पराली जलाने और अन्य कई कारणों से दिल्ली-एनसीआर एक बार फिर से गैस चैंबर बनने की राह पर आ गया है. दिन पर दिन हालात इतने बद्दतर होते जा रहे है कि लोगो का सांस लेना भी मुश्किल होता जो रहा है. इसी संबंध में अब केंद्रिय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने चेतावनी जारी कर दी है. वहीं, स्वास्थ्य पर प्रदूषण के दुष्प्रभाव को देखते हुए इस संबंध में गंगाराम अस्पताल के चेस्ट मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. अरूप बसु ने कहा कि प्रदूषण साइलेंट किलर है. पांच साल से कम उम्र वाले बच्चे प्रदूषण के जद में आते हैं तो उन्हें ब्रांकाइटिस होती है. बड़े होने पर उन्हें फेफड़े की बीमारी हो सकती है और उनके विकास पर भी असर पड़ सकता है. इसके अलावा हृदय की बीमारी व फेफड़े का कैंसर हो सकता है.
प्रदूषण को कम करने रोकथाम जरूरी
वातावरण की स्वच्छता के लिए सामाजिक व सरकारी दोनों स्तरों पर प्रयास करने होंगे. सामाजिक प्रयास यह कि लोगों को पराली, कूड़ा जलाने व पटाखे फोड़ने से बचना चाहिए. वहीं सरकार को सख्ती से ऐसे नियम लागू करने होंगे जिससे प्रदूषण कम हों. ऐसे में प्रदूषण की जल्द रोकथाम जरूरी है.
प्रदूषण के दुष्प्रभाव से ऐसे बचें
सुबह व शाम को टहलना बंद कर दें. दोपहर में वातावरण साफ होने पर लोग टहल सकते हैं. इस समय पानी खूब पीना चाहिए ताकि शरीर का हाइड्रेशन ठीक रहे. इससे शरीर से कई तरह के प्रदूषक तत्व बाहर आ जाते हैं. घर से बाहर निकलने पर मास्क का इस्तेमाल किया जा सकता है पर इससे भी पूरा बचाव संभव नहीं है. छोटे बच्चों को इन दिनों घर से बाहर नहीं ले जाना चाहिए. कमरे में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल किया जा सकता है.