कोरोना के संक्रमण से व्याप्त घनघोर संकट से निपटने के लिए सरकार को प्रति माह श्वेत पत्र जारी करना चाहिए ।
संकट की वास्तविक स्थिति को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है । मरीजों की संख्या ,मृतकों की संख्या , दवा ,इंजेक्शन , ऑक्सीजन ,अस्पताल की उपलब्धता के संबंध में सरकारी आंकड़ों और वास्तविक स्थिति में बहुत ज्यादा अंतर और विरोधाभास है ।केंद्र और विभिन्न राज्यों की सरकारें अपनी अक्षमता ,विफलता और अमानवीय लापरवाहियों को छिपा रही हैं ।मृतकों की वास्तविक संख्या और सरकारी आंकड़ों के भारी विरोधाभास को तो स्थानीय स्तर पर सारे देश की जनता प्रति दिन देख रही है। सारी दुनिया में इसकी आलोचना हो रही है ।
कोरोना के संक्रमण की वास्तविक स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण संकट से निपटने की प्रक्रिया प्रत्येक स्तर पर बाधित हो रही है ।संकट की वास्तविकता को जनता से छिपाना भी जनता के साथ अन्याय है ।सरकारों में अपनी अक्षमता को स्वीकार करने का साहस होना चाहिए ।मरीजों के परीक्षण का कार्य भी युद्ध स्तर पर होना चाहिए ।परीक्षण के संख्या कम नहीं करना चाहिए । सरकार और जनता दोनों के ही लिए पारदर्शिता बेहद जरूरी है ।इसलिए इस संबंध में सरकार को प्रतिमाह श्वेत पत्र जारी करना चाहिए ।