नेशनल हेराल्ड हाउस खाली कराने से जुड़ी याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट ने दो हफ्तों के भीतर हेराल्ड हाउस खाली करने का आदेश दिया है. असोसिएटेड जनरल लिमिटेड (एजेएल) ने लैंड ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी के 30 अक्टूबर को हेराल्ड हाउस के खाली करने के आदेश को चुनौती दी थी. केंद्र सरकार ने पब्लिशर के अखबार नैशनल हेराल्ड द्वारा लीज के नियमों का उल्लंघन करने पर उसे खाली करने का आदेश दिया था.
बता दें कि हाईकोर्ट ने हेराल्ड हाउस खाली करने के मामले में केंद्र सरकार व नेशनल हेराल्ड प्रकाशन समूह एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए तुषार मेहता ने कहा था कि इंडियन एक्सप्रेस बिल्डिंग से जुड़ा आदेश इस मामले में गलत तरीके से कोड किया गया है. उन्होंने तर्क दिया था कि पब्लिक प्रॉपर्टी को जिस वजह से दिया गया, वह हेराल्ड हाउस में कई सालों से किया ही नहीं जा रहा है. ऐसे में यह कहना पूरी तरफ आए गलत है कि नेहरू की विरासत को खत्म करने की कोशिश है. उन्होंने बताया था कि हेराल्ड हाउस की लीज रद करने से पहले कई बार नोटिस दिया गया था.
नेशनल हेराल्ड भी उन अखबारों की श्रेणी में है, जिसकी बुनियाद आजादी के पूर्व पड़ी. हेराल्ड दिल्ली एवं लखनऊ से प्रकाशित होने वाला अंग्रेजी अखबार था. 1938 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड अखबार की नींव रखी थी. इंदिरा गांधी के समय जब कांग्रेस में विभाजन हुआ तो इसका स्वामित्व इंदिरा कांग्रेस आई को मिला. नेशनल हेराल्ड को कांग्रेस का मुखपत्र माना जाता है. आर्थिक हालात के चलते 2008 में इसका प्रकाशन बंद हो गया.
क्या है पूरा मामला
बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने पटियाला हाउस कोर्ट में नैशनल हेराल्ड मामले में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में स्वामी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल, यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी और अन्य ने साजिश के तहत 50 लाख रुपये का भुगतान कर धोखाधड़ी की. जिसके जरिए यंगइंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 90.25 करोड़ रुपये की वह रकम वसूलने का अधिकार हासिल कर लिया, जिसे असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को कांग्रेस को देना था.