केन्द्रीय विद्यालयों में होने वाली हिंदी और संस्कृत भाषा की प्रार्थना को लेकर बवाल मचा हुआ है. बता दें कि केन्द्रीय विद्यालयों में होने वाली प्रार्थना को भी अब सुप्रीम कोर्ट में घसीट लिया गया है. केंद्रीय विद्यालयों में हिंदी ऋचाएं दैनिक की प्रार्थना में शामिल होती हैं लेकिन अब इन पर भी आपत्ति खड़ी कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार और केन्द्रीय विद्यालयों को नोटिस जारी कर इस पर जवाब भी मांगा है।
.
कोर्ट ने सवाल किया है कि क्या रोजाना सुबह स्कूल में होने वाली हिंदी और संस्कृत की प्रार्थना से किसी धार्मिक मान्यता को बढ़ावा मिल रहा है? इसकी जगह कोई सर्वमान्य प्रार्थना क्यों नहीं कराई जा सकती? इन सभी सवालों के जवाब कोर्ट ने 4 हफ्ते में मांगे हैं।
यह याचिका विनायक शाह नाम के शख्स ने लगाईं है. याचिका में उन्होंने कहा कि देशभर में पिछले 50 सालों से 1125 केंद्रीय विद्यालयों की प्रार्थना में ये ऋचाएं शामिल हैं। इस प्रार्थना में और भी ऋचाएं शामिल हैं, जिनमें एकता और संगठित होने का संदेश है.
Read Also: क्या होगा जब देश के किसान और नौजवान सच समझ जाएंगे
जैसे, ओम् सहनाववतु, सहनौ भुनक्तु: सहवीर्यं करवावहै. तेजस्विना वधीतमस्तु मा विद्विषावहै! उनको क्यों नहीं प्रार्थना में शामिल किया जाता। याचिकाकर्त्ता खुद वकील हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में 1964 से हिंदी में सुबह की प्रार्थना हो रही है जोकि पूरी तरह असंवैधानिक है। ये संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 के खिलाफ है और इसे इजाजत नहीं दी जा सकती है। कानून के मुताबिक, राज्यों के फंड से चलने वाले संस्थानों में किसी धर्म विशेष को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। इस याचिका पर कोर्ट ने कहा है कि ये बड़ा गंभीर संवैधानिक मुद्दा, जिस पर विचार जरूरी है। कोर्ट इस याचिका पर अगली सुनवाई में केंद्र के जवाब पर विचार करेगा।