मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले तक राज्य में जयस यानि जय आदिवासी संगठन जाना पहचाना नाम था. जयस ने आदिवासियों के बीच अपनी गहरी पैठ बना ली थी, लेकिन चुनाव आते-आते इसकी भूमिका और इसके उद्देश्य बदल गए हैं. जो जयस अपने बलबूते आदिवासियों के हित का मध्य प्रदेश बनाने की बात कर रहा था, उसके प्रमुख ने ही कांग्रेस का दामन थाम लिया. कांग्रेस द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची में सबसे चौंकाने वाला नाम था, जय आदिवासी संगठन (जयस) के संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा का.
दरअसल, इससे पहले कांग्रेस और जयस के बीच गठबंधन की कोशिशें चल रही थीं. ऐसी खबरें आ रही थीं कि पहले जयस कांग्रेस से गठबंधन के तहत 40 सीटों चाहती थी, बाद में यह आंकड़ा 15 तक आ गया था, लेकिन शायद बात बनी नहीं और अंत में हीरालाल अलावा कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ने को तैयार हो गए. यह मालवा निमाड़ क्षेत्र में कांग्रेस की बड़ी रणनीतिक सफलता मानी जा रही है. इससे मालवा निमाड़ अंचल में कांग्रेस को फायदा हो सकता है. हालांकि डॉ. अलावा के कांग्रेस के टिकट से लड़ने के फैसले को लेकर जयस में अंदरूनी मतभेद भी देखने को मिल रहा है.
जयस के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता अलावा के इस कदम को लेकर काफी गुस्से में हैं. वे हीरालाल अलावा पर विश्वासघात और संगठन को धोख़ा देने का आरोप लगा रहे हैं. लेकिन डॉ. अलावा इससे विचलित नहीं दिखाई पड़ते हैं. उनका कहना है कि मैं और मेरे साथी कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे हैं. जयस एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन बना रहेगा. इस चुनाव में जयस के कार्यकर्ता कांग्रेस को पूरा समर्थन देंगे.
पिछले कुछ सालों के दौरान इस क्षेत्र में जयस आदिवासी समुदाय के बीच एक प्रभावशाली ताकत के रूप में उभरा है. 2017 में जयस तब चर्चा में आया था, जब इसने छात्र संघ चुनावों में कई कालेजों में एबीवीपी को पीछे छोड़ते हुए जीत दर्ज की थी. तब से जयस ने इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बना ली है. हाल में जयस द्वारा 20 आदिवासी बहुल जिलों में निकाली गई आदिवासी अधिकार यात्रा भी काफी चर्चित रही है.