जेपी 1977 में जनता पार्टी के जितने के बाद, अक्सर मतदाताओं के प्रशिक्षण पर जोर दिया करते थे ! और उन्होंने इस लिए, लोकसमिति की संकल्पना को आगे बढ़ाया था ! ताकि स्थानीय स्तर से, लोगों की भागीदारी के लिए, मोहल्ला समितियों के बाद, वॉर्ड समिती, फिर विधानसभा और लोकसभा के ! मतदाताओं के निचले स्तर से, अपने उम्मीदवार का चुनाव करते हुए ! आगे उसे सर्वसम्मति से ग्रामपंचायत के सदस्यों से ! पार्षद, विधानसभा, लोकसभा के चुनाव के लिए ! उम्मीदवार का चयन करने के बाद ! अगर वहीं चुनकर गया ! तो उसने दलबदल या कोई गलत व्यवहार किया ! तो उसे वापस बुलाने का, अधिकार का भी प्रावधान हो ! ( Right to recall ) इस तरह से जयप्रकाश नारायणजी ने ! लोकसमितियो के माध्यम से ! संपूर्ण देश की चुनाव प्रणाली को, विकसित करने की कल्पना की थी ! पर देशभर में, इस नाम से, कई लोगों को, अपने – अपने क्षेत्रों में काम करते हुए देखकर लगता नहीं है ! कि उसके परिणाम स्वरूप कुछ भी बदलाव हुआ है ! कुछ जनता उम्मीदवारों के नाम पर ! (जो कि जेपी की संकल्पना से कही भी मेल नहीं खाती है ! कुछ लोगों ने किसी एक जगह बैठकर ! इस नाम से उम्मीदवार का चयन करने के बाद ! चुनाव लड़ने के लिए किसी उम्मीदवार को खडे करने की बैठकों का मै खुद गवाह हूँ ! और मैंने उन बैठकों में ! अपनी भूमिका स्पष्ट करने के बावजूद ! क्योंकि मैं अकेला ही “जेपी के प्रक्रिया का उल्लंघन आप लोग कर रहे हो” यह कहने वाला था ! ) हमारे वर्धा तथा बिहार में भी एकाध दो जगह पर कुछ उम्मीदवारों को खड़ा किया था ! लेकिन जयप्रकाशजी के उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया का कही भी पालन न करते हुए ! कुछ लोगों ने तय किया कि ” वर्धा से फलाने को खडा कर रहे हैं ! और उसके प्रचार में, कुछ पैसे खर्च करने के बाद, जहां तक मुझे याद है ! उसे एक हजार से भी कम वोट मिले थे ! ज्योकि उसके चुनाव प्रचार के लिए कुलदीप नायर से लेकर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रवि राय, प्रोफेसर ठाकुरदास बंग तथा सिद्धराज ढढ्ढा जैसे गणमान्य लोगों ने ! अपने बहुमूल्य समय और पैसा भी खर्च किया था ! और बिहार के दोनों उम्मीदवारों की भी इससे अलग कामयाबी नहीं है !
लेकिन आजके इंडियन एक्सप्रेस में वरिष्ठ पत्रकार निरजा चौधरी जी ने ! पृथम पृष्ठ से शुरू करके पृष्ठ नंबर छ तक ! अपने रिपोर्ट “Mustafabad message to Kejriwal : If Kaam your identity, you better deliver” इस टाईटल से बहुत ही अच्छी रिपोर्ट उन्होंने, खुद मुस्तफाबाद में जाकर ! लिखा हुआ मजमून ! पढ़ने के बाद, मै यह लेख ! एक तरह से उनके रिपोर्ट के आधार पर ही, लिखने की कोशिश कर रहा हूँ !


अभि हालही में संपन्न हुए ! चुनाव में, मुस्तफाबाद और ब्रिजपूरी के मतदाताओं ने ! अपने दिल्ली मुनसिपल कॉर्पोरेशन के 250 कार्पोरेटरो में से ! नौ कांग्रेस के चुने हुए प्रतिनिधियों में से ( एमसीडी ) ! दोनों महिला कॉंग्रेस के प्रतिनिधियोंने अपने राजनीतिक पतियों के प्रभाव के कारण ! जिसमें एक कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी है ! के चुन कर आने के तुरंत बाद, देखा “कि इतनी बड़ी संख्या में ! आम आदमी के लोग चुनकर आने के बाद ! हम कांग्रेस के नौ लोगों की तरफ से ! हमारे अपने क्षेत्र के विकास के लिए, कुछ भी नहीं कर पाएंगे ! इसलिए आम आदमी पार्टी में, शामिल होने का निर्णय लिया ! ( एम सी डी को दलबदल विधेयक लागू नहीं होता है ! ) तो तुरंत बाद ही, दोनों प्रतिनिधियों के मुस्तफाबाद और ब्रिजपूरी के मतदाताओं ने ! खुद उनके दलबदल करने की कृती के खिलाफ ! और एम आय एम जैसे पार्टी ने, इन उम्मीदवारों की छवियों को चुनाव में बिगाड़ने की कोशिश के बावजूद ! लोगों ने इन्हें चुनकर दिया था ! और इन दोनों ने चंद क्षणों में, सब से बड़ी जीत हासिल करने वाली पार्टी में ! शामिल होने का निर्णय से, नाराज होकर, लोगों ने उनके पुतले जलाने से लेकर, रस्तोपर आकर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया !


