देश में राफेल डील को लेकर सियासत गर्म है.कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर पीएम मोदी पर हमलावर हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि राफेल डील सिर्फ मोदी सरकार के लिए ही मुसीबत का सबब है,
बल्कि छत्तीसगढ़ में लगभग 2000 की आबादी वाला एक गांव भी काफी परेशानियों का सामना कर रहा है.

दरअसल इस गांव का नाम राफेल होने से यहां रहने वाले लोगों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. तो वहीं राफेल विमानों के सौदे पर खड़े हुए विवाद से गांव वालों का मजाक तक उड़ाया जा रहा है.जिससे ग्रामीण काफी नाराज हैं. गांववालों ने राज्य सरकार से गांव का बदलने की दरख्वास्त भी की और मुख्यमंत्री कार्यालय भी गए .लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ.

महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले राफेल गांव के निवासियों का कहना है कि दूसरे गांवों के उनका मजाक उड़ाते हैं. वे कहते हैं कि यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो हमारी जांच होगी. जिसके चलते हम गांव का नाम बदलने का अनुरोध लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय भी गए थे, लेकिन हम उनसे मिल नहीं पाए’. वहीं गांव का नाम राफेल क्यों पड़ा इसे लेकर यहां के लोगों को कोई भी जानकारी नहीं है. गांव के बुजुर्गों के मुताबिक साल 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन से भी इस गांव को राफेल गांव के नाम से ही जाना जाता था.

राफेल गांव में रहने वाले 83 साल के बुजुर्ग धर्म सिंह ने बताया कि गांव में पेयजल और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं का आभाव है. सिंचाई की पर्याप्त व्यस्था न होने से किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन गांव के विकास की बात कोई नहीं करता.

गौरतलब है कि राफेल डील को लेकर केंद्र की मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है. आरोप है कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने उद्योगपति अनिल अंबानी फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से इस डील को अंजाम दिया है. हालांकि केंद्र सरकार ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज किया है.

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