Bodoland-demand

दो प्रभावशाली बोडो संगठनों ने भाजपा को चेतावनी दी है कि अगर केंद्र और राज्‍य की भाजपा सरकारें 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बोडोलैंड बनाने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती हैं, तो उसे बोडो समुदाय का समर्थन गंवाना पड़ेगा. ऑल बोडो स्‍टूडेंट्स यूनियन (अब्‍सू) जो एक छात्र संगठन है और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी-पी) जो एक विद्रोही समूह है और अब शांति वार्ता में है, दोनों ही सरकार से यह मांग कर रहे हैं.

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असम में 126 सदस्‍यों वाली विधानसभा में 60 सदस्‍य भाजपा के हैं. भाजपा यहां असम गण परिषद के 14 सदस्‍यों और बीपीएफ के 12 सदस्‍यों के साथ मिलकर सरकार चला रही है. बीपीएफ अकेली बोडो राजनीतिक पार्टी है, जो एनडीए में शामिल है. बीपीएफ ने कहा कि वह भाजपा को समर्थन देना बरकरार रखेगी और एक अलग बोडोलैंड की मांग उनके लिए कोई मुद्दा नहीं है.

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हालांकि असम की भाजपा सरकार का कहना है कि यह केवल एक छात्र संगठन की मांग है और इसे ज्यादा तवज्जो देने की जरूरत नहीं है. असम के वित्‍त मंत्री और भाजपा के वरिष्‍ठ नेता हिमंत विश्‍व शर्मा ने कहा है कि अब्‍सू केवल एक छात्र संगठन है और अलग बोडोलैंड पर कोई भी चर्चा सिर्फ बीपीएफ के साथ होगी.

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प्रभावशाली अखिल बोडो छात्र संघ (अब्‍सू) और शस्‍त्र त्‍यागकर शांति प्रक्रिया में शामिल होने वाले पहले उग्रवादी संगठन डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (प्रोग्रेसिव) ने संकल्‍प लिया है कि अगर भाजपा 2019 के चुनाव से पहले अलग राज्‍य बनाने के लिए मजबूत कदम नहीं उठाती है, तो वे इस पार्टी को अगले लोकसभा चुनाव में हराएंगे. अब्‍सू और एनडीएफबी (पी) ने भाजपा पर झूठा आश्‍वासन देने का आरोप लगाते हुए कहा है कि अब यह पार्टी बोडोलैंड के बारे में बात करने को भी तैयार नहीं है. अब्‍सू के अध्‍यक्ष प्रमोद बोडो ने कहा कि अगर भाजपा बोडो समुदाय का समर्थन हासिल करना चाहती है, तो उसके पास बोडोलैंड का मुद्दा सुलझाने के लिए अप्रैल 2019 तक का समय है.

गौरतलब है कि अलग बोडोलैंड बनाने की मांग 1967 से शुरू हुई थी. 1980 के अंतिम दशक में बोडो सिक्‍योरिटी फोर्स के गठन के बाद यह मांग सशस्‍त्र संघर्ष में बदल गया. यह एक उग्रवादी समूह था, जो अब एनडीएफबी में बदल गया.

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