यह है आज के महाराष्ट्र टाईम्स के प्रथम पृष्ठ की खबर ! हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय ने हेटस्पिच के संबंध में की याचिका को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और बी वी नागरत्न के बेंच के सामने यह मामला आने के बाद उन्होंने कहा कि “राजनीति और धर्म की मिलावट होने से ही समस्या बडी होती है ! और जिस क्षण राजनीति और धर्म अलग – अलग रखे जाएंगे तब द्वेषपूर्ण वक्तव्यों की समस्या खत्म हो जाएगी ऐसा न्यायमूर्ति जोसेफ बोलें है ! और आगे जाकर उन्होंने कहा कि ” न्यायालय द्वेषपूर्ण वक्तव्यों के उपर कितने लोगों पर कारवाई करेगा ? ऐसा सवाल उठाते हुए कहा कि नागरिक खुद विभिन्न समुदायों के लोगों को अपमानित न करने की शपथ क्यों नहीं ले सकते ? टीवी और सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर रोज अन्य समुदायों के लोगों के बारे में द्वेषपूर्ण वक्तव्य करते हुए दिखाई देते हैं ! और आगे जाकर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों का हवाला देते हुए कहा कि इन नेताओं के भाषण सुनने के लिए सूदूर गांववासियों को भी आते हूए देखा है !”
डॉ. राम मनोहर लोहिया ने ‘राजनीति अल्पकालिक धर्म है और धर्म दिर्घकालिक राजनीति है! ‘ ऐसा बहुत ही अर्थपूर्ण वक्तव्य दिया है ! यह वर्तमान समय में भारत के पिछले चालीस सालों से वर्तमान समय का सत्ताधारी दल और उसके मातृसंस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा मुस्लिम लीग, जमाते ईस्लामी और कुछ प्रादेशिक दल जिसमें महाराष्ट्र की शिवसेना कर्नाटक की श्रीराम सेना तथा विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की हिंदू वाहीनी तथा तमिलनाडु में हिंदूमून्नानी और देश के हर गलिकुचो में स्थानीय व्हर्शन है ! यह सब अलग – अलग जगहों पर लगातार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर के राजनीति कर रहे हैं ! जिसकी भारत की संविधान इजाजत नहीं देता है ! लेकिन हमारे संविधान को ठेंगा दिखाते हुए इन सभी तत्वों की राजनीति बदस्तूर जारी है ! बहुत लंबे अर्से के बाद ! मै हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय को इस बात का संज्ञान लेते हुए कुछ सार्थक बातें करते हुए देख कर ही आज यह पोस्ट लिखने के लिए उद्दुक्त हुआ हूँ !


सबसे हैरानी की बात संघ के द्वितीय संघप्रमुख श्री माधव सदाशिव गोलवलकर ने हमारे संविधान की घोषणा (26 – 11 1949) के दिन होने के पस्चात संविधान के बारे में साफ-साफ कहा कि हमारे देश का वर्तमान संविधान सिर्फ देश विदेश के पस्चिमी देशों के संविधानों की नकल करते हुए बनाया गया है ! जिसमें हमारे देश की संस्कृति और परंपराओं का एक शब्द से भी समावेश नहीं है ! हजारों वर्ष पुराना मनुस्मृति जैसे नायाब संहिता रहते हुए ( जिसमें स्रि-शुद्रो के लिए कितनी आपत्तिजनक सामग्री भरी हुई है ? और इसी कारण 25 दिसंबर 1927 के दिन डॉ बाबा साहब अंबेडकरजी ने महाड के सत्याग्रह के समय मनुस्मृति दहन का कार्यक्रम किया है ! ) 30 नवंबर 1949 के संघ के अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गनायझर में लिखा गया है कि ” इस संविधान में भारत के हजारों वर्ष पुराने मनुस्मृति जैसे संविधान जो स्पार्टा के लायकूरगस और पर्शिया के सोलोन के भी पहले से लिखा गया है जिसे संपूर्ण विश्व ने सराहा है लेकिन हमारे संविधान के पंडितों के लिए वह कुछ भी महत्व का नहीं लगा है ! और संघ ने 1925 से अपनी स्थापना के बाद ही जिस हिंदूत्ववादी तत्वज्ञान के उपर अपने संघठन की निंव रखीं है उसे पहलीबार लिखने वाले बैरिस्टर विनायक दामोदर सावरकर ने वेदों के बाद दुसरे पूजनीय ग्रंथ में मनुस्मृति का महिमामंडन करते हुए कहा कि ” हिंदू संस्कृति की निंव मनुस्मृति के द्वारा निर्धारित नियमों पर खडी है जो दैवी और अध्यात्म का समावेशी होने के कारण हजारों सालों के बाद भी आज हमारी संस्कृति में करोड़ों लोगों की रोजमर्रा की जीवन पद्धति में उसके अनुसार ही समावेश है और मनुस्मृति ही हिंदू कोड है !” और आज सावरकरजी के मृत्यु को 57 साल हो चुके हैं !

