1
फुनगी
पेड़ की फुनगी पर
बैठी कोई तितली
या ओस की बूंद
या हवा के परों से
आता एक तिनका
हिला जाता है
फुनगी की दशा और दिशा!!
2
इंतज़ार के पल
टूटा तारा
गिरा जमी पर
घुप्प अंधियारा
हुआ फलक पर!!
झूमते गाते जुगनूं मोती
दिन ढलता रात फिर होती
तुम मुझमें दिखते
मैं तुम्हरी परछाई पर
सादा शंख,और सीप
मिल जाते जैसे बालू पर
बनते रेत के घर
फिर से
सागर के साहिल पर !!
खत्म कर के इंतजार के पल
आ मिल जा साथी
सड़क के आखिर
मुहाने पर..!!
3
पुरुष के भावों की स्त्री
तुम पुरुष हो,,
पर लगता है
कि एक स्त्री सा
ह्रदय है तुम्हारा,,!!
जो बना देता है
रोटी स्वाद वाली,
एक गेंद में समा देता है
ब्रम्हांड..!!
जो रोता है,
गलत का विरोध करता है
संसार की माया में
लिपट सा जाता है!!
और अचानक,
दुःख में कराहता है
डरता है,,
कि पुरुष
होने का दायित्त्व
निभाते- निभाते,,,
उसके अंदर भी
कहीं न
बिलखने लगे
कोई स्त्री..?
4
एक कतरा प्रेम
बिनाई सा,,, है
रूप की एक
पहचान लिए,
हर क्षण में,
सुवासित होता है,,,
एक कतरा प्रेम,!!
जैसे,
मुट्ठी में रेत का,
धूप में छांव का,
सीप में मोती का,
एक कतरा प्रेम..!!
आंख में नींद का
हाथ मे स्पर्श का,
दीप में तेल का,
एक कतरा प्रेम!!
वक्त में क्षण का
बारिश में बूंदों का
फूल में खुशबू का
एक कतरा प्रेम..!!
सांझ में तारे का ,
सूरज में राहु का
चांद में केतु का,
एक कतरा प्रेम..!!
कुछ ऐसा ही है शेष
किसी में किसी की
स्मृति का,,
एक कतरा प्रेम!!
5
चोरी की मुलाकातें
ज़हन में, अब भी
ताज़ा है, यादें बनकर,
कभी खुशी बनकर,
कभी खामोशी बनकर,
कभी याद आती है
वादों की बातें,
जब कि थी हमने
चोरी की मुलाक़ाते..!!
गर्म चाय, कोल्ड कॉफी
सूने रेस्टोरेंट में
खाली थी सभी कुर्सी,,
की थी जब नजरों ने
नज़र से बातें,
याद है वो
चोरी की मुलाकातें..!!
डॉ मौसमी परिहार
भोपाल
mousmiparihar31@gmail.coma