भोपाल। अदब, अकीदत और भरोसे के इदारे (संस्था) दारुल कजा (कजियात) में साजिशें रची जा रही हैं। साफ सुथरी छवि के लोगों को बदनाम करने की कोशिश भी हो रही हैं। शहर काजी रायसेन पर दुर्भावना से लगाए गए आरोपों का भंडाफोड़ तब हुआ, जब बदली हुई कमेटी ने पिछली कमेटी द्वारा लगाए गए आरोप की जांच करवाई।
मसजिद कमेटी भोपाल के अधीन काम करने वाली दारुल कजा रायसेन में पदस्थ शहर काजी जहीर उद्दीन पर कमेटी के तत्कालीन सचिव एसएम सलमान ने गबन और आर्थिक अनियमितताओं का आरोप लगाया था। उन्होंने काजी जहीर के खिलाफ पुलिस शिकायत भी करवा दी थी। इन आरोपों के आधार पर तत्कालीन सचिव ने काजी जहीर को उनके पद से भी हटा दिया था।
झूठे निकले आरोप
मसजिद कमेटी द्वारा लगाए गए आरोपों पर जांच करने करने के लिए एक कमेटी गठित की गई। जिसमें अब्दुल मुगनी, मोहम्मद राशिद खान, आमिर अली खान, मोहम्मद जुबैर, अजहर अली शामिल हैं। कमेटी ने 19 मार्च को रायसेन दारुल कजा के दफ्तर पहुंचकर जांच की। जिसमें निकाह के भरे फॉर्म, खाली फॉर्म और रसीद कट्टे बरामद हुए। इसके साथ दफ्तर की अलमारी से 11 हजार रुपए प्राप्त हुए। इसके अलावा बैंक अकाउंट में भी 1 लाख 29 हजार रुपए पाए गए। तत्कालीन कमेटी ने निकाह फॉर्म में गड़बड़ी और कजियात की अमानत में खयानत करने का आरोप लगाते हुए काजी जहीर के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
मिली क्लीनचिट
मसाजिद कमेटी के मौजूदा प्रभारी सचिव यासिर अराफात ने बताया कि पिछली कमेटी द्वारा दुर्भावना के साथ काजी जहीर पर आरोप लगाए थे। उनके खिलाफ झूठी शिकायत भी दर्ज की गई थी। जांच में आरोप निराधार और झूठे साबित हुए हैं। जिसके आधार पर काजी जहीर की अगुवाई में रायसेन कजियात की व्यवस्थाएं बहाल कर दी गई हैं।
इनका कहना
सच कुछ दिन के लिए परेशान जरूर हुआ, लेकिन आखिर में झूठ की हार हुई। झूठे आरोप लगाने वाले और मुझे बदनाम करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए सलाह ले रहा हूं।
काजी जहीर उद्दीन