मुआवजा दिलाने के नाम पर किया जा रहा सौदा
भोपाल। कोरोना से मृत व्यक्ति को सरकारी तौर पर एक लाख रुपए की अनुदान राशि दिलाने के नाम पर दुकानदारी शुरू हो गई है। इस एक लाख रुपए में आपदा से हुई मौत के हालात में मिलने वाले चार लाख रुपए दिलवाने की बात भी कही जा रही है। धंधेबाजों ने इसके लिए मिलने वाली कुल का पचास प्रतिशत अपना सेवा शुल्क निर्धारित किया है। मौत के नाम पर सौदा करने वाले अपने शिकार की तलाश अस्पताल, शमशान और कब्रिस्तानों के रिकॉर्ड से तलाश कर रहे हैं।
कोरोना की दूसरी लहर में अचानक बढ़े मौत के आंकड़े देखकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मृतक के आश्रितों को एक लाख रुपए की अनुदान राशि देने का ऐलान किया है। इसके साथ ही पूर्व से संचालित व्यवस्था के तहत किसी आपदा से मृत व्यक्ति को स्थानीय प्रशासन की तरफ से की जाने वाली 4 लाख रुपए की मदद को भी इससे जोड़ा गया है। ऐसे में आपदा घोषित किए गए कोरोना से किसी व्यक्ति की मौत पर कुल 5 लाख रुपए की राशि देने का प्रावधान किया गया है। हालांकि इसके लिए लंबी और जटिल प्रक्रिया भी जोड़ दी गई है। जिसके चलते किसी आम इंसान को बिना सलाहकार के ये राशि हासिल कर पाना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है।
मृत्यु प्रमाण पत्र बना समस्या
जानकारी के मुताबिक कोरोना से हुई मौत को लेकर सरकारी अस्पतालों द्वारा जारी किए जा रहे मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण अंकित किया जा रहा था। जबकि निजी अस्पताल से मिलने वाले सर्टिफिकेट में बीमारी का जिक्र नहीं किया जा रहा। कब्रिस्तान या शमशान से मिलने वाले प्रमाण पत्र में भी मौत का कारण लिखने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में लोगों की सारी उम्मीदें नगर निगम की जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र शाखा से जुड़ी हैं। लेकिन निगम से भी पिछले कुछ दिनों से मृत्यु प्रमाण पत्र के नाम पर लोगों को जमकर चक्कर लगवाए जा रहे हैं। साथ ही प्रमाण पत्र में मौत का कारण या बीमारी अंकित होने की व्यवस्था न होना भी जरूरतमंद लोगों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। इधर हाल ही में नगर निगम की इस शाखा का अचानक स्थान परिवर्तन हो जाना भी मुश्किल बढ़ाने वाला लग रहा है। शहर के बीच स्थित इस शाखा को आनन फानन में बीआरटीएस स्थित निगम मुख्यालय शिफ्ट कर दिया गया है।
मुश्किलों से निकाला कमाई का रास्ता
कोरोना से हुई मौत और उसके लिए मिलने वाली राशि पाने वालों की शहर में लंबी सूची है। लेकिन दस्तावेज न जुटा पाने के चलते बढ़ रही मुश्किलों को आधार बनाकर कुछ लोगों ने कमाई के रास्ते बना लिए हैं। सूत्रों का कहना है कि ऐसे लोग अस्पताल, शमशान या कब्रिस्तान से कोरोना से मरने वालों की सूची जुटा रहे हैं। उसके बाद इन्हें फोन पर या साक्षात संपर्क कर राशि दिलाने का लालच दिया जा रहा है। स्वयंभू दलाल खुद की प्रशासनिक सेटिंग का दावा कर सरकारी राशि दिलाने का लालच दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि इसके लिए शुरुआत में कुछ अग्रिम राशि मांगी जा रही है। साथ ही राशि मिल जाने पर कुल रकम का आधा पैसा सेवा शुल्क के रूप में मांगा जा रहा है।
पहले गैस मुआवजा दिलाने के नाम पर सक्रिय हुए थे दलाल
दलालों का कमाई का गोरखधंधा इससे पहले गैस त्रासदी के बाद तेजी से चला था। वास्तविक पीडि़तों को मिलने वाली राशि का बड़ा हिस्सा बीच में दबा लेने वाले इन लोगों ने फर्जी मुआवजा दिलाने के लिए आधे से भी ज्यादा राशि ये दलाल खा जाते थे। गैस मुआवजा के कम होते मामलों के बाद अब धोखेबाज दलालों को कमाई का ये नया रास्ता मिल गया है।
सिक्योरिटी के नाम पर मांगा जा रहा है चेक
सूत्रों का कहना है कि दलालों ने अपना सेवा शुल्क सुरक्षित करने के लिए जरूरामंद लोगों से उक्त राशि का एडवांस चेक मांगा जा रहा है। ऐसे में लोगों के लिए ये भी मुश्किल बनी हुई है कि मुआवजा राशि मिलने के लालच में दिया गया चेक उनके लिए नई मुश्किल खड़ी न कर दे।