भारत में व्हिसिलब्लोअर के साथ कितना क्रूर व्यवहार होता है, यह कोई नई और अनोखी बात नहीं है. हरियाणा के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका और भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी का उदाहरण अब भी लोगों की स्मृति में ताजा है. अब एक और व्हिसिलब्लोअर की खबर आई है कि कैसे मोदी सरकार के अच्छे दिन में भी इस अधिकारी को प्रताड़ित किया जा रहा है. इस अधिकारी का नाम प्रकाश सिंह है, जो रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हैं. प्रकाश सिंह को उनके वरिष्ठों द्वारा बार-बार तबादला कर परेशान किया जा रहा है. उनकी गलती यह है कि उन्होंने रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रयोगशाला और डीआरडीओ मुख्यालय में होने वाली अनियमितता और अवैध कार्यों के बारे में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से शिकायत की है. साल 2008 की बात है. सिंह की शिकायत की वजह से ही एक वरिष्ठ डीआरडीओ वैज्ञानिक पर आरोप पत्र दाखिल किया गया था और एक महिला वैज्ञानिक की सेवा रद्द कर दी गई थी. यही वजह है कि उसके बाद से इस अधिकारी का उत्पीड़न शुरू हो गया था. उन पर आरोप पत्र दाखिल किया गया था और 2012 में 49 साल की उम्र में अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया. हालांकि, तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी के हस्तक्षेप के बाद वे फिर बहाल हो पाने में कामयाब हुए. वर्तमान रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी सिंह के खिलाफ दायर आरोप पत्र को खारिज कर दिया और आदेश दिया है कि उनकी सेवानिवृत्ति अवधि को ड्यूटी अवधि के रूप में माना जाए. हैरानी की बात यह है कि पर्रिकर के आदेश के बावजूद सिंह की दुर्दशा में ज्यादा अंतर नहीं आया है. हालांकि, मंत्री ने डीआरडीओ से कहा कि उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे जिन्होंने सिंह को परेशान किया है. लेकिन, इस दिशा में भी प्रगति संतोषजनक नहीं है.
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