हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हाल में प्रेम कुमार धूमल की पूर्व भाजपा सरकार और उनके सांसद बेटे अनुराग ठाकुर के क़रीबी बाबुओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है. यह बात अब बाबुओं के बीच चर्चा का बड़ा मुद्दा बनी हुई है. लेकिन, जब राज्य सतर्कता ब्यूरो ने तेजी से कार्रवाई की और हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन प्रकरण समेत ठाकुर से जुड़े अन्य मामलों में मुकदमे दर्ज किए, तो सबकी चिंता बढ़ गई. कई बाबुओं का मानना है कि इस प्रकरण से आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बीच दूरियां बढ़ेंगी. आईएएस अधिकारी इस बात से चिंतित हैं कि सरकार ने एचपीसीए मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक सनान और आईएएस अधिकारी आर एस गुप्ता को कारण बताओ नोटिस भेजा है. कांग्रेस सरकार फोन टेपिंग मामले की भी जांच शुरू करने पर पहल कर रही है. उसने पुलिस महानिदेशक आई डी भंडारी की एक ग़ैर-महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति कर दी है. सूत्रों के मुताबिक, बाबुओं के साथ वीरभद्र सिंह का कार्यकाल मुश्किल रहने वाला है, जो या तो उनके ख़िलाफ़ हैं अथवा काम करने से डर रहे हैं.
सामने आएगी सारी कहानी
अगर अफवाहों की मानें, तो कोयला घोटाला मामले में आरोपी पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख द्वारा लिखित किताब आने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो सुर्खियों में रहने वाला है. सीबीआई ने पिछले साल कुमार मंगलम बिड़ला के साथ पारेख का नाम जांच में शामिल किया था, लेकिन उन्हें अपने सहयोगियों और यहां तक कि कुछ मंत्रियों से भी समर्थन मिला है. सूत्रों का यह भी कहना है कि पूर्व नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय, सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और यहां तक कि पूर्व सीबीआई निदेशक भी पुस्तक लोकार्पण समारोह में शिरकत कर सकते हैं. माना जा रहा है कि अपनी जीवनी में पारेख ने दावा किया है कि सीबीआई ने कोल ब्लॉक आवंटन मामले की सही तस्वीर सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं पेश की. साथ ही, सीबीआई का मामला न्यायिक तौर पर बिल्कुल नहीं ठहरेगा और नतीजा यह होगा कि सभी आरोपी बरी हो जाएंगे. हालांकि, यह अभी देखा जाना बाकी है, लेकिन इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि पारेख की किताब से सीबीआई और उसके शीर्ष अधिकारियों को शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है.
जल्दबाजी में बदलाव की बयार
अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में यूपीए सरकार वित्त मंत्रालय की भारतीय आर्थिक सेवा (आईईएस) के कुछ खास अधिकारियों को नियुक्तियों के जरिये ईनाम देने को ज़्यादा उत्सुक नज़र आ रही है, जबकि कुछ सप्ताह पहले ही चुनाव आचार संहिता लागू हुई है. सूत्रों के मुताबिक, वरिष्ठ आईईएस अधिकारी अंबरीश कुमार को पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में वरिष्ठ सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया गया है, जबकि कुमार लंबे समय से छुट्टी पर चल रहे थे. इसी तरह 1980 बैच के आईईएस अधिकारी बी ब्रह्मा को पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में वरिष्ठ सलाहकार बनाया गया है, वहीं अवतार सिंह सहोता को पदोन्नति देते हुए पंचायती राज मंत्रालय में वरिष्ठ सलाहकार की ज़िम्मेदारी दी गई है. यद्यपि मंत्रालय ने इसे सामान्य नियुक्ति बताया है, वहीं चुनाव आयोग ने भी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. वित्त मंत्रालय ने पांच अन्य अधिकारियों को इसी तरह पदोन्नति दी है. उक्त नियुक्तियां सामान्य हैं या ईनाम और यह नियमों का उल्लंघन है या नहीं, यह साफ़ नहीं है, लेकिन दिल्ली के बाबुओं के बीच यह बहस का मुद्दा बना हुआ है कि केंद्र में नज़र आते बदलाव के मद्देनज़र इसे महज सामान्य गतिविधि नहीं कहा जा सकता.
दिल्ली का बाबू : बाबुओं की बड़ी चिंता
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