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नई दिल्ली (ब्यूरो, चौथी दुनिया) । 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस लगातार पिछड़ती दिख रही है। चुनाव दर चुनाव कांग्रेस की धमक भारतीय राजनीति में कम होती चली गई। हाल ही में पांच राज्यों के चुनाव में भी कांग्रेस को 4 राज्यों में जोरदार झटका लगा। पंजाब को छोड़कर कहीं भी सरकार बनाने में कामयाबी नहीं मिली।

जीत और हार  की परतें उतारकर, स्थिति का विश्लेषण करने पर तस्वीर कुछ और हीं नजर आती। साल 2014 के आम चुनावों के बाद गोवा और मणिपुर जैसे छोटे राज्यों के चुनावों को छोड़ दिया जाए तो 10 राज्यों- तमिलनाडु, केरल, असम, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, और पंजाब में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए। इन राज्यों में लोकसभा की 317 सीटें आती हैं।

डाडा ड्रिवन वेबसाइट इंडिया स्पेंड के अनुसार 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने कुल 1544 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था (लोकसभा क्षेत्रों के अंतर्गत) जिसमे से 10 राज्यों में उसे 194 सीटों पर ही जीत मिली थी। यानी उसकी सफलता की प्रतिशत महज 13 प्रतिशत रहा था।

लोकसभा चुनाव के बाद इन राज्यों में जब चुनाव हुए तो कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में 1032 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। जिसमे से उसके 258 उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई थी।  यानी कांग्रेस की सफलता का प्रतिशत 13 से बढ़कर 25 फीसदी पर पहुंच गया। खास बात ये है कि सिर्फ सीटों की संख्या ही दोगुनी नहीं हुई हैं बल्कि वोट प्रतिशत भी बढ़ा। 2014 में इन राज्यों में जहां कांग्रेस को 20 प्रतिशत वोट मिले थे तो विधानसभा चुनावों में 30 फीसदी वोट मिले। मतलब कांग्रेस अपनी वापसी कर रही है।

हालांकि इसमे एक और बात गौर करने वाली है कि कांग्रेस का ये अच्छा प्रदर्शन बहुत कुछ उसके कई पार्टियों के साथ गठबंधन का भी नतीजा रहा।  लेकिन इसका ये अर्थ नहीं निकाला जा सकता कि अगर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ती तो उसको वोट कम ही मिलते।

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