओबामा को सिद्दीकी की सजा माफ़ करनी पड़े या उसकी सजा कम करनी पड़े क्योंकि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच इस तरह की कोई इस तरह की संधि नहीं है जिसकी मुताबिक अमेरिका में सजायाफ्ता कैदी पाकिस्तान की जेल में सजा काट सके. विशेषज्ञों का कहना है की सरकार शायद इस समस्या के हल के लिए कोई फॉर्मूला तलाश कर ले, लेकिन ऐसा करने से व्हाइट हाउस की आलोचना होगी कि सरकार आतंकवादियों के साथ प्रत्यक्ष वार्ता कर रही है.

हालांकि व्हाइट हाउस ने सिद्दीकी के बदले किसी अमेरिकी बंधक की रिहाई के ऊपर किसी भी तरह की बातचीत की संभावना को सिरे से ख़ारिज कर दिया है, फिर भी रक्षा विभाग में एक टीम है जो बंधकों के बदले सिद्दीकी की रिहाई के मुद्दे पर बातचीत के पक्ष में है. भूतपूर्व अमेरिकी सैनिक और अमेरिका के आर्म्ड सर्विसेज समिति के वरिष्ठ सदस्य डंकन हंटर ने अमेरिकी बंधकों को छुड़ाने की कोशिश नहीं करने के लिए ओबामा प्रशासन की आलोचना की थी. उनके प्रवक्ता जो केस्पर के मुताबिक हम रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी को जानते हैं जो बंधकों के बदले सिद्दीकी की रिहाई के विकल्प पर बातचीत करने के पक्ष में है. हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि बर्गडहल और अन्य कई बंधकों के मामले में इस विकल्प पर विचार किया गया था. फोली की हत्या के बाद अमेरिका में यह बहस ज़ोरों पर थी कि क्या अमेरिकी सरकार को अपने बंधकों की रिहाई के लिए फिरौती देनी चाहिए या कैदियों को अदला-बदली करनी चाहिए. अमेरिका कई यूरोपीय देशों से अलग बंधकों की रिहाई के बदले फिरौती नहीं देता है. विशेषज्ञों का मानना है की इस नीति के कारण अमेरिकियों के बंधक बनाये जाने की संभावना कम हो जाती है. लेकिन कई पूर्व बंधकों और उनके परिवार के सदस्य का मानना है कि यदि फिरौती देने से बंधकों की रिहाई हो जाती है तो सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. केस्पर का कहना है कि बर्गडहल के मामले में मुद्दा रक्षा मंत्री का पास पहुंचा ही नहीं. यह बहुत ही शर्मनाक है, क्योंकि यह गलत है या सही इस मामले में सभी विकल्पों पर विचार होना चाहिए था.
रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मंत्रालय पेंटागन की किसी इकाई द्वारा बंधकों के बदले सिद्दीकी की रिहाई के प्रस्ताव से अवगत नहीं है. ऐसे किसी प्रस्ताव पर सहमती देना क़ानूनी तौर पर एक जटिल प्रक्रिया है. राष्ट्रपति ओबामा को सिद्दीकी की सजा माफ़ करनी पड़े या उसकी सजा कम करनी पड़े क्योंकि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच इस तरह की कोई इस तरह की संधि नहीं है जिसकी मुताबिक अमेरिका में सजायाफ्ता कैदी पाकिस्तान की जेल में सजा काट सके.
विशेषज्ञों का कहना है की सरकार शायद इस समस्या के हल के लिए कोई फॉर्मूला तलाश कर ले, लेकिन ऐसा करने से व्हाइट हाउस की आलोचना होगी कि सरकार आतंकवादियों के साथ प्रत्यक्ष वार्ता कर रही है. आखिरकार बर्गडहल (जिसकी रिहाई के बदले सिद्दीकी की रिहाई का प्रस्ताव आया था) को क्यूबा के ग्वांतानामो जेल में कैद पांच तालिबानी कैदियों के बदले मई महीने में आज़ाद कर दिया गया. इस समझौते की यह कह कर निंदा की गई कि इस तरह की सौदेबाज़ी का मतलब है उग्रवादियों को छूट देना और अमेरिका की सुरक्षा को खतरे में डालना. दो साल पहले अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियां इस नतीजे पर पहुंची थीं कि इस तरह छोड़े गए कैदी जल्द ही अमेरिका के खिलाफ लड़ने के लिए फिर से मैदान में उतर जाते हैं. बहरहाल, मई में छोड़े गए कैदी एक साल तक क़तर की हिरासत में रहेंगे.
कई मौजूदा और भूतपूर्व अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि बर्गडहल के लिए पांच तालिबानियों की अदला-बदली युद्ध के दौरान दो पक्षों के बीच जंगी कैदियों की अदला-बदली की परंपरा के अनुरूप है. साथ ही यह अफ़ग़ानिस्तान में लड़ रहे तालिबान लड़कों से शांति वार्ता की कोशिश करने की दिशा में उठाया गया एक व्यापक कदम है. लेकिन अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि बुनियादी तौर पर यह अदला-बदली सिद्दीकी की रिहाई से बिलकुल अलग है.
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता केल्टीन हेडेन ने कहा कि मैं इस मुद्दे पर हुई किसी भी कथित आंतरिक विचार-विमर्श और उसके निष्कर्ष पर विस्तार से नहीं बोलूंगा. आफिया सिद्दीकी अफ़ग़ानिस्तान में तैनात अमेरिकी नागरिकों और अधिकारियों की हत्या के प्रयास के इलज़ाम में 86 साल की सजा काट रही है. अमेरिकी सरकार एक लंबे समय से चली आ रही नीति के मुताबिक बंधक बनाने वालों को किसी तरह की रिआयत नहीं देती. ऐसा करना दूसरे अमेरिकी नागरिकों को बंधक बनाए जाने के ख़तरे को बढ़ा देता है.
