केंद्र सरकार के खर्च पर उत्तर प्रदेश में पर्यटकों की सुविधाओं को और अधिक बढ़ाने के लिए जल्द ही आगरा से वाराणसी वाया लखनऊ के बीच 18-20 सीटों वाली वायुयान सेवा शुरू की जाएगी. ठीक इसी तर्ज पर लखनऊ, इलाहाबाद, गोरखपुर के बीच भी हवाई सेवा शुरू की जाएगी, इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया अंतिम चरण में है.
वाराणसी में संत कबीर के जन्म स्थान कबीर चौरा में पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों के रुकने के लिए डॉरमेट्री बनवाई जा रही है और यूपी के मशहूर व्यंजनों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट किया जा रहा है. प्रदेश सरकार ने यूपी में पर्यटन केंद्र विकसित करने के कुछ प्रस्ताव भेजे थे जिन्हें केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है जिसके तहत करीब 300 करोड़ की पर्यटन परियोजनाओं को प्रदेश में लागू किया जाएगा.
यूपी के पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यटन को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए हाल ही में नई पर्यटन नीति लागू की है जिसके तहत प्रदेशभर में पर्यटन विभाग के जो होटल नहीं चल रहे थे, उन्हें निजी क्षेत्रों को लीज पर देने की कार्रवाई की जा रही है. इसके साथ ही गेस्ट हाउसों का सौंदर्यीकरण भी किया जा रहा है. सहगल के अनुसार प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी राज्य सरकार पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रत्येक धार्मिक स्थल को 24 घंटे बिजली की सप्लाई दे रही है. इसके साथ इन स्थानों पर अंडरग्राउंड वायरिंग भी कराई जा रही है. इन स्थानों पर राज्य सरकार अपने संसाधनों से अन्य पर्यटक सुविधाएं भी मुहैया करा रही है.
नई टूरिज्म नीति के तहत प्रदेश के जितने भी पर्यटक स्थल हैं उनके आस-पास रहने वालों को उससे जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य किया जा रहा है और जल्द ही ऐतिहासिक और हेरिटेज इमारतों की देखरेख तथा उनके रखरखाव में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कराई जाएगी. इससे बड़े पैमाने पर प्रदेश में पर्यटक स्थलों से जुड़ने वाले लाखों लोगों को रोजगार भी मिलेगा. नवनीत सहगल ने कहा कि प्रदेश में पर्यटकों को आने-जाने के लिए वायुयान सेवा शुरू हो जाने के बाद प्रदेश को पर्यटन से कई गुना अधिक राजस्व मिलने लगेगा. केंद्रीय पर्यटन सचिव विनोद जुत्शी ने बताया कि भारत में पर्यटन का सरताज ताजमहल ही है और वह उत्तर प्रदेश में है. ताजमहल देखने के लिए विदेशी पर्यटकों की आमद में तेजी से इजाफा हो रहा है और दूसरे देशों की तुलना में भारत में पर्यटकों की आमद पिछले दिनों बढ़ी है. जुत्शी के अनुसार भारत को विदेशी पर्यटकों से साल में औसतन एक लाख तीन हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है. भारत में पिछले चार माह में पर्यटक वृद्धि दर 15.50 प्रतिशत दर्ज की गई जो कि एक रिकार्ड है. जुत्शी ने कहा कि यूपी में तो देसी पर्यटन में तेज उछाल आया है, जहां 15 से 20 फीसदी की वृद्धि दर्ज की जा रही है जो औसतन 12-15 फीसद हुआ करती थी.
केंद्रीय पर्यटन सचिव ने कहा कि भारत के पर्यटन नक्शे पर सबसे पहले अगर ताजमहल है तो दूसरे स्थान पर बुद्ध सरकिट है और वह भी उत्तर प्रदेश में ही है. बुद्ध सरकिट के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों सारनाथ, श्रावस्ती, कपिलवस्तु और कुशीनगर में 100 करोड़ की सहायता से महात्मा बुद्ध के जीवन, बुद्ध के समय के मंदिर, उस समय के खान-पान और रहन-सहन के साथ-साथ उस काल को लाइट एंड साउंड शो तथा लेजर शो में दर्शाया जाएगा. उनके अनुसार कुशीनगर हवाई पट्टी के चालू करने में जो भी औपचारिकताएं होंगी उन्हें जितनी जल्द पूरा किया जाएगा.
