पांचों राज्यों में सबसे ज्या दा रोचक चुनाव मध्यप्रदेश का रहा. हालांकि छत्तीसगढ़ ने सबसे ज्याजदा चौंकाया लेकिन मध्यप्रदेश में तो पूरे दिन रूझान ऊपर-नीचे होते रहे और नेताओं की सांसें अटकीं रहीं. कभी कांग्रेस खुश होती नजर आई तो कभी भाजपा. कांग्रेस कार्यालयों के बाहर दोपहर से ही पटाखे फूटने लगे थे. उधर भाजपा के एक उत्साहित प्रवक्ता ने तो दोपहर में यह तक कह दिया था कि वो कुछ ही देर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके शपथ ग्रहण के प्रोग्राम की घोषणा करेंगे.
कमाल की बात ये रही कि पूरे दिन टेलीविजन पर चली बहसों में कई बार एंकरों से लेकर विशेषज्ञों तक ने अपना प्रो-बीजेपी एजेंडा कायम रखा. जबकि नतीजे कुछ और ही बयां कर रहे थे. पिछले चुनाव में जहां वोट शेयर में 8 फीसदी का अंतर रहा था, वहीं इस बार यह अंतर न के बराबर तक दिखाई दिया. इसके पीछे विशेषज्ञों ने तर्क दिया कि पिछले चुनावों में मोदी लहर के कारण जो वोट शेयर बढ़ा था वो अब वापस कांग्रेस और अन्यव पार्टियों की ओर लौट गया है.
सोनिया के ‘लाल’ ने कर दिया कमाल
तीनों राज्यों में कांग्रेस ने जो प्रदर्शन किया इसका श्रेय राहुल गांधी की मेहनत और परिपक्वता को दिया जाएगा. सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे कैंपेन और रैलियों में की गई ताम-झाम में भले ही राहुल, मोदी को टक्कार न दे पाए हों, लेकिन जनता का दिल जीतने में कामयाब रहे. इससे 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए उन्हें जबरदस्त बूस्ट मिला है. साथ ही ये उन लोगों के लिए करार जबाव भी होगा जो सालों से राहुल गांधी को पप्पू की इमेज के साथ जोड़़कर देखते रहे हैं.
वहीं मध्यप्रदेश में कांग्रेस के इस प्रदर्शन में कमलनाथ का रोल अहम रहा. उन्होंतने न केवल 15 सालों से बिखरी पार्टी को समेटने का काम किया. जहां कार्यकर्ता जमकर लड़ रहे थे और खुलकर विरोध कर रहे थे. बल्कि फंड की कमी से जूझ रही पार्टी को भी उन्होंने ही सहारा दिया. सूत्र बताते हैं कि मध्यप्रदेश चुनाव में कमलनाथ ने काफी पैसा खर्च किया है.