दुनिया में ही नहीं अपने देश में भी इस समय टैरिफ विवाद आम चर्चा का विषय बनता जा रहा है। पूरी वैश्विक आपूर्ति चेन खतरे में पड़ती जा रही है। इसे एक टैरिफ वार के बतौर लोग देख रहे हैं। जिससे भारत पर भी बेहद खराब प्रभाव पड़ेगा। बेरोजगारी तो देश में बढ़ेगी ही आर्थिक स्थिति भी खराब होगी।
रोजगार के सवाल पर खास तौर पर अग्निवीर के विरुद्ध नौजवानों का जो गुस्सा दिखा था और बढ़ती बेरोजगारी से उनमें जो बेचैनी थी उसको ध्यान में रखते हुए अन्य संगठनों के साथ मिलकर युवा मंच ने 10 नवंबर 2024 को दिल्ली में सफल राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन में रोजगार अधिकार अभियान चलाने के लिए राष्ट्रीय मंच का निर्माण किया गया। इसी दौर में अनुसूचित जाति-जनजाति के उपवर्गीकरण के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए ‘डॉक्टर अंबेडकर-एससी-एसटी उपवर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला’ विषय पर ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने दिल्ली में 8 दिसंबर 2024 को राष्ट्रीय सम्मेलन भी आयोजित किया। जिसमें दलित सालिडेरिटी फोरम के गठन का फैसला लिया गया। बहरहाल इन सबको अमली जामा पहनाने के लिए खास तौर पर उत्तर प्रदेश को चुना गया। इसके लिए 25 मार्च 2025 को लखनऊ में बड़ी बैठक कर रोजगार और सामाजिक अधिकार संवाद आयोजित करने का फैसला लिया गया। अब प्रदेश के विभिन्न जिलों में इसको लेकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं।
टैरिफ विवाद में ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने अपना मत दिया है कि ट्रंप प्रशासन अपनी व्यापार नीति दुनिया पर थोपना चाहता है और व्यापार असंतुलन दूर करने के नाम पर दरअसल वह सुपर प्रॉफिट कमाने के लिए व्यापार पर एकाधिकार कायम करना चाहता है। बहरहाल चीन के साथ यूरोप सहित ढ़ेर सारे देश इसके खिलाफ खड़े हो रहे हैं। जापान और दक्षिणी कोरिया भी ट्रंप की इस नीति के प्रति सहज नहीं है।
इस संदर्भ में अच्छी बात हुई है कि लाउड इंडिया चैनल ने इस पर संवाद शुरू किया है। जिसमें एआईपीएफ के संस्थापक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने बहस की शुरुआत करते हुए कहा है कि वित्त और बीमा क्षेत्र पर न्यूयॉर्क और लंदन का पहले से ही कब्जा है। अब ट्रंप की नजर खेती-बाड़ी और जमीन पर है। उसने चीन को छोड़कर बढ़े हुए टैरिफ को 90 दिन तक स्थगित करने का जो फैसला लिया है उसकी मंशा है कि द्विपक्षीय वार्ता करके अपनी व्यापार नीति को आगे बढ़ाए और अधिक लाभ कमाए। ध्यान रहे की डब्ल्यूटीओ जैसे जो अंतरराष्ट्रीय संस्थान थे उनको ट्रंप प्रशासन ने पहले ही किनारे लगा दिया है और हर क्षेत्र में मनमानेपन पर उतर आया है।
चर्चा में यह बात उभरी कि भारत के नागरिकों को केंद्र सरकार पर दबाव डालना चाहिए कि वह गुपचुप ढंग से अमेरिका के साथ समझौता न करे। व्यापक जनता, संसद और विभिन्न फोरमों के स्तर पर चर्चा हो तब ही कोई समझौता हो। किसी भी कीमत पर डब्ल्यूटीओ और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के दिए निर्देशों का उल्लंघन न हो। अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने यह भी कहा कि हमें आर्थिक विकास की दिशा को बदलना होगा। लोगों की क्रय शक्ति बढ़ानी होगी और घरेलू बाजार व व्यापार पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि कम से कम दक्षिण एशिया के देशों के साथ जो संबंध इधर केंद्र सरकार की नीतियों के कारण खराब हुए हैं उनमें सुधार किया जाए। इनसे द्विपक्षीय वार्ता शुरू की जाए ताकि दक्षिण एशिया के देशों में सहयोग बढ़े ।
एआईएफएफ ने फैसला लिया है कि राष्ट्रीय स्तर पर रोजगार अधिकार अभियान को मजबूत किया जाए और उसके फोरमों में भी टैरिफ वार से रोजगार पर आने वाले खतरों को शामिल किया जाए। उत्तर प्रदेश में रोजगार और सामाजिक अधिकार संवाद में भी इस मुद्दे को शामिल करने और 75 जिलों तक पहुंचकर इसके अध्यक्ष मंडल व सलाहकार मंडल का गठन करने का फैसला लिया गया है। रोजगार और सामाजिक अधिकार संवाद के मुद्दे इस प्रकार हैं –
1. प्रदेश से जारी पूंजी के पलायन पर लगे रोक-इसे प्रदेश के विकास में ही खर्च किया जाए।
2. नये किस्म की महाजन सूदखोरी बंद हो-महिला स्वयं सहायता समूह को 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर कर्ज दिया जाए।
3. नौजवानों को आईटीआई, पालिटेक्निक, कौशल विकास में ट्रेनिंग व उद्यम के लिए अनुदान दिया जाए।
4. दलित, आदिवासी, अत्यंत पिछड़े, पसंमादा मुस्लिम व महिला की वाजिब हिस्सेदारी व सबप्लान में पर्याप्त पैसा दिया जाए।