जुत्शी ने कहा कि केंद्र सरकार रामायण सर्किट के तहत अयोध्या, श्रिंगेश्वर (इलाहाबाद) तथा चित्रकूट में बड़े पैमाने पर पर्यटक सुविधाओं को बढ़ाने के लिए यूपी टूरिज्म को करीब 100 करोड़ की धनराशि मुहैया कराएगी. इस सर्किट के बारे में उन्होंने कहा कि अयोध्या में अगर धन की कमी हुई तो और धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी. चित्रकूट में साइनेज के अलावा एक विजुअल वॉल तैयार की जाएगी जिस पर थ्री-डी इफेक्ट से उस काल को प्रदर्शित किया जाएगा. चित्रकूट में एक घाट से दूसरे घाट जाने के लिए एक फुट ओवर ब्रिज भी तैयार किया जाएगा. रामायण सर्किट के अलावा कृष्णा सर्किट के अंतर्गत मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, नंदगांव में पर्यटक सुविधाओं को बढ़ाने के लिए यूपी टूरिज्म को केंद्र से आर्थिक सहयोग मिलेगा. वाराणसी में पर्यटक सुविधाओं को बढ़ाने के लिए यूपी टूरिज्म के प्रस्ताव को स्वीकृत करने की घोषणा के साथ उन्होंने कहा कि यहां पर एक घाट से दूसरे घाट जाने के लिए करीब 13 करोड़ की लागत से गंगा नदी में रिवर क्रूज जल्द शुरू किया जाएगा. इस पर टिकट लेकर पर्यटक गंगा नदी पर इधर से उधर आ जा सकेंगे. इसका संचालन यूपी टूरिज्म विकास निगम ही करेगा. यूपी टूरिज्म के सहयोग से केंद्र सरकार वाराणसी में भी 100 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च करेगी. केंद्रीय पर्यटन सचिव के मुताबिक आगामी चार से 6 अक्टूबर तक वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय बुद्ध कॉन्क्लेव का आयोजन किया जाएगा जिसमें विभिन्न देशों के बौद्ध धर्म के अनुयायियों और बौद्ध भिक्षुओं को आमंत्रित किया जाएगा और उन्हें सारनाथ के अलावा बिहार के बोधगया भी ले जाया जाएगा. इस कॉन्क्लेव में उन्हें बुद्ध सर्किट के तहत आने वाले पर्यटक स्थलों की सैर भी कराई जाएगी.
फ्लॉप लायन सफारी के बाद अब इटावा के बीहड़ों में बनेंगी फिल्में
समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव और प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जनपद इटावा में लायन सफारी स्थापित करने की योजना फ्लॉप ही हो चुकी है. उसे सत्ता के जोर पर जबरन ही चलाया जा रहा है. गुजरात के शेरों की इटावा के कथित लायन सफारी में होने वाली सिलसिलेवार मौतों से पूरा प्रदेश वाकिफ हो चुका है. अब प्रदेश के इटावा निवासी मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए प्रदेश के नौकरशाह इटावा के दुर्गम बीहड़ों में फिल्मों की शूटिंग को प्रोत्साहित करने की योजना बना रहे हैं. पांच नदियों के संगम स्थल पंचनदा को फिल्मों की शूटिंग के लिहाज से विकसित करने का प्रस्ताव बनाया जा रहा है. एक समय खूंखार डकैतों की शरणस्थली के तौर पर कुख्यात रहे पंचनदा में यमुना, चंबल, सिंधु, क्वारी और पहुज नदियों का मिलन होता है. आज भी उस इलाके में कोई अपहरण होता है तो अपहृत को इसी इलाके में छुपा कर रखा जाता है.
बहरहाल, उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के सदस्य विशाल कपूर ने बताया कि पांच नदियों के संगम पंचनदा को फिल्मों की शूटिंग के लिहाज से विकसित किए जाने पर विचार किया जा रहा है. यहां का शांत वातावरण और प्राकृतिक दृश्य फिल्मों की शूटिंग के लिहाज से अनुकूल है, साथ ही यहां पर वन्य जीवों की बहुलता भी किसी फिल्म की शूटिंग को जानदार बनाने में सहायक होगी. इस बारे में इटावा के जिलाधिकारी नितिन बंसल से भी विचार-विमर्श किया जा रहा है. शासन को पंचनदा को विकसित करने का प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया जा चुका है. उल्लेखनीय है कि पंचनदा सैंक्चुअरी (संरक्षित वनक्षेत्र) में आता है, इसके बावजूद नौकरशाह इस शांत-वनक्षेत्र में फिल्मों की शूटिंग की चहल-पहल और शोर-शराबे को लाना चाहते हैं. कपूर ने कहा कि वे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पंचनदा को फिल्मों की शूटिंग के मद्देनजर विकसित कराने के बारे में प्रस्ताव देंगे, जिससे देश के नामी फिल्मकारों को वहां शूटिंग के लिए आकर्षित किया जा सके. चंबल के बीहड़ों में कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है, जिनमें कई बेहद लोकप्रिय भी हुई हैं.
उन्हें पता ही नहीं कबीर का जन्म-स्थान कहां है!
उत्तर प्रदेश में पर्यटन विकास के केंद्र और प्रदेश सरकार के प्रयासों पर सरकार का सूचनातंत्र ही बट्टा लगा देता है. आधिकारिक तौर पर जारी प्रेस विज्ञप्ति जारी करने वाले अधिकारी को यह पता ही नहीं कि संत कबीर का जन्मस्थल कहां है और निर्वाण स्थल कहां. पर्यटन योजनाओं को लेकर सरकार का जो पक्ष प्रेस-विज्ञप्ति के रूप में भेजा गया, उसमें मगहर को संत कबीर का जन्मस्थान लिखा गया था. इतना ही नहीं मगहर को वाराणसी में दिखा दिया. जबकि मगहर संत कबीर नगर जिले में स्थित है.