और उन्होंने कहा “कि हमने स्थानीय आम आदमी पार्टी के विधायक के व्यवहार से तंग आकर ! इन्हें चुनकर दिया था ! और यह उसी दल में शामिल हो रहे हैं !” तो मतदाताओं के आक्रोश को देखते हुए, और वहां के मतदाताओं की इस नाराजगी से घबराकर ! दोनों कार्पोरेटर महिला वापस कॉंग्रेस में आ गए ! आजादी के बाद सत्तर साल की संसदीय चुनाव प्रणाली में मुझे लगता है यह भारत के मतदान इतिहास का पहला उदाहरण है ! कि मतदाताओं ने अपने उम्मीदवार को सिर्फ चुनकर ही नहीं दिया बल्कि उसके गलती को देखते हुए जनतांत्रिक तरीके से उन्हें एहसास दिलाया कि आप लोगों ने गलती की है ! और उम्मीदवारों ने भी अपने गलती को दुरूस्त करने का फैसला लेकर वापस कांग्रेस में शामिल हो गए ! अन्यथा हमारे देश में एक बार अगर किसी को चुनकर दिया तो मतदाता भी भूल जाते हैं कि हमारे उम्मीदवार के उपर हमारी नजर होनी चाहिए और अगर वह गलत कदम उठाए तो उसे बताया जाए कि हमने आपको इस बात के लिए नही चुनकर दिया था ! लेकिन सत्तर साल के इतिहास में कोई दंगों की राजनीति करे या किसी का लड़का दर्जनों किसानों को अपने गाड़ी के निचे कुचल कर मारे या कोई सेंगर किसी लड़की का बलात्कार करे या पैसा या पद की लालसा में दल बदल कर के किसी अन्य दल में शामिल होने की बात पर मतदाताओं की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है ! और इसीलिये चुनाव जीत कर जानेवाले प्रतिनिधि चुनाव प्रचार के दौरान अपने आप को भिकारी बोलते हुए मा-बाप बोलते हुए मतदाता के सामने गिड़गिड़ाता है ! और मुझे एक मौका आप लोगों की सेवा करने के लिए विशेष रूप से मत देने का आग्रह करता है ! लेकिन एक बार चुनाव जीत जाने के बाद उसकी अकड मालिक से भी अधिक हो जाती है ! और वह अपने आप को कुछ भी करने के लिए मुक्त समझता है ! इसलिए जयप्रकाश नारायण लोकप्रतिनिधीयो के उपर ! निगरानी रखने की बात कहते रहे ! और उसके लिए, चुनाव सुधार से लेकर मतदाता प्रशिक्षण देने के लिए ! अपने जीवन भर कोशिश करते रहे ! आज के इंडियन एक्सप्रेस में, निरजा चौधरी की रिपोर्ट को देखते हुए ! मुझे लगता है ! कि “भविष्य में हमारे देश में इसी तरह की कोशिश करते रहे तो सभी लोकप्रतिनिधीयो पर नकेल कसने के लिए” विशेष रूप से मुस्तफाबाद मॉडल के तौर पर विकसित करने की आवश्यकता है !
हमारे देश के संसदीय प्रणाली की शुरुआत 1952 ! मतलब आजसे सत्तर साल पहले हुई है ! और आयाराम – गयाराम शब्द, हम लोग काफी समय से सुनते आ रहे हैं ! जिसे लेकर जयप्रकाश नारायण, चुनाव सुधार से लेकर, मतदाता प्रशिक्षण जैसे, बातो के लिए ! कई कमिटीया बना कर, उनके रिपोर्ट मौजूद हैं ! तथा अकादमीक काम करने के लिए ! सीएफडी से लेकर लोकसमिति, इत्यादि प्रयास किए हैं ! कहा – कहा जनता उम्मीदवारों को खड़ा करने का प्रयास किया था ! लेकिन शायद ही कोई कामयाबी मिली हो ! ऐसा एक भी उदाहरण याद नहीं आ रहा !
और 1977 बाद के चुनाव में महाराष्ट्र के भंडारा विधानसभा चुनाव क्षेत्र में ! मैंने अपने जीवन में पहली बार मतदान किया था ! वह जनता पार्टी का उम्मीदवार था ! और जैसे ही, जनता पार्टी की केंद्रीय सरकारों से लेकर ! विभिन्न प्रांतों में भी जब सरकारों का गिरना शुरू हुआ ! तो मैंने मतदान किया हुआ ! उम्मीदवार भी तुरंत जनता पार्टी छोडकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे ! और मै एक मतदाता, कसमसाते रहने के सिवाय और कुछ नहीं कर सका था ! और इसतरह संपूर्ण भारत में, हमारे संसदीय जनतंत्र में ! केंद्र से लेकर राज्यों, और स्थानीय निकायों में भी ! इतना दलबदल होता है ! कि आज चुनकर गया हुआ, तुरंत और किसी दल में शामिल की बात आम हो गई है ! जिन्होंने उसे चुनकर दिया, उन्हें भी अपने प्रतिनिधि के इस तरह के निर्णय पर ! आपस में बात करने के अलावा कोई बड़ी पहल करते हुए नही देखा हूँ !


