झंडा हमारी शान है और देश का सैनिक हमारा गौरव। सेना के लिए होने वाले किसी भी आयोजन में किसी तरह का कांट्रीब्यूशन करना देश के हर नागरिक के लिए गर्व की बात रही है। लेकिन इस तरह के आयोजनों के लिए लगने वाली सरकारी बंदिशें दिल में कहीं कसक छोड़ जाती हैं। ऐसे ही हालात कलेक्टर कार्यालय से चले ताजा आदेश से बने हैं। पशु पालन विभाग ने इस आदेश की कुछ और ही व्याख्या कर पेश किया। गर्व से किए जाने वाले सहयोग को दिलों पर बोझ और जेबों के लिए हल्कापन बनाने की वजह बना दिया गया है।

सूत्रों के मुताबिक पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक ने जिले के सभी पशु चिकित्सालयों को एक पत्र जारी कर एक-एक हजार रुपए जमा कराने के निर्देश दिए हैं। झंडा दिवस पर कलेक्ट्रेट कार्यालय में जमा की जाने वाली राशि से इसको जोड़ा गया है। कलेक्टर भोपाल द्वारा जारी आदेश के हवाले से कहा गया है कि झंडा दिवस पर जिलाभर से 12 लाख 29 हजार रुपए जमा कराने का लक्ष्य रखा गया है। इसी तारतम्य में जिले में मौजूद सभी पशु चिकित्सालयों को एक-एक हजार रुपए और सभी कृत्रिम गर्भादान केन्द्रों को पांच-पांच सौ रुपए जमा कराने के फरमान उप संचालक ने जारी किए हैं। उप संचालक ने इस राशि को जमा कराने के लिए 15 दिसंबर की समयसीमा आयद की है।

अस्पताल उठा रहे खामोश आपत्ति

सूत्रों का कहना है कि उप संचालक कार्यालय से जारी हुए इस आदेश को लेकर अस्पतालों और गर्भादान केन्द्रों में गुपचुप विरोध उठने लगा है। कहा जा रहा है कि इनका विरोध इस बात को लेकर है कि सेना के लिए किए जाने वाले किसी भी सहयोग को ऐच्छिक रखा जाना चाहिए, जिसमें सभी कर्मचारी अपनी स्वेच्छा से अपनी सामथ्र्य अनुसार सहयोग कर सकते थे। लेकिन इस तरह सरकारी आदेश जारी कर विभागीय वसूली को नियम संगत नहीं कहा जा सकता। विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि इस सरकारी आदेश के मायने सरकारी खजाने से राशि दिए जाने जैसे हैं। जबकि कागजों में इस बात का उल्लेख किया जाना आने वाले दिनों में ऑडिट आपत्ति की वजह भी बन सकता है। उनका कहना है कि राशि जमा कराने के लिए सभी कर्मचारियों को स्वैच्छिक अंशदान के लिए कहा जाता तो बेहतर होता।

खान अशु

भोपाल

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