लेकिन उन्होंने कहीं हुई बात महाराष्ट्र से लेकर राजस्थान उत्तर प्रदेश उसके बगल के देवभूमि उत्तराखंड के मंदिरों में अभिभी दलितों को प्रवेश नहीं है से लेकर पानी के मटके को हाथ लगाने वाले बच्चे की जान जाने तक कि पिटाई या सहरानपूर में डॉ. बाबा साहब अंबेडकरजी की मूर्ति को कबीर मठ में लगाने को लेकर चला हुआ दंगे से लेकर वुलगढी की दलित बच्ची के बलात्कार के बाद प्रशासन के तरफसे उसके शव को रात के अंधेरे में जलाये जाने की सभी घटनाओं को देखते हुए बैरिस्टर विनायक दामोदर सावरकर ने हमारे महान हिंदू धर्म के कोड के रूप में हजारों सालों से करोड़ों हिंदू उसके अनुसार अपने जीवन में अमल में लाने की यह चंद घटनाओं का उल्लेख किया हूँ ! लेकिन सावरकर की बात उनके मृत्यू के 57 साल के बाद भी भले 26 जनवरी 1950 के बाद हमारे देश में संविधान लागू होने को आज 73 साल होने के बावजूद कम – अधिक – प्रमाण में भारत के सभी हिस्सों में स्री – शुद्रो के साथ व्यवहार बिल्कुल मनुस्मृति के अनुसार हो रहा है ! और यही मानसिकता का फायदा संघ की राजनीतिक ईकाई बीजेपी ने गत चालिस सालों से सिर्फ और सिर्फ सांप्रदायिक राजनीति के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही है ! लेकिन बीजेपी या सांप्रदायिक तनाव करने के बावजूद उस दल के कितने लोग भारत के संविधान के अनुसार सजायाफ्ता बने हैं ? और 1980 बाद जनता पार्टी से अलग होने के बाद भारतीय जनता पार्टी यह पुरानी जनसंघ का नया नाम देकर इस दल का ट्रॅकरेकॉर्ड खोलकर देखने से पता चलेगा कि धर्म का राजनीतिक उपयोग करने के लिए रामजन्मभूमी – बाबरी मस्जिद विध्वंस के गुनाह कर चुके दल की राजनैतिक दल की मान्यता 6 दिसंबर 1992 के बाद खत्म होनी चाहिए थी ! लेकिन उसके बावजूद इस दल के हौसले बुलंद होकर भागलपुर – गुजरात जैसे भिषण दंगे और उसके बाद लगातार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के अलावा और क्या योगदान है ?


उल्टा जिस संविधान को तुरंत ही नकार देने वाले संघठन के लोग ! उसी संविधान की मदद से दुसरो के उपर मामले दायर करके उन्हें शिक्षा दिलवाने में तक कामयाब हो रहे हैं ! राहुल गांधी का ताजा मामला उसकी एक मिसाल है वैसे ही राहुल गांधी पर सावरकर से लेकर और भी कई मामलों में उन्हें कोर्ट के चक्कर काटने पड रहे हैं ! नाम किसी का कुछ भी हो सकता है ! लेकिन वह अगर चोर है या आतंकवादी या भ्रष्टाचार मे लिप्त होने के कारण भाग गया है ! और उसे भगोड़े या चोर कहने की बात पर कैसे क्रिमिनल मामला बन सकता है ? और बनाने वाले जज को हप्ताह भर में प्रमोशन भी मिलता है !


बिल्कुल इसके उल्टा अमित शाह को सोहराबुद्दीन और अन्य लोगों को एंकाऊंटर करके मारने के मामले में ! एक जज नागपुर के सरकारी अतिथियों के अतिथीगृह में संशयास्पद स्थिती मे मृत घोषित किया जाता है ! और उसके मृत्यु के एक महिना पहले ही ! एम बी गोसावी नाम के जज को बहाल किया जाता है ! दस हजार पन्ने से अधिक आरोप पत्र ! और सौ से अधिक कॉल रेकॉर्ड ! गुजराती भाषा में यह सब पढ़ने और समझने के लिये कितना भी होशियार और मुस्तैद आदमी औरत को कितना समय लगेगा ? गोसावी साहब ने पंद्रह दिसंबर 2014 के दिन डिफेंस लॉयर के एर्ग्यूमेंट को तीन दिन तक अमित शाह को डिस्चार्ज करने के लिए सुनने के बाद ! गोसावी नाम के जज ने प्रोसिक्यूटिंग एजेंसी को पंद्रह मिनट दिया और 17 दिसंबर को उन्होंने अपना अर्गूमेंट खत्म करने के बाद गोसावी साहब ने अपना फैसला सुरक्षित रखा और ! और 30 दिसंबर को डिफेंस अर्गूमेंट को अपहेल्ड करने के बाद सीबीआई का राजनीतिक उद्देश्य होने के कारण आरोपी को इस मामले में फंसाया था इसलिए इस लिए मै उन्हें इस मामले से बा ईज्जत बरी कर रहा हूँ ! जज लोया के मृत्यु को एक महिना पूरे होने के पहले ही ! अमित शाह को सभी गुनाहों से बा ईज्जत बरी कर दिया ! और बाद में सुना है ! कि गोसावी भारत के टॅक्स और एक्साइज के ट्रायबूनल के जज बनाएं गए ! पिछले नौ सालों से सीबीआई, आई बी, ईडी के मार्फत हजारों विरोधियों के साथ अभी जो कुछ जारी है ! क्या वह राजनीति से प्रेरित होकर नहीं है ? यह सब एजेंसियों को पोपट बोलने वाले लोगों को इनकी सत्ता आने के बाद वहीं एजेंसियों के वहीं कर्मचारियों की मदद से तथाकथित छापेमारी चल रही है इसके बारे में क्या कहेंगे ? अब तो सिर्फ इन एजेंसियों की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं अब न्यायालय नामक संस्था को भी नकेल कसने की तैयारी चल रही है ! इसलिए सिधा बोल रहे है कि कॉलेजिएम सिस्टम दोषपूर्ण है ! इसलिए अब सरकार खुद ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करेंगी !


यह जो भारत के कानून मंत्री किरण रज्जू लगातार जजों के उपर हमले कर रहे हैं ! इसकी वजह इन्हें सबके सब जज अपनी मनमर्जी से फैसले सुनाने वाले चाहिए ! ठीक है कॉलेजिएम की सिस्टम में कुछ खामियां होंगी ! लेकिन सत्ताधारी दल अपने तरफसे जजो की नियुक्ति करने के बाद हमारे न्यायालय- न्यायालय न रहते हुए सरकार के दरबारी बनकर रह जायेंगे! जो संविधान के पहले राजे – रजवाड़ों के तथाकथित न्यायालय में होता था ! बिल्कुल वहीं आज वर्तमान सत्ताधारी दल का असली मकसद है ! कि अब एकमात्र संविधान का चौथा खंबा न्यायपालिका ! वह अपने मर्जी से चलने के लिए विशेष रूप से वर्तमान समय में भारत के उपराष्ट्रपती से लेकर कानून मंत्री तक लगातार हमले कर रहे हैं ! और कल तो कानून मंत्री ने भूतपूर्व जजो को लेकर जो टिप्पणी की है ! उससे वह संपूर्ण देश में एक संदेश देना चाहते हैं ! कि कोई सरकार की अकर्मण्यता या गलतीयो के बारे में कुछ भी नहीं बोलें या लिखेंगे !


आनेवाले 25 जून को 48 साल होने जा रहें हैं ! आपातकाल की घोषणा को ! उस समय संघ और उसकी राजनीतिक ईकाई बीजेपी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जनतंत्र के नाम पर कितने कशिदे पढेंगे ? क्योंकि यह तमाशा वह सत्ताधारी दल बनने के बाद से लगातार जारी है ! 2015 के 25 जून को चालिस साल आपातकाल की घोषणा के होने के उपलक्ष्य में ! वॉक वुइथ टॉल्क एन डी टी.वी के कार्यक्रम में ! इंडियन एक्सप्रेस के शेखर गुप्ता के साथ बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि चालिस साल पहले एक आपातकाल हमनें देखा था ! लेकिन पिछले एक साल से जो अघोषित आपातकाल जारी है उसका क्या ?
डॉ सुरेश खैरनार 30 मार्च 2023, नागपुर

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