_kuldeep_narayanआईएएस अधिकारी डीके रवि की संदिग्ध मौत पर बेंगलुरु में लोगों का प्रदर्शन किया. उनकी मौत को कर्नाटक में भू-माफियाओं के खिलाफ उनके द्वारा की गई कार्रवाई से भी जो़ड कर देखा जा रहा है. दूसरी तरफ केंद्र ने 2005 के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी कुलदीप नारायण का बिल्डरों और भू-माफियाओं के इशारे पर निलंबन पर बिहार सरकार से रिपोर्ट मांगी है. यह दूसरी बार है, जब केंद्र ने इस मसले पर रिपोर्ट मांगी है. हालांकि इस मामले में राज्य सरकार के जवाब से केंद्र संतुष्ट नहीं है. नारायण पटना नगर निगम के सीईओ और आयुक्त के पद पर रहते हुए राजधानी पटना में बिल्डरों और अवैध भवन निर्माण के खिलाफ कार्रवाई कर रहे थे. इसी वजह से सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए दिसंबर में स्थानान्तरण कर दिया था. हालांकि उनके ट्रांसफर के खिलाफ एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी. हालांकि सरकार ने उनके स्थानान्तरण की हर संभव कोशिश करती रही, लेकिन आखिरकार कोर्ट ने उनकी मंशा पर पानी फेर दिया. अब कार्मिक मंत्रालय भी कुलदीप के मुद्दे पर राज्य सरकार पर दबाव ब़ढा रहा है, जिसका हल ढूंढना नीतीश सरकार के लिए आसान नहीं है.

 

राजनीतिक ठिकरा नौकरशाही पर

आमतौर पर राजनीतिक निर्णयों का ठिकरा नौकरशाहों के सिर फो़डा जाता है. जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा हुर्रियत के अलगाववादी नेता मशरत आलम को जेल से छो़डे जाने के निर्णय के लिए जम्मू सरकार ने गृह सचिव सुरेश कुमार को जिम्मेदार ठहराया है. सरकार का कहना है कि प्रशासकीय लापरवाही की वजह से ऐसा हुआ है. मशरत की रिहाई के लिए सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था. हालांकि सुरेश कुमार के तबादले को 60 अन्य वरिष्ठ नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों के तबादले से जो़ड कर देखा जा रहा है, ताकि सरकार के इस कदम पर कोई सवाल ख़डा न हो और राज्य की प्रशासनिक महकमे की नई तस्वीर प्रस्तुत की जा सके. कुमार को आईएमपीए का निदेशक बना दिया गया है और राज्य में उनके बदले किसी और अधिकारी को नहीं भेजा गया. हालांकि सूत्रों का कहना है कि राज्य की योजना और विकास सचिव बी आर शर्मा को गृह विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. इस बात के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं कि अस्थाई रूप से गृह विभाग का संचालन कब तक जारी रहेगा.

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