लेकिन मुस्तफाबाद और ब्रिजपूरी के मतदाताओं को देखते हुए ! मै प्रार्थना करता हूँ! “कि मेरे संपूर्ण देश में ! अगर इस तरह की ! जागरूकता हर मतदाता में आ जाए ! तो दलबदल करने वाले लोगों को, बहुत अच्छा सबक हो सकता है ! और आने वाले समय में, उन्हे एक दल को छोड़कर, अन्य दल में शामिल होने की संभावना कम हो सकती है ! क्योंकि दलबदल विधेयक के रहते हुए ! भी उसमे दुनिया भर की खामियां होने के कारण ! आराम से दल बदलने की घटनाएं जारी है ! और अब ईडी सीबीआई तथा आईबी जैसे एजेंसियों की मदद से ! सत्ताधारी पार्टी के लोग अपने दलों की सरकारों को बनाने का ! नया अध्याय वर्तमान समय की सत्ताधारी पार्टी ने ! गोवा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और समस्त उत्तर पूर्व के प्रदेशों में !

उनके दल के विधायकों की संख्या कम होने के बावजूद ! इन सब एजेंसियों की मदद ! और बेतहाशा पैसे देकर अन्य दलों के विधायकों की ! खरीद – फरोख्त करके ! उपर से विरोधी दलों को ताना मारा कि “देखो हमारे विधानसभा में संख्या कम होने के बावजूद ! हमने अपने ही दल की सरकार बनाई है !”


यह घटना आम आदमी पार्टी के लिए ! विशेष रूप से सबक के लिए काफी है ! उन्होंने कहा कि ” हमारे इलाके के आम आदमी पार्टी के विधायक ने ! हमें निराधार छोड़ दिया है ! और आम आदमी पार्टी की ! बहुसंख्यक समुदाय को खुष करने की कृती को देखते हुए ! हम लोग इसके आगे, आम आदमी पार्टी के हमारे कौम के साथ ! लगातार सौतेला व्यवहार, उदाहरण के लिए !

2020 में निजामुद्दीन मर्कज, तबलिगि जमात के मुख्यालय को ! कोविद फैलाने के आरोप में ! वैज्ञानिक तथ्यों को अनदेखा कर के ! जानबूझकर ध्रुवीकरण की राजनीति के बतौर, लगातार लक्ष्य किया गया था !

तथा शाहिनबाग सीएए और एन आर सी विरोधी आंदोलन को लेकर ! केजरिवाल की नागरिकता वाले मुद्दों पर ! कोई भी भुमिका साफ-साफ नही है ! ताकि बीजेपी अपने को हिंदू विरोधी आरोप करेंगे ! इस डर से पूरा मौन धारण किया हुआ था ! और सबसे हैरानी की बात ! केजरिवालने किसी टीवी चैनल पर बोलते हुए कहा कि “मैं मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दू या नहीं दू इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है ! क्योंकि आज की तारीख में मुसलमानों को मुझे वोट देने के सिवा कोई चारा नहीं है” !