2010 में जब सिद्दीकी को सजा सुनाई गई थी, तब पाकिस्तान में अनेकों विरोध प्रदर्शन हुए थे. सिद्दीकी की सजा पर हुई प्रतिक्रिया की ख़बरें पाकिस्तान के सभी बड़े समाचार पत्रों के मुख्य पृष्ठ पर छपी थीं. विकीलीक्स द्वारा जारी अमेरिका के विदेश मंत्रालय के केबल में कहा गया था कि कई प्रेस आर्टिकल्स में अमेरिका की यह कहते हुए आलोचना की गई थी कि अमेरिका मुसलमानों के साथ भेदभाव की नीति अपना रहा है. केबल में यह भी कहा गया है कि सिद्दीकी को एफबीआई और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने अपहरण कर गैर क़ानूनी तौर पर उसे हिरासत में रखा. अमेरिकी सैनिकों ने उसे शारीरिक और मानसिक यातनाएं दीं. उसकी रिहाई की मांग करते हुए अनेकों पाकिस्तानियों ने अपनी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए. दरअसल, आफिया सिद्दीकी की सजा ने पाकिस्तान में इस ख्याल को और बल दिया की पाकिस्तानी सरकार अमेरिका के बहुत निकट है इसी लिए वह पाकिस्तानी नेताओं की सहमती से पाकिस्तानी सरज़मीं पर ड्रोन हमले कर रहा.
पाकिस्तान में आफिया सिद्दीकी ब्रिगेड नाम से एक आतंकवादी संगठन बन गया जिसने सिद्दीकी की सजा का बदला लेने के लिए कई सरकारी ठिकानों पर हमले किए हैं. पाकिस्तान के शहर पेशावर के दो बम हमलों का आरोप इसी संगठन पर लगाया गया था. पहला हमला 2012 में पुलिस की गाड़ी पर हुआ था जिसमें 2 पुलिस अधिकारी मारे गए थे और दूसरा हमला 2013 में एक आदालत के अहाते हुआ था जिसमे 4 लोग मारे गए थे और 50 ज़ख्मी हुए थे. सिद्दीकी की रिहाई का मामला कई कम अहमियत वाले कैदियों की रिहाई के दौरान भी उठा. 2010 तालिबान ने ब्रिटिश नागरिक लिंडा नॉरग्रोव की रिहाई के बदले सिद्दीकी की रिहाई की शर्त रखी थी. इसके एक साल बाद एक शीर्ष तालिबान नेता ने भी बलूचिस्तान से अगवा किए गए स्विटजरलैंड के दो नागरिकों से सिद्दीकी की अदला-बदली करने की पेशकश की थी. अल काएदा नेता अयमान अल ज़वाहिरी ने 2011 से पाकिस्तान से अगवा हुए अमेरिकी कांट्रेक्टर वारेन वेंस्टेन की रिहाई के बदले भी सिद्दीकी की रिहाई की शर्त रखी थी. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक वेंस्टेन अल क़ायदा की हिरासत में हैं. अमेरिकी सीनेट के सदस्य हंटर के प्रवक्ता कैस्पर को इस बात का संदेह है कि मानसिक रोग से ग्रसित सिद्दीकी अमेरिका के लिए कोई खतरा है या वो कोई बड़ा बम धमाका कर सकती है या हमले की कोई योजना बना सकती है. उनका कहना है कि अगर ठीक तरह से देखा जाये तो बर्गडहल बदले उसकी रिहाई पर विचार किया जा सकता है. इस के लिए ज़रूरी है कि तथ्यों को रक्षा मत्रालय के समक्ष ठीक तरीके से रखा जाये. इस तरह के मूल्यांकन उन भूतपूर्व अमेरिकी अधिकारीयों के इस कथन के विरुद्ध है जो कहते हैं कि बर्गडहल की रिहाई के बदले सिद्दीकी की रिहाई को अधिकारियों ने सिरे से ख़ारिज कर दिया है. लेकिन ऐसा लगता है की अल कायदा, तालिबान या इस्लामिक स्टेट तक यह बात नहीं पहुंची है कि सिद्दीकी की रिहाई पर बात करने के लिए अमेरिका तैयार नहीं है. उधर एबीसी न्यूज़ में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सिद्दीकी के परिवार के सदस्य इस बात से बहुत आहात हैं कि सिद्दीकी का नाम इस्लामिक स्टेट द्वारा बंधक बनाई गई 26 वर्षीया अमेरिकी महिला की रिहाई के सिलसिले में भी आया है.
पत्र में कहा गया है कि अगर इस मामले में सच्चाई है तो हम साफ़ करना चाहते हैं कि हमारे परिवार से इस तरह के किसी संगठन का कोई संबंध नहीं है. हम शांतिपूर्ण संघर्ष में विश्‍वास रखते हैं. इस तरह की हिंसा के साथ आफिया का नाम जोड़ना उन सारी चीज़ों के ख़िलाफ है जिनके लिए हम लोग संघर्ष कर रहे हैं. हम उन लोगों के तहे दिल से शुक्रगुज़ार हैं जो हमारी तरह से आफिया की आज़ाद देखना चाहते हैं. हम उन लोगों से सहमत नहीं हैं जो कोई भी माध्यम अपना कर उसकी रिहाई चाहते हैं. हम किसी और की बेटी या बहन को उस कष्ट में नहीं देखना चाहते जिससे आफिया गुज़र रही है.

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