भोपाल। कोरोना महामारी और इसकी पाबंदियों से मुक्त होती राजधानी की सब्जी मंडी को अब तक मुश्किलों ने घेर रखा है। माकूल संख्या में वैक्सीनेशन के बाद भी मंडी के दरवाजे नहीं खुल पा रहे हैं। नतीजा खुली सड़क पर सज रही दुकानें कई मुश्किलें खड़ी कर रही है।
पिछले कई महीनों से व्यापारियों, आढ़तियों और खरीदारों के लिए बंद पड़े मंडी के दरवाजे अब भी बंद पड़े हैं। हर रोज यहां पहुंचने वालों सैकड़ों लोगों की भीड़ को संक्रमण का खतरा मानकर ये पाबंदी लगाई गई थी। लेकिन सूत्रों का कहना है कि मंडी के अधिकतम कारोबारियों द्वारा वैक्सीन ले लेने के बाद भी पाबंदी नहीं हटाई जा रही है। व्यापारी मंडी सचिव से लेकर कलेक्टर तक अपनी परेशानियों की दास्तां सुना चुके हैं लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं।
मरीजों की मुश्किल
ईंट खेड़ी से लेकर इस्लाम नगर और बाय पास मार्ग तक फैली हुई अस्थाई मंडी में देर रात से लेकर अल सुबह तक संबंधितों का जमावड़ा लगा रहता है। ठेठ सड़क पर पसरी हुई दुकानें और रास्ता जाम किए हुए लोग और उनके वाहन यहां से गुजरने वाले छोटे बड़े वाहनों के साथ कई एंबुलेंस का भी रास्ता रोक रहे हैं। अब तक किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है लेकिन ये स्थिति कभी भी बन सकती है।
बना हुआ हादसे का खतरा
सड़क के दोनों किनारों पर लगने वाली दुकानों और सड़क पर लगने वाली भीड़ के चलते यहां अक्सर हादसों की संभावना बनी रहती है। अधिकांश समय बंद रहने वाली यहां की स्ट्रीट लाइट की वजह से भी ये खतरा बना हुआ है। इस मार्ग से बैरसिया और इससे आगे जाने वाले बड़े वाहनों की रेलमपेल हर समय लगी रहती है।
दामों को लग रहे पंख
पिछले कुछ महीनों से शहर से दूर लग रही मंडी में होने वाली नीलामी और इसका शहर तक आने का रास्ता मंहगाई को बढ़ा रहा है। मंडी कारोबारी नईम खान का कहना है कि राजधानी के आसपास और अन्य जिलों से आने वाली सब्जी के दाम नीलामी तक पहुंच में रहते हैं, लेकिन इसको शहर तक ढोकर लाने और फुटकर व्यापारी के फायदे के साथ जोडऩे पर दामों में भी बढ़ोत्तरी हो जाती है। उनका कहना है कि पिछले तीन-चार महीने में सब्जियों के दाम करीब पांच गुना बढ़ चुके हैं।