यह मग्रूरी को मैंने 2014 के चुनाव के पहले, और आम आदमी पार्टी की स्थापना होने के बाद ! पहली बार आम आदमी पार्टी की, मुसलमानों की कांफ्रेंस ! दिल्ली के गालीब हॉल में आयोजित कि गई थी ! और उस कांफ्रेंस का उद्घाटन भाषण, मुझे करने के लिए विशेष रूप से बुलाया गया था ! तो मैंने भाषण की शुरुआत में ही ! लोगों को और मंचपर बैठे हुए आयोजको को! पुछा की “मुझफ्फरनगर दिल्ली से कितने दूर है ?” लोगों ने जवाब दिया कि “100 किलोमीटर से थोड़ा कम है”! तो दूसरा सवाल मैंने किया कि “अभी हाल ही में वहां पर भिषण दंगा हुआ है ! और उसके कारण लाखों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों को अपने घरों को छोड़कर सुरक्षा के लिए इधर – उधर आश्रय लेने के लिए मजबूरन रहना पड रहा है ! तो आम आदमी पार्टी की तरफ से, कोई जांच करने या लोगों के हालचाल देखने के लिए ! जाकर आया है क्या ? “तो कोई भी व्यक्ति जवाब नहीं दे रहा था ! तो मैंने कहा कि ” शायद आम आदमी पार्टी के इतिहास का यह पहला, मुस्लिम समुदाय का संमेलन है ! और मुझे इसके उद्घाटन भाषण के लिए ! विशेष रूप से नागपुर से हवाई जहाज का, टिकट देकर बुलाया गया है !और मुझे बुलाने का एकमात्र कारण 24 अक्तूबर 1989 के भागलपुर दंगे के बाद! मैंने अपने डॉक्टर के व्यवसाय को बंद कर के ! सिर्फ सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ ! अपने आजतक के कामों के कारण ही ! आयोजन समिति के सदस्यों ने मिलकर मुझे आग्रह किया है ! और भारत के ताजा दंगे जो दिल्ली से सौ किलोमीटर से भी कम फासले के मुजफ्फरनगर के मुसलमानों की खोज – खबर न लेने वाले दल की ! मुस्लिम समुदाय के प्रति कितनी संवेदना है ? यह मेरे जैसे पच्चीस साल से भी अधिक समय से ! सांप्रदायिकता के सवाल पर काम करने वाले, कार्यकर्ता के लिए हैरानी की बात है ! और आप के दल के उम्मीदवारों को ! देशभर के 25-30 करोड़ मुसलमानों ने क्यों वोट देना चाहिए ? इसका जवाब किसी के पास है ? और ऐसी संवेदनहीनता वाले लोगों के ! आज के कार्यक्रम को, संबोधित करते हुए मुझे बहुत दुख हो रहा है ! यह बात आम आदमी पार्टी स्थापन होने के बाद मुस्लिम समुदाय के पहले राष्ट्रीय संमेलन में की है !


तो अरविंद केजरीवाल, सचमुच सांप्रदायिकता के सवाल पर ! कितने संवेदनशील है ? यह बात पहले से ही दिखाई देती है ! और वर्तमान गुजरात के चुनाव में ! हनुमान चालीसा का पाठ करने से लेकर ! भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने रुपये के अवमूल्यन को रोकने के लिए ! लक्ष्मी और गणेश की फोटो हमारे नोटों के उपर छापना चाहिए ! (यह आदमी भारत की राष्ट्रीय कर अकादमी, नागपुर का पदवी प्राप्त करने के बाद कुछ समय इन्कम टॅक्स विभाग मे नौकरी कर चुका है ! ) बहुसंख्यक समुदाय को खुष करने के लिए विशेष रूप से इस तरह की लफ्फाजी करने वाले आदमी से कोई ज्यादा उम्मीद करना बेकार है !


और सबसे हैरानी की बात उसी दौरान दिल्ली में दंगे हुए ! उसके बाद केजरिवाल ने दंगा पिडीतो की कोई खोज – खबर तक ! लेने का कष्ट नहीं किया ! कि कहीं बीजेपी अपने को मुस्लिमपस्त आरोप न कर दे ! उसने हनुमान चालीसा से लेकर गणेश – लक्ष्मी की फोटो नोटो के उपर देने की मांग की ! उसे भी हम लोगों ने अनदेखा किया ! लेकिन हमारे इलाके के विकास के बारे में ! उसका सौतेला व्यवहार, उदाहरण के लिए शिक्षा और चिकित्सा सेवा का ! विकास योजनाओं की क्रांतिकारी बदलाव करने का दावा किया करते हैं ! लेकिन हमारे इलाके में इन सब बातों को, लेकर वह सब कुछ नहीं के बराबर है ! हमारी बच्चियों को दो-दो किलोमीटर दूर ! वह भी बडे-बडे पुलों को पार करते हुए ! रोज स्कूलों में पढ़ने के लिए जाना पड़ता है ! यह बात निरजा चौधरी जी के साथ मुस्तफाबाद के और ब्रिजपूरी के मतदाताओं ने अपने मुंह से कही है ! अगर 140 करोड़ आबादी के देशमरके लोगों में ! इस तरह की समझदारी आ गई ! तो वह दिन दूर नहीं कि वर्तमान समय के ! ज्यादातर जुमलेबाज और झुठे राजनीतिक लोगों को लोग अपनी जगह बतायेंगे ! इसी उम्मीद के साथ !
डॉ सुरेश खैरनार 17 दिसंबर 2022, नागपुर

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