दो राज्यों की राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और केन्द्र शासित प्रदेश कैडर के बाबुओं के बीच संघर्ष का गवाह रहा है. इसकी वजह है कि आईएएस, आईपीएस और राज्य संवर्ग से प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अधिकारियों के बीच से भरे जाने वाले पदों में अद्वितीय 60:40 का अनुपात होता है. इस अनुपात का संतुलन कभी एक राज्य तो कभी दूसरे राज्य की ओर झुकता है. यही विवाद की वजह भी बनता है. लेकिन केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ प्रशासन में नव नियुक्त सलाहकार विजय कुमार देव उम्मीद कर रहे हैं कि यह कलह समाप्त हो जाएगी. केन्द्र शासित प्रदेशों के बाबुओं के साथ अपनी पहली बातचीत में उन्होंने कड़ी लाइन ली और उनसे कहा कि चंडीगढ़ में प्रतिनियुक्ति पर आने के बाद वे अपने कैडर को छोड़ चंडीगढ़ की बेहतरी के लिए काम करें. लेकिन सूत्रों का कहना है कि बैठक में हरियाणा कैडर के कई आईएएस अधिकारियों ने इस बात की शिकायत की कि केन्द्र शासित प्रदेशों या पंजाब कैडर के अधिकारियों की कीमत पर चंडीगढ़ में उन्हें दरकिनार किया जाता है. विजय कुमार देव को इस पुरानी समस्या यानी कैडर प्रतिद्वंद्विता को ख़त्म करना होगा.
प्रतिनियुक्ति से परेशानी
हिमाचल राज्य कैडर से 28 आईएएस अधिकारी पहले से ही प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में सेवा दे रहे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अब किसी अधिकारी को राज्य के बाहर जाने की अनुमति नहीं दोना चाहते हैं. सूत्र बताते हैं कि तीन अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण श्रीधर, विनीत चौधरी और उपमा चौधरी ने प्रतिनियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुरोध किया है, जबकि इससे पहले भी उनके आवेदनों को खारिज कर दिया गया था. मुख्यमंत्री द्वारा इस नए अनुरोध को स्वीकारे जाने की भी संभावना नहीं है. हिमाचल प्रदेश सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की कमी का सामना कर रही है. आखिरी बार सचिव स्तर के आईएएस अधिकारियों अली रजा रिजवी, संजय मूर्ति, भरत केरा, अमनदीप गर्ग समेत कुछ अन्य लोगों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था. इस पलायन ने मामले को और अधिक कठिन बना दिया. इस बीच, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अब उन बाबुओं को वापस लाना चाहते हैं, जिनकी प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो रही है.
कुलकर्णी की किस्मत
किस्मत कैसे पलटती है, आनंद कुलकर्णी इसका बेहतरीन उदाहरण हैं. कुलकर्णी कभी मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के कार्यकाल के दौरान प्रोटोकॉल, पर्यटन और आबकारी विभागों का नेतृत्व करते थे. जब किस्मत रूठी तो उन्हें महाराष्ट्र राज्य वित्त निगम भेज दिया गया. लेकिन अब फिर से उनका वक्त आ गया है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें लोक निर्माण विभाग में वापस ला कर अतिरिक्त मुख्य सचिव का पद दिया है. महाराष्ट्र के बाबुओं में यह लोकप्रिय है की सरकार की चपेट में आए अधिकारियों के दिन नहीं फिरते. लेकिन कुलकर्णी के दिन तो फिर गए. उन्होंने अपनी खोई जमीन को पुन: वापस पा लिया है. यह उनके किस्मत का ही कमाल कहा जाएगा.