महाराष्ट्र के सार्वजनीक जीवन में आजसे 70 साल पहले साने गुरुजी ने आत्महत्या की है! और बाबा आमटे साने गुरुजी के अनुयाइयों की मददसे संपूर्ण भारत को परिचित हुये थे ! उन्हिके परिवार मे यह घटना! बहुत ही दुख्खद और हीला देनेवाली है ! मुझे पता चली तबसे मन मे बहुत उठल पुथल चल रही है ! अभि रात के एक बज रहे है और मेरी निंद उड गई है ! बाबा तो वरिष्ठतम मित्रा थे और विकास प्रकाश मित्र है ! लेकिन उनके बच्चो के साथ कभी संबंध नही आया था ! लेकीन जिस तरह मै साने गुरुजी के आत्महत्या के तिन साल बाद इस दुनिया में आया हूँ लेकिन उसके बावजूद मेरे मन मे अपराध बोध है ! और मै गुरुजी की आत्महत्या को खुद को भी जिम्मेदार मानता हूँ !
वैसा ही डॉ शितल आमटे से कभि भी नही मिला हूँ और दूर से भी परिचय नही था लेकीन मेरे मित्र विकास की लडकी याने मेरी भी बेटी ही थी और उसका अपने आप को इस तरह समाप्त कर लेने के लिए और कौन जिम्मेदार है वही जाने ! लेकीन मै भी 50 सालो से ज्यादा समय से शुध्द रुप से साने गुरुजी के काम को अंजाम देने वाली टिमका एक सदस्य के नाते अपने आप को अपराधी बोध से बेचैन हूँ ! और अपनी निंद-चैन खोकर यह सब कुछ लिखने के लिए मजबुर हुआ हूँ!
शितल जैसी ही एक उर्जावान युवती ने नब्बे के दशक मे आत्महत्या की थी और ऊसके करिबी मित्रो को मैने यही सब सवाल किये थे ! की इन्डियन क्रिमिनल प्रोसिजर के अनुसार हम सब भले जिम्मेदार नही है लेकीन मेरा मानना है की हम जिम्मेदार है ! क्योकि हमारी एक मित्र आत्महत्या याने अपने आप को समाप्त करनेके निर्णय तक चली जा रही है और हमे भनक भी नही है ? इसका मतलब हमारी संवेदनाये थोती हो गई है !
हम सामजिक जिवन के जिव अपने आप को आम लोगोसे खास संवेदनशील मनके है इसलिये समाज कार्य कर रहे है ! लेकीन मेरी मान्यता है की हम लोग भी महत्वाकांक्षा,इर्षा और पॉवर क्रेझी है ! और हमे लगता है यह सब दुर्गुण तो रजनितिक और करियर,पैसो के पिछे भागने वाले लोग करते है हम फकिरी की जींदगी जिने वाले त्यागी लोग है !
लेकीन मेरी मान्यता है की हम भी पॉवर क्रेजी हम भी करियर भले उसकी क्वलिटी अलग होगी लेकीन किसी अभय बंग को महाराष्ट्र भुषण मिला तो एक तरफ मै उसे अभिनंदन का मेसेज तो कर देता हूँ लेकीन मेरा चैन,मेरी निंद गायब हो जाती है और फिर मै कहना शुरु करता हूँ की वह बहुत अच्छा सेल्समैन है अपने कामका मार्केटिंग वह अच्छा करता है ! और हम लोग उतने ही इर्शालु होते है जितना कि कोई और !(यह मैने सिर्फ उदहारण के लिए लिखा है और अभय मेरा 50 साल से भी पुराना दोस्त है और वह इस बातको अन्यथा नही लेगा इस विश्वास से उसका उदहारण दिया है !)
तो पॉवर स्ट्रगल हमारे अपने भी है और रजनितिक और कार्पोरेट जगत का खुले आम है हमारा अबतक छुपाकर चलता था लेकीन कुछ समय से हमारे भी चुनाव विवादग्रस्त और कोई कोई तो पुलिस-कोर्ट केस तक चले जा रहे है !
इन जंतूओ की बिमारी हमारे संस्था-संघटनाओ मे भी आ गया है और वह महामारी का रुप लेने के पहले हमारे कार्यप्रणाली से लेकर कामके जिम्मेदारी के पद पॉवर के अड्डे बन जाने के कारण फला ही क्यो उस पदपर रहेगा मै क्यो नही ?(वही मख्यमंत्री या प्रधानमंत्री क्यो? मै क्यों नही ?) यह बिमारी वहा खुलकर चलती है और हमारे सरपर गाँधी,विनोबा,जेपी,बाबा और टुकडोजी,योगी अरविंद,जे कृष्ण मुर्ती,ओशो,रमण महर्षी जो बैठे है लेकीन 90 के दशक की शुरुआत मे मुझे कुछ समय के लिए अरविंद आश्रम और ओरेवील के पॉवर गेम देखनका मौका मिला है बकायदा लाठीमार आपसमे चलते हुये मैने देखा है ! और अंत मे भारत सरकार का हस्तक्षेप लेकर प्रशासक नियुक्त करके मामला चल रहा है! लेकीन योगी अरविंद और मदर के भक्तोमे आज भी भारत-पाकिस्तान जैसा मामला जारी है !
और सेवाग्राम पर कुछ अलग से लिखने की जरुरत ही नही है मेन स्ट्रीम मिडिया ने काफी ताजा ताजा दिया है और आगे भी जारी रहेगा इसमे मुझे कोई शक नही है ! मुख्य बात हम दुनिया को बदलने या बेहतर बनाने का दावा करने वाले लोगो के अपने दिया तले अंधेरा रहते हुये हम बाहर क्या खाक रोशनी डाल सकते ? शितल के चले जाना हमारे सभिके गालोपर झन्नाटेदार तमाचा है !
और इसमे से अगर हम कोई सबक नही लेंगे तो ईतिहास तो बाद की बात है वर्तमान भी हमे माफ नही करेगा ! और करना भी नही चाहिये ! हम सभी को आंतरमुख होकर सोचना चाहिये और कुछ समय बाद संभव हुआ तो एक साथ दो तीन दिनके लिये सभी समान मना साथियो ने मील बैठकर गहन चिंतन,मनन करके ही चर्चा करनी चाहिये और व्यक्तिगत आरोप प्रत्यरोप से उपर उठकर मंथन होना चाहिये ऐसा मेरा सुझाव है ! ताकी कोई और शितल या शरद को अपने आप को समाप्त करने की नौबत नही आनी चाहिये !
डॉ सुरेश खैरनार