प्रभात रंजन दीन : वर्ष 2013 में तत्कालीन समाजवादी सरकार के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अहमद हसन के चहेते चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. बलजीत सिंह अरोरा ने प्रदेश के जापानी इंसेफ्लाइटिस व एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम प्रभावित जिलों में इंसेफ्लाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) को प्रस्ताव भेजा और टर्न-की प्रॉसेस पर अहमद हसन की चहेती कंपनी ‘पुष्पा सेल्स’ को काम दे दिया. बजाज स्कूटर बेचने वाली इस कंपनी को स्वास्थ्य से सम्बन्धित करोड़ों का काम देने का तब विरोध भी हुआ था, लेकिन अहमद हसन और डॉ. बलजीत सिंह अरोरा पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. ‘पुष्पा सेल्स’ कंपनी पहले भी विवादों में रही है.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के शताब्दी फेज-दो अस्पताल में ऑक्सीजन पाइप लाइन बिछाने के काम में इस कंपनी को तीन करोड़ का टेंडर महज 80 लाख रुपए में दे दिया गया था. जून 2014 तक न्यूरो डिपार्टमेंट में पाइप लाइन बिछाने का काम पूरा होना था, लेकिन 2015 तक काम पूरा नहीं हुआ. अस्पताल प्रशासन की फटकार के बाद वर्ष 2016 में किसी तरह काम पूरा हो सका. वर्ष 2014 में कानपुर के हृदय रोग संस्थान ने भी इस कंपनी को खराब वेंटिलेटर और खराब कम्प्रेस्ड एयर पाइप लाइन बनाने के लिए कड़ी फटकार लगाई थी.

अस्पताल प्रबंधन ने ‘पुष्पा सेल्स’ कंपनी को लिखा था, ‘पुष्पा सेल्स फर्म ने संस्थान में ऑक्सीजन की पाइपलाइन स्थापित की थी जिस पर पांच साल की वारंटी का भुगतान भी हुआ था, लेकिन अत्यंत खेद है कि कम्प्रेस्ड एयर की पाइपलाइन में पानी आ रहा है और कंपनी का लगाया हुआ ड्रायर भी ठीक से काम नहीं कर रहा है. इससे पाइप-लाइन के जरिए ऑपरेशन थियेटर (ओटी) व आइसीयू के वेंटीलेटर्स में पानी आ रहा है. इसी वजह से एक वेंटीलेटर खराब भी हो चुका है. इस बारे में दो बार शिकायत करने के बावजूद ड्रायर नहीं बदला गया. अब भी देर हुई तो कंपनी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और इसकी पूरी जिम्मेदारी कंपनी की होगी.’ यह शिकायती पत्र 14 जुलाई 2014 को कानपुर हृदय रोग संस्थान के निदेशक ने ‘पुष्पा सेल्स’ को भेजा था. वही फर्म अब गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद करने को लेकर विवादों में है. लखनऊ के आलमबाग में बजाज स्कूटर बेचने वाली एजेंसी समाजवादी सरकार की कृपा से सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन बेचने लगी. ‘पुष्पा सेल्स’ के खिलाफ तमाम शिकायतों के बावजूद सपा सरकार ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की.

फर्म की लगाई पाइप लाइन से आइसीयू में ऑक्सीजन के बजाए पानी पहुंचने की गंभीर शिकायत के बावजूद सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. समाजवादी सरकार बेहतर स्वास्थ्य का फर्जी नारा बेचती रही और ‘पुष्पा सेल्स’ बेहतर रिश्‍वत देकर अपना धंधा चलाती रही और लोगों को मारती रही. दुखद तथ्य यह है कि बीआरडी अस्पताल के बाल रोग विभाग ने 20 जून 2014 को ‘पुष्पा सेल्स’ से औपचारिक तौर पर कहा था कि सौ बिस्तर वाले मस्तिष्क ज्वर विभाग में लगाए गए ऑक्सीजन पाइप लाइन के कम्प्रेसर, एयर वैक्यूम और इमरजेंसी रेगुलेटर ठीक से काम नहीं कर रहे हैं. नवजात शिशुओं के लिए चौबीसों घंटे ऑक्सीजन की जरूरत होती है. यदि विषम परिस्थिति सामने आई, तो सारी जिम्मेदारी फर्म की होगी. लेकिन फर्म ने इस चेतावनी को अनसुना कर दिया और अस्पताल ने भी अपनी औपचारिकता पूरी कर ली. ‘पुष्पा सेल्स’ कंपनी ने वर्ष 2013 में ही लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट के निर्माण में टेंडर की शर्तों का उल्लंघन किया था.

निर्माण कार्य में देरी के कारण इस कंपनी को तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. सतीश कुमार ने कड़ी चेतावनी भी दी थी, लेकिन सरकार में बैठे अफसरों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. याद करते चलें कि ‘पुष्पा सेल्स’ कंपनी को वर्ष 2013 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग में सौ बेड के मस्तिष्क ज्वर वार्ड में ऑक्सीजन गैस पाइपलाइन स्थापित करने का ठेका दिया गया था. टेंडर की शर्तों के अनुसार इस कंपनी को दो महीने में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी ने तय समय में काम पूरा नहीं किया. इस पर मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य ने गहरी आपत्ति जताई थी, लेकिन अखिलेश सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं थी. कंपनी ने नवम्बर 2013 तक काम पूरा करने का आश्‍वासन दिया लेकिन काम पूरा नहीं कर सकी.

दिसम्बर तक काम पूरा नहीं हुआ तब प्रधानाचार्य ने कंपनी को कड़ी चेतावनी दी. 24 दिसम्बर 2013 को लिखे पत्र में प्रधानाचार्य ने 15 दिन के अंदर काम पूरा करने को कहा और चेतावनी दी कि ऐसा नहीं करने पर कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. प्रधानाचार्य ने इस पत्र की प्रतिलिपि चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक के साथ-साथ गोरखपुर के जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को भी भेज दी थी. चिकित्सा शिक्षा के महानिदेशक ने भी अपनी जांच में पाया कि ‘पुष्पा सेल्स’ निर्धारित समय पर लिक्विड गैस प्लांट की स्थापना नहीं कर सकी. इसके लिए कंपनी को लापरवाह करार दिया गया. इसके बावजूद कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. जबकि नियमानुसार अगर कोई कंपनी टेंडर की शर्तों का उल्लंघन करती है, तो उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया जाता है. सपा सरकार इस कंपनी के उपकार से इतनी लदी थी कि कंपनी के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया.

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