पखवाड़े का हो चला किसानों का हक मांगो अभियान परेशान करने वाला भी है और फ़िक्र करने जैसा भी…! कोशिशें नाकाम नज़र आने लगी तो पत्थर फेंक नुस्खे से ध्यान भटकाने का हुनर भी अपनाया गया…! नतीजा सिफर रहा…! एक रास्ता वह भी सिखा गए थे, जिन्होंने बरसों छाती पर मूंग दल कर मुल्क पर राज किया है…! अंग्रेजों की फूट डालने की कूटनीति डॉक्टर्स में दो फाड़ कर अपनाने की तरफ कदम बढ़ चले हैं…! सोफेस्टिकेटेड झोलाछाप सुकून से जड़ी बूटियां कूट रहे थे, अब उन्हें चीर फाड़ के लिए ओज़ार हाथ में थमा कर इंसानी जिंदगियों से खिलवाड़ करने की इजाजत दी जा रही है…! धीमा इलाज, पुड़िया और डिब्बी की दवाएं और छोटे कारोबार से मोटी कमाई जुटाते घासफूस डॉक्टर न खुद को चीरफाड़ का माहिर मानते हैं और न इसके लिए उनकी कोई हार्दिक इच्छा ही है…! आम इंसान को किसान से, मध्य प्रदेश को बंगाल से और जमाने भर को इससे उससे लड़ाने में जुटी सियासत का अगला मोहरा बने हैं एलो और आयुर्वेद…! शगूफे से न अधिकार पाने वालों को ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत है और न हक छिन जाने की फ़िक्र में किसी को दुबला होने की आवश्यकता…!

पुछल्ला
अगली मांग की तैयारी
डॉक्टर्स के अधिकारों के बंटवारे का दौर चला है तो अगली मांग वेटनरी डॉक्टर्स की तरफ से भी उछल सकती है। तर्क होगा कि उन्होंने बड़े बड़े जानवरों का इलाज कर दिया है तो इंसान किस खेत की मूली हैं। ज़ोर इस बात से भी बढ़ाया जा सकता है कि वैसे भी अब इंसान की हरकतें जानवरों से कहां कम हैं, इसलिए वे जानवरों के साथ इंसानों को भी इलाज देंगे, उनकी चीरफाड़ भी करेंगे।
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खान